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जयपुर

पुरुषों की तुलना में वर्क बर्नआउट का ज्यादा शिकार होती हैं महिलाएं

शोध में खुलासा, एम्प्लॉयर्स से अथॉरिटी न मिलना है इसकी बड़ी वजह। वर्कप्लेस बर्नआउट दे जाता है उन्हें कई बीमारियां

जयपुरJun 01, 2018 / 02:16 pm

Shalini Agarwal

workplace burn out

पुरुषों की तुलना में वर्क बर्नआउट का ज्यादा शिकार होती हैं महिलाएं

वर्क प्लेस पर पावर वाली जगह का कम मिलना, एम्प्लॉयर का उस पर भरोसा न करके उसे अधिकार न देना, कामकाजी महिलाओं में वर्क बर्नआउट की वजह बन रहा है। इससे वे न केवल मानसिक रूप से बीमार हो रही हैं, बल्कि उन्हें शारीरिक परेशानियां जैसे नींद न आना, सिरदर्द जैसी समस्याओं का शिकार भी होना पड़ रहा है। लगातार स्ट्रेस उनके लिए भविष्य में दिल की बीमारियों का खतरा भी ला रहा है। वर्क प्लेस पर थकान और दबाव बरसों से चर्चा का मुद्दा रहा है लेकिन इसमें महिलाओं के नजरिए को सिरे से नजर अंदाज किया जाता रहा है। अब कनाडा की मॉन्ट्रियल यूनिवर्सिटी में हुए एक नए शोध में पाया गया है कि कैसे महिलाओं और पुरुषों की समस्याओं में जमीन-आसमान का अंतर होता है। शोध के मुताबिक, वर्कप्लेस पर महिलाएं अपने पुरुष साथियों की तुलना में वर्क बर्नआउट का शिकार ज्यादा होती हैं क्योंकि उन्हें हमेशा निचली जगह पर काम करना पड़ता है, जहां काम तो ज्यादा होता लेकिन अधिकार न के बराबर होते हैं। ऐसे में उनके भीतर हमेशा असंतुष्टि की भावना रहती है। शोधकर्ता और पॉपुलेशन हेल्थ में प्रोफेसर डॉ. नेंसी बीयुरगार्ड के मुताबिक, हमारे नतीजे दर्शाते हैं कि महिलाओं और पुरुषों में अंतर होता है क्योंकि लैंगिक आधार पर उनकी वर्किंग कंडीशन बदल दी जाती हैं। नैंसी के अनुसार महिला कर्मी बर्न आउट का शिकार तेजी से होती हैं क्योंकि उन्हें अक्सर अपने काम का नेचर पसंद नहीं आता। महिलाओं को अक्सर वो पोजिशन ऑफर की जाती है, जिनमें अहम फैसले लेने में उनकी भूमिका कमतर होती है। वे अपनी स्किल्स का उपयोग कम कर पाती हैं और उन्हें काफी कम अधिकार होते हैं। ऐसी सारी चीजें उनके पुरुष साथियों के पास होती हैं, जिससे वे बर्न आउट का शिकार हो जाती हैं। बर्न आउट का शिकार होने के बाद उनमें मोटिवेशन की कमी आ जाती है और वे असहाय महसूस करने लगती हैं। इसके बाद शुरू होता उनकी शारीरिक और मानसिक परेशानियों का सिलसिला। उन्हें सिरदर्द, छाती में दर्द, सांस की तकलीफ और अनिंद्रा की शिकायत होने लगती है। लंबे तक ये चीजें चलने से दिल की बीमारियां और इम्यून डिस्ऑडर्स भी होने लगते हैं।

नुकसान सभी को
वर्क बर्नआउट से ऐसा नहीं है कि केवल महिलाओं को ही परेशानी होती है, एम्प्लॉयर को भी उतना ही नुकसान झेलना पड़ता है। जरूरत से ज्यादा स्ट्रेस वाले एम्प्लॉई अपनी कंपनी को हर साल 150 से 300 बिलियन डॉलर तक का नुकसान पहुंचाते हैं।

सेलिब्रिटी भी शिकार
ऐसा नहीं है कि केवल आम महिलाएं ही वर्क बर्न आउट का शिकार होती हैं, फीमेल स्टार्स भी इससे अलग नहीं हैं। रीता ओरा, ऐली गाउल्ंिडग, केंडल जेनर और लेडी गागा भी इससे पीडि़त रही हैं।

ये हैं उपाय
इसके उपाय के रूप में नैंसी और दूसरे समाजशास्त्रियों का कहना है कि महिलाओं को घर का सामान लाना, बरतन धोना जैसे काम करने चाहिए, उससे वे बर्न आउट को अवॉइड कर सकती हैं। परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताने पर भी वे इस परेशानी से बाहर आ सकती हैं। नैंसी के मुताबिक, उन्हें शोध के दौरान ऐसी बहुत सी महिलाएं मिलीं, जो वर्क बर्न आउट को दूर करने के लिए रणनीति के तहत घर का काम करती थीं।

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