मधुमेह रोगियों को अपना विशेष ध्यान रखने की सलाह दी जाती है। मधुमेह एवं डायबिटीज रोग विशेषज्ञों ने बताया कि मधुमेह रोग डब्ल्यूएचओ के अनुसार मधुमेह से होने वाली 80 प्रतिशत मृत्यु निम्न एवं मध्यम आय वाले देशों में होती है। गत वर्ष के आंकड़ों के अनुसार भारत में 7.2 करोड़ लोग मधुमेह से पीड़ित हैं। इसमें से 3.6 करोड़ से ज्यादा लोगों में मधुमेह का पता ही नहीं चलता हैं। ऐसा अनुमान है कि विश्व में मधुमेह से पीडि़त होने वाला हर पांचवा व्यक्ति भारतीय है। आमतौर पर मधुमेह के 90 से 95 प्रतिशत रोगी टाइप 2 या से पीडि़त होते हैं।
डॉक्टरों के अनुसार भारत युवाओं का देश है और डायबिटीज रोग अब युवा शक्ति को ही खाने में लगा हुआ है। वर्तमान समय में इडिंयन कौंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के सर्वे के मुताबिक 25 वर्ष से कम उम्र के 63.9 प्रतिशत युवा इसकी चपैट में है। जो कि देश के लिए अच्छा नहीं है। मधुमेह रोग होने पर मुख्य रूप से लगातार पेशाब आना, अत्यधिक प्यास लगना, जोर से भूख लगना, कमजोरी आना, वजन कम होना, आंखों की कमजोरी, पैरों में सूजन व सुन्नता, घाव एवं चोट का धीमी गति से ठीक होना आदि समस्याएं पैदा हो जाती हैं।
डॉक्टरों ने बताया कि डायबिटीज रोगी चीनी से परहेज करने के लिए अक्सर आर्टिफिशियल स्वीटनर या शुगर फ्री जैसे पदार्थों का सेवन करने लगते हैं, जो सुरक्षित नहीं हैं। इन पदार्थों में एसपारटेम, सैक्रीन, सुक्रालोज, ऐसेसल्फेम-के आदि कई तत्व पाए जाते हैं, जो लगातार सेवन से नुकसानदेह साबित होते हैं। कई शोधों में यह सामने आया है कि ऐसे आर्टिफिशियल स्वीटनर से कुछ समय के लिए याददाश्त चले जाने जैसी शिकायत हो सकती है और ज्यादा सेवन से ब्रेन की कोशिकाएं भी नष्ट हो सकती हैं। कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि इन आर्टिफिशियल स्वीटनर को बंद करने पर ऐसे मरीजों की याददाश्त वापस आने लगी है। वहीं इंसुलिन संवेदनशीलता पर भी प्रभाव पड़ता है।