राजस्थान के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से और समेकित बाल सेवाएं विभाग के सहयोग से यह स्तनपान अभियान चलाया जा रहा है। इसमें हर ब्लॉक स्तर पर डॉक्टर के साथ ही आशा सहयोगी भी, हाल ही मां बनी या मां बनने वाली महिलाओं को स्तनपान की जरूरत के बारे में जागरूक कर रहे हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि प्रसव के बाद के दूध को कोलोस्ट्रकम होता है। उसमें विटामिन, एन्टी बॉडी और अन्य पोषक तत्व अधिक मात्रा में होते हैं। ये बच्चे को बीमारियों से बचाता है।
ये बीमारियां नहीं होती
बच्चे को स्तनपान कराने से वह कई सारे संक्रमणों से बचा रहता है। मां का दूध प्रतिरक्षण करता है और रतौंधी जैसे रोगों से बचाता है। इससे बच्चे का भार संतुलित बना रहता है। ताकि वे कुपोषण का शिकार नहीं होता।
हाल ही में बाल उत्तरजीविता संबंधी आंकड़ों से पता चला है कि पहले छह महीनों के दौरान विशेष रूप से स्तनपान तथा 6-11 महीनों तक निरंतर स्तनपान को प्रोत्साहन देना एकमात्र ऐसा उपाय है जो 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में मृत्यु दर को 13-15 प्रतिशत कम करता है। एक अन्य अध्ययन में, यह पता चला है कि यदि सभी शिशुओं को जन्म के पहले दिन से स्तनपान कराया जाए तो 16 प्रतिशत नवजात शिशुओं की मौत को रोका जा सकता है। यदि जन्म के पहले घंटे से ही स्तनपान शुरू कर दिया जाए तो 22 प्रतिशत नवजात शिशुओं की मौत को रोका जा सकता है।
यह स्तनपान सप्ताह डब्ल्यूएचओ के वर्ल्ड अलायंस फॉर ब्रेस्टफीडिंग ऐक्शन की ओर से विश्वभर में मनाया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन सिफारिश करता है कि सभी शिशुओं को विशेष रूप से छह महीने की आयु तक स्तनपान कराना चाहिए और छह महीने के बाद पर्याप्त मात्रा में अनुपूरक आहार के साथ दो वर्ष का होने तक अथवा उससे भी अधिक समय तक स्तनपान जारी रखना चाहिए।