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जयपुर

विश्व स्तनपान सप्ताह, राजस्थान में स्थिति गंभीर

—— विश्वभर में एक अगस्त से शुरू होता है सप्ताह— डब्ल्यूएचओ की ओर मनाया जाता है— इस बार की थीम— ‘स्तनपान—जीवन का आधार’

जयपुरAug 04, 2020 / 11:51 am

Tasneem Khan

 World lactation week, situation serious in Rajasthan

World lactation week, situation serious in Rajasthan

जयपुर। डब्ल्यूएचओ की ओर से मनाया जाने वाला विश्व स्तनपान सप्ताह की इस बार की थीम ‘स्तनपान—जीवन का आधार’ है। वहीं राजस्थान में स्तनपान को लेकर स्थिति गंभीर है, इसलिए बड़ी संख्या में यहां बच्चे कुपोषण का शिकार रहे जाते हैं। नेशनल फैमिली हैल्थ सर्वे—4 के मुताबिक राजस्थान में 28.4 प्रतिशत शिशुओं को जन्म के 1 घंटे के अन्दर स्तनपान कराया जाता है। वहीं सिर्फ 58.2 प्रतिशत बच्चों को ही 6 माह तक स्तनपान कराया जाता है। इस सर्वे के मुताबिक राजस्थान में स्तनपान न कराने की काफी गंभीर और बुरी प्रवृत्ति देखी गई है। सिर्फ 42 प्रतिशत महिलाएं ही ऐसी हैं जो प्रसव के एक घंटे के भीतर ही अपने बच्चे को स्तनपान कराती हैं। वहीं सिर्फ 55 प्रतिशत महिलाएं ही बच्चे को जन्म के 6 महीने तक स्तनपान कराती हैं।
स्वास्थ्य विभाग का अभियान
राजस्थान के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से और समेकित बाल सेवाएं विभाग के सहयोग से यह स्तनपान अभियान चलाया जा रहा है। इसमें हर ब्लॉक स्तर पर डॉक्टर के साथ ही आशा सहयोगी भी, हाल ही मां बनी या मां बनने वाली महिलाओं को स्तनपान की जरूरत के बारे में जागरूक कर रहे हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि प्रसव के बाद के दूध को कोलोस्ट्रकम होता है। उसमें विटामिन, एन्टी बॉडी और अन्य पोषक तत्व अधिक मात्रा में होते हैं। ये बच्चे को बीमारियों से बचाता है।
ये बीमारियां नहीं होती
बच्चे को स्तनपान कराने से वह कई सारे संक्रमणों से बचा रहता है। मां का दूध प्रतिरक्षण करता है और रतौंधी जैसे रोगों से बचाता है। इससे बच्चे का भार संतुलित बना रहता है। ताकि वे कुपोषण का शिकार नहीं होता।
बच्चों की मौत में आ सकती है कमी
हाल ही में बाल उत्तरजीविता संबंधी आंकड़ों से पता चला है कि पहले छह महीनों के दौरान विशेष रूप से स्तनपान तथा 6-11 महीनों तक निरंतर स्तनपान को प्रोत्साहन देना एकमात्र ऐसा उपाय है जो 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में मृत्यु दर को 13-15 प्रतिशत कम करता है। एक अन्य अध्ययन में, यह पता चला है कि यदि सभी शिशुओं को जन्म के पहले दिन से स्तनपान कराया जाए तो 16 प्रतिशत नवजात शिशुओं की मौत को रोका जा सकता है। यदि जन्म के पहले घंटे से ही स्तनपान शुरू कर दिया जाए तो 22 प्रतिशत नवजात शिशुओं की मौत को रोका जा सकता है।
डब्ल्यूएचओ की ओर से मनाया जाता है
यह स्तनपान सप्ताह डब्ल्यूएचओ के वर्ल्ड अलायंस फॉर ब्रेस्टफीडिंग ऐक्शन की ओर से विश्वभर में मनाया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन सिफारिश करता है कि सभी शिशुओं को विशेष रूप से छह महीने की आयु तक स्तनपान कराना चाहिए और छह महीने के बाद पर्याप्त मात्रा में अनुपूरक आहार के साथ दो वर्ष का होने तक अथवा उससे भी अधिक समय तक स्तनपान जारी रखना चाहिए।

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