आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर डॉ नूतन प्रभा जैन ने बताया कि कोविड—19 का व्यक्तिगत, पारिवारिक और सामाजिक प्रभाव बहुत लम्बे समय तक रहने की संभावना है। यह शायद इस पीढ़ी के लिए लम्बे समय तक और मानव संसाधन के सभी पहलुओं की सीमाओं का परीक्षण करेगा। इस महामारी से जो लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित होते हैं उनका जीवन आजीविका और इसके आगे का नुकसान अकल्पनीय है। यह स्थिति कब तक चलेगी और कोई नहीं जानता कि यह कब और कैसे समाप्त होगा। शायद कोविड वैक्सीन या किसी अन्य प्रकार का प्रभावी उपचार लेकिन अभी वह बहुत दूर की बात है। संक्रमण के किसी भी संभावित स्त्रोत से दूर रहना इस समय केवल एक उम्मीद के साथ हमें आगे बढ़ाता है कि संक्रमण की श्रंखला अंततः टूट जाएगी।
डॉ नूतन प्रभा ने बताया कि कोविड—19 महामारी ने दुनियाभर के लोगों का जीवन बाधित कर दिया है। लोग एक-दूसरे से सीखते हैं कि ऐसे चुनौतीपूर्ण समय में सकारात्मक और रचनात्मक कैसे बने। मीडिया के माध्यम से भी प्रचार किया जा रहा है, परन्तु अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि सोशल मिडिया इस बात को उजागर करता है कि लोग अपने समय का सबसे अच्छा उपयोग कैसे कर रहे हैं जैसेः योग से लेकर नृत्य तक खाना पकाने से लेकर किताबें पढ़ने तक आदि।
ईएसआई मॉडल अस्पताल के मनोरोग विभाग के डॉ अखिलेश जैन ने बताया कि ताजा आंकड़ों के मुताबिक भारत में तकरीबन 19 करोड़ 73 लाख लोग किसी ना किसी प्रकार की मानसिक बीमारी से ग्रसित हैं, यह आंकड़ा देश की कुल जनसंख्या का लगभग 14.3 प्रतिशत हैं। आंकड़े ये भी बताते हैं कि प्रत्येक बीस में से एक व्यक्ति अपने जीवनकाल के दौरान अवसाद का शिकार होता है और दुनियाभर में हर चालीस सेकंड में एक आत्महत्या की घटना होती है।