वैश्विक वयस्क तंबाकू सर्वेक्षण (जीएटीएस) की एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में 15 साल या उससे अधिक उम्र के करीब 30 करोड़ लोग तंबाकू का सेवन करते हैं। इनमें से लगभग 20 करोड़ लोग तंबाकू को गुटखा, खैनी, पान मसाला या पान के रूप में सीधे अपने मुंह में रख लेते हैं, जबकि दस करोड़ लोग ऐसे हैं जो सिगरेट, हुक्का या फिर सिगार में तंबाकू भरकर कश लगाते हैं और इसका धुआं अपने फेफड़ों में भर लेते हैं।
रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. दिनेश सिंह ने बताया करीब 40 फीसदी कैंसर और करीब 30 फीसदी दिल के दौरे तंबाकू की वजह से होते है। जो लोग धुएं रहित तंबाकू (चबाने वाले तंबाकू, गुटका) का उपयोग करते हैं उनमें मुंह के कैंसर (जीभ, गाल, जबड़े की हड्डी) का खतरा सबसे अधिक होता है। इसके लक्षणों में मुंह का कम खुलना, बार-बार छालें होना, आवाज में बदलाव, लगातार खांसी और वजन का कम होना शामिल है।
देशभर में हर रोज 3500 लोग अकाल मौत के शिकार
वरिष्ठ कैंसर रोग विशेषज्ञ नरेश लेडवानी ने बताया कि कैंसर का प्रमुख कारण माने जाने वाले तंबाकू से हर रोज देष में 3500 लोगों की मौत हो रही है। वहीं विश्वभर में हर साल तंबाकू की वजह से 80 लाख लोगों की जान जाती है। वहीं भारत में हर वर्ष 13 लाख और राजस्थान में 77 हजार लोग तंबाकू के कारण अकाल मौत का शिकार हो रहे है।