वहीं दूसरी ओर पिछली बार की तुलना में इस बार शहर की बकरामंडियों में रौनक देखने को नहीं मिल रही है। शहर में बकरीद का चांद दिखते ही बकरा मंडियां लगना शुरू हो जाती है, मंडियों को लगे आज 9 वां दिन हैं, लेकिन रौनक नहीं है। ऐसा नहीं कि मंडियों में बकरों की कमी है, बल्कि बकरों की खरीदारी करने वाले खरीदार कम ही नजर आ रहे हैं। खरीददार आते हैं भी हैं तो केवल दाम पूछकर पीछे हट जाते हैं, जबकि पिछले साल के मुकाबले इस बार मंडी सस्ती है।
मंडी में बकरे बेच रहे विक्रेताओं का कहना है कि वो दूर दराज से बकरे बेचने जयपुर की मंडियों में आते हैं, लेकिन व्यापार नहीं होने से उन्हें घाटा हो रहा है। वहीं कुछ व्यापारी तो अपने मवेशी लेकर दूसरे जिलों में जा रहे हैं। राजधानी में सांगानेरी गेट, शास्त्री नगर, रामगंज, ईदगाह में हर साल बकरा मंडी लगती है, लेकिन सभी जगह हालात यही है। बकरा मंडियों में सामान्य तौर पर 8 हजार से लेकर 25 हजार तक बकरें मौजूद हैं।
250 किलो का बकरा बना आकर्षण केंद्र
रामगढ़ मोड़ स्थित ईदगाह में बकरीद की नमाज सुबह सात बजे अदा की जाएगी। वहीं दूसरी ओर ईदगाह स्थित बकरा मंडी में इन दिनों में बिकने के लिए 250 किलोग्राम और 180 किलोग्राम के बकरे लोगों के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। 250 किलो के बकरे का नाम टाईगर है जबकि 180 किलोग्राम बकरे के नाम सुल्तान है। हैरत की बात तो यह है कि 250 किलोग्राम वजनी बकरे की कीमत पांच लाख रुपए बताई गई है, और साढ़े तीन लाख रुपए की बोली लग चुकी है।
दो साल के इस बकरे के रोजाना दूध और चना खिलाया जाता है। लोगों के बीच ये बकरा इस कदर आकर्षण का केंद्र बना हुआ है कि लोग इसके साथ फोटो और सेल्फी खिंचाते नजर आते हैं।
वहीं 180 किलोग्राम बकरे की कीमत साढ़े तीन लाख रुपए बताई गई है। दोनों ही बकरे गुजरी नस्ल के बताए जाते हैं। ऐसा पहली बार नहीं है जब जयपुर की बकरा मंडियों में इस तरह के विशालकाय बकरे आते हो। पहले भी भारी भरकम बकरे नजर आए हैं।