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जयपुर

बाली उम्र और बचपन का प्यार किशोरों को पहुंचा रहा है जेल

बचपन का प्यार और बाली उम्र को सलाम…! जैसे शब्द रील लाइफ में ही अच्छे लगते है। हकीकत में इन पर पोक्सो का पहरा है। जो सीधा जेल पहुंचाता है। प्यार के बंधन में किशोरावस्था के साथ घर की चौखट लांघने वाली किशोरियों की सहमति इस कानून में कोई मायने नहीं रखती।

जयपुरMay 27, 2023 / 02:02 pm

Devendra

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देवेन्द्र शर्मा शास्त्री

जयपुर। बचपन का प्यार और बाली उम्र को सलाम…! जैसे शब्द रील लाइफ में ही अच्छे लगते है। हकीकत में इन पर पोक्सो का पहरा है। जो सीधा जेल पहुंचाता है। प्यार के बंधन में किशोरावस्था के साथ घर की चौखट लांघने वाली किशोरियों की सहमति इस कानून में कोई मायने नहीं रखती। पोक्सो कानून के तहत दर्ज मामलों और सजा का विश्लेषण किया जाए तो ऐसा ही सामने आता है। पोक्सों कानून के तहत पिछले पांच वर्ष में 331 किशोरों को 20 वर्ष तक की सजा हुई है, जिनकी उम्र ही महज 20 वर्ष तक है।

जयपुर शहर में चार वर्ष में पोक्सो के 1352 मामले दर्ज

नाबालिक से बलात्कार के मामले में जयपुर शहर की स्थिति गंभीर है। यहां पर चार वर्ष में 1352 मामले पोक्सो की विभिन्न धाराओं में दर्ज किए गए हैं। जो प्रदेश के अन्य जिलों के मुकाबले सर्वाधिक है। जयपुर में वर्ष 2019 में 374, 2020 में 261, 2021 में 298 और 2022 में 419 मामले पोक्सो के तहत दर्ज किए गए।

पोक्सो के तहत सजा की स्थिति

वर्ष- फांसी-आजीवन कारावास-20 वर्ष की उम्र के आरोपी-अन्य

2019-02-74-41-283

2020-00-27-26-125

2021-05-41-41-125

2022-05-75-161-252

2023- 01-01-62-85

कुल-13-240-331-870 अप्रेल माह तक

फाइलों में दफन हो जाती है प्यार की कहानी

पुलिस के जांच अधिकारी मानते हैं कि 16 से 20 वर्ष के युवक-युवतियों के घर से भागने के अधिकतर मामलों में बचपन के प्यार की कहानी सामने आती है। बालिका अपने बयानों में स्वयं की मर्जी से जाने और संबंध बनाने की बात कहती है, लेकिन कानून में इस सहमति का कोई मायना नहीं है। ऐसे में पुलिस जांच के बाद चालान पेश करती है।

जेल में गुजर जाएगी जवानी

इस तरह के मामलों में 20 वर्ष की उम्र में आरोपी की गिरफ्तारी होती है। अधिकतर मामलों में 20 वर्ष की सजा होती है। ऐसे में आरोपी जब जेल से बाहर आता है। उसकी उम्र 40 वर्ष हो जाती है।

चीफ जस्टिस्ट कर चुके हैं उम्र में बदलाव की बात

नाबालिक बच्चों की सुरक्षा के लिए बनाए गए पॉक्सो कानून में बदलाव को लेकर न्यायपालिका का भी ध्यान खींचा है। भारत के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने भी 18 वर्ष की उम्र के मामले में ज्यूडिशरी को ध्यान देने की बात कही है। गौरतलब है कि पोक्सो एक्ट आने के बाद सहमति से संबंध बनाने की उम्र को 16 से बढ़ाकर 18 कर दिया गया था।

क्या है पॉक्सो एक्ट

2012 में भारत सरकार ने नाबालिग बच्चों की सुरक्षा के लिए पॉक्सो कानून बनाया था। इस कानून के तहत 18 साल से कम उम्र के लोगों को बच्चा माना गया है और उसके साथ यौन उत्पीडऩ को अपराध की श्रेणी में रखा गया है। साल 2019 में कानून में संशोधन कर दोषियों के लिए मौत की सजा का प्रावधान किया गया है।

पोक्सो एक्ट के मामलों में पिछले पांच वर्ष में 331 ऐसे अपराधियों को सजा हुई है, जिनकी उम्र 20 वर्ष तक है। ऐसे मामलों की जांच के दौरान किशोरियों के बचपन से सम्पर्क और पहचान की बात सामने आई है।

डॉ. रवि

डीआईजी सिविल राईट्स

अपराधी को सजा मिलनी ही चाहिए। इसके लिए कानून में प्रावधान किए जाते हैं। क्षेत्र में अभी जागरूकता की कमी है। संबंध बनाने की उम्र पर फिर से विचार किया जाना चाहिए।

ओमेन्द्र भारद्वाज, सेवानिवृत पुलिस महानिदेशक, राजस्थान

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