जैसलमेर

पर्यटक छत व बरामदे पर रात गुजारने का चुका रहे इतना महंगा किराया,जानकर आप भी रह जाएंगे हैरान

लाभ पंचमी तक रहेगा सैलाब …
-स्वर्ण-धरा को निहारने गुजराती आए, 30 करोड़ लाए -सोनार दुर्ग पहली पसंद तो धोरों पर सज रही शाम

जैसलमेरNov 11, 2018 / 12:13 pm

Deepak Vyas

पर्यटक छत व बरामदे पर रात गुजारने का चुका रहे इतना महंगा किराया,जानकर आप भी रह जाएंगे हैरान

जैसलमेर. स्वर्णनगरी में इन दिनों पर्यटन सीजन के उफान का यह असर है कि कई सैलानियों को होटल या गेस्ट हाऊस की छतों पर रात गुजारनी पड़ रही है या फिर बरामदों में मजबूरीवश सोना पड़ रहा है। इन सबके लिए पर्यटकों को हर रात 2000 हजार का भुगतान करना पड़ रहा है। दिन में सोनार दुर्ग की घाटियों पर महानगरों जैसा यातायात दिखाई दे रहा है तो शाम को यह नजारा सम सेंड ड्यून्स पर नजर आता है। स्वर्णनगरी की होटलें, धर्मशालाएं और सम व खुहड़ी के रिसोट्र्स खचाखच भर गए हैं। दीपावली के बाद स्वर्णनगरी में गुजराती सैलानियों का सैलाब उमडऩे से यह स्थिति बनी है। गौरतलब है कि दिवाली से शुरू हुआ गुजराती पर्यटकों की बम्पर आवक का सिलसिला अब चरम पर पहुंच गया है। हालत यह है कि हर दिन हजारों सैलानी मरुस्थलीय शहर की सुंदरता के मोहजाल में खिंचे हुए पहुंच रहे हैं। गुजरात में दिवाली के पर्व को पांच दिन तक मनाने का रिवाज है। यह ‘लाभ पंचमी’ तक चलता है। वहां पांच दिन तक आमतौर पर सभी व्यापारिक प्रतिष्ठान वगैरह भी बंद रहते हैं। आगामी दो दिन तक बम्पर भीड़ का यह क्रम जारी रहने वाला है, इसके बाद इसमें उतार आएगा।
दुर्ग में सैलानियों का मेला
गुजराती सैलानियों की पहली पसंद जैसलमेर का विख्यात सोनार दुर्ग बना हुआ है। दुर्ग की घाटियां इन सैलानियों से सराबोर है, वहीं दुर्ग के दशहरा चौक में तो मानो कोई मेला लगा हुआ है। सुबह 9 बजे से दुर्ग में सैलानियों के पहुंचने का दौर शुरू हो जाता हैै। एक साथ हजारों सैलानियों के दुर्ग में आने से यहां उन्हें पांव रखने को जगह भी नहीं मिल रही। दुर्ग के अलावा गड़ीसर सरोवर को निहारने और नौकायन करने बड़ी संख्या में पर्यटक यहां पहुंच रहे हैं। जैसलमेर भ्रमण पर आए अधिकांश सैलानी शाम को मुख्यालय से 42 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सम सेंड ड्यून्स का रुख कर रहे हैं। धोरों पर रेगिस्तान के जहाज की पीठ पर सवारी इन गुजराती सैलानियों को काफी सुहाता है। धोरों पर बने रिसोट्र्स में शाम लोक संगीत की महफिलें सजती हैं। सैलानी यहां मरु संस्कृति के रंग में रंगे नजर आते हैं।
पर्यटन व्यवसायी जोश से लबरेज
टे्रवल एजेंसियों के वाहनों को भी अच्छी बुकिंग नसीब हो रही है। टे्रवल एजेंसियों के वाहनों को भी अच्छी बुकिंग नसीब हो रही है। होटलों के कमरों से लेकर रिसोट्र्स के हट्स व अन्य सेवाओं के भाव इन दिनों करीब दुगुने हो गए हैं। शहर की होटलों को भी सजाया गया है और वहां गुजरात के अलावा अन्य देसी सैलानियों के साथ विदेशी पर्यटक भ्रमण का लुत्फ उठा रहे हैं। स्वर्णनगरी में गुजराती पर्यटकों के आगमन से पर्यटन व्यवसायियों में नए जोश का मानो संचार हुआ है। गुजराती सैलानियों के आगमन ने पर्यटन व्यवसाय में फिर से जान फूंक दी है। व्यवसायियों की बांछें खिल गई हैं। आर्थिक रूप से संपन्न माने जाने वाले गुजराती सैलानी ठहरने और खाने से लेकर प्रत्येक व्यवस्था के लिए अच्छा भुगतान देने को तैयार रहते हैं। शहर के प्रमुख रेस्टोरेंट, हैण्डीक्राफ्ट की दुकानें व अन्य दुकानों पर गुजराती पर्यटकों की भीड़ देखी जा सकती है।
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