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राजतंत्र का अमरसागर, लोकतंत्र में रीत रहा

locationजैसलमेरPublished: Aug 08, 2020 11:32:19 am

Submitted by:

Deepak Vyas

जैसलमेर.राजतंत्र के काल 17वीं शताब्दी में जैसलमेर शहर से महज 5 किमी दूर बना अमरसागर नाम और बसावट दोनों से अमर होने लायक बना, लेकिन लोकतंत्र यानी 1947 के बाद समस्याओं से जूंझता पर्यटन स्थल मरणासन्न हो रहा है।

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जैसलमेर.राजतंत्र के काल 17वीं शताब्दी में जैसलमेर शहर से महज 5 किमी दूर बना अमरसागर नाम और बसावट दोनों से अमर होने लायक बना, लेकिन लोकतंत्र यानी 1947 के बाद समस्याओं से जूंझता पर्यटन स्थल मरणासन्न हो रहा है। प्रसिद्ध गडीसर तालाब की तर्ज पर यहां पानी और सुविधाएं की जाए तो करोड़ों का टर्न ओवर इसकी तलहटी पर खड़ा है। अतिक्रमण हटाकर बाग-बगीचों तक पानी पहुुंचे तो आम-अनार-अंगूर पनपते नजर आए। हालत तो यह है कि यहां दसवीं तक का स्कूल भी सरकार नहीं दे पाई है, जबकि प्रदेश में ग्राम पंचायत मुख्यालय पर दसवीं स्कूल का प्रावधान है। मौजूदा व पूर्ववर्ती सरकारों के दर्जनों मंत्री विधायक इस गांव का दौरा कर बड़ी-बड़ी बातें कर गए है, लेकिन न तो तस्वीर बदली और न ही तकदीर।
क्या है अमरसागर
17वीं शताब्दी में महारावल अमरसिंह ने जैसलमेर के निकट स्थापना की। गड़ीसर की तरह ही यह बड़ा तालाब है, जिसमें एक पुरातात्विक महत्व का जैन मंदिर, तालाब के चारों तरफ झरोखे ऐतिहासिक इमारतें और पास में ही महारावल के निवास है। यह गडीसर तालाब की तरह ही नजर आता है। इस तालाब में आसपास के क्षेत्र बरसाती पानी आने से लबालब रहता था। रेगिस्तान में पानी के तालाब और पुरा महत्व की यह सोच अकल्पनीय है।
वाटर हार्वेस्टिंग का बेजोड़ उदाहरण
आजकल के बड़े-बड़े इंजीनियर्स वाटर हार्वेस्टिंग पर इस कदर काम नहीं कर सकते जितना 17वीं शताब्दी में में हुआ। तालाब में ही 20-25 बावडिय़ां बनी है। बूंद-बूंद को तरसने वाले रेगिस्तान का पानी जब तालाब में आता तो इसके भीतर बनी बावडिय़ों में रीतता जाता। इन बावडिय़ों से ही रीतते और रिसते हुए गांव के आस-पास के कुओं में पहुंच जाता। साथ ही आस-पास की अन्य बावडिय़ों में। बारिश के बाद पानी की एक बूंद भी बेकार न जाए इसलिए यह सिस्टम किया था और अकल्पनीय तो यह है कि इससे रेगिस्तान मेें सालभर के लिए सब्जियां उगती थी, जो आज भी मौजूद है। आस-पास में आम-अंगूर-जामुन सहित कई फल लगे थे। जैसलमेर का प्रसिद्ध बड़ाबाग भी इसी से जुड़ा है।
सरकार में हिस्सेदारी, पर हाशिए पर
1947 के बाद देश आजादी के बााद ग्राम पंचायतों का गठन हुआ तो अमरसागर जिले की पहली ग्राम पंचायतों में शामिल की गई। इस ग्राम पंचायत से 1980 में चंद्रवीरसिंह, 1995 में प्रथम जिलाप्रमुख रेणुका कुमारी,1998 में गोवद्र्धन कल्ला और बाद में छोटूसिंह विधायक बने। उम्मीद थी कि आजादी के बाद अमरसागर देश का बड़ा पर्यटन स्थल बनकर उभरेगा लेकिन असुविधाएं इसको लगातार हाशिए पर ले जा रही है।
समस्याएं-समाधान
पानी- अमरसागर राजा-महाराजाओं के जमाने में जैसलमरे शहर के लिए भी पेयजल का स्रोत था, अब यहां मीठे पानी को लोग तरस रहे है। शहर की गोद में बैठी ग्राम पंचायत का आंचल सूखा है। इस पीड़ा को सैकड़ों बार मंत्री, विधायक और प्रशासन को बताया लेकिन समाधान कहीं से नहीं मिला है। तीन दिन पहले प्रदेश के जलदाय मंत्री बी.डी कल्ला भी यहां मंदिर में अभिषेक बाद आश्वास का वचन देकर गए लेकिन हुआ कुछ नहीं।
समाधान
-मीठे पानी की पाइप लाइन बिछी हुई है, केवल पेयजल आपूर्ति से जोडऩा है। सरकार जैसलमेर में मौजूद है, एक कॉल करे तो कल-कल बहता पानी अमरसागर की बड़ी समस्या का समाधान कर दे।
पर्यटन-अमरसागर तालाब प्रसिद्ध समरोड़ पर है और शहर से एकदम लगता। इस तालाब को गडीसर की तरह विकसित किया जा सकता है। केचमेंट एरिया में अतिक्रमण बड़ी संख्या में है । पास के यूआईटी इलाके में भी अतिक्रमी काबिज है। तालाब के संरक्षण के साथ ही इसमें पानी का भराव गड़ीसर की तरह बारहमासी किया जा सकता है।
हल- निकट ही गजरूप तक इंदिरा गांधी कैनाल का पानी पहुंच रहा है। पांच किमी तक एक पाइल लाइन जोड़कर गडीसर की तरह इस तालाब में भी पानी का बारहमासी इंतजाम हों तो नौकायान सहित पर्यटकों की भीड़ नजर आएगी।
शिक्षा- गांव में आठवीं तक ही स्कूल है और वो भी संस्कृत शिक्षा का। आठवीं उत्तीर्ण होने के बाद शहर में बेटियों को अभिभावक दूरी की वजह से नहीं भेज रहे और बेटियां स्कूल छोड़ रही है।
समाधान- सरकार का निर्णय है कि हर ग्राम पंचायत पर दसवीं स्कूल होना चाहिए। अमरसागर जिले की सबसे पुरानी ग्राम पंचायत होने के बावजूद यहां दसवीं तक का स्कूल नहीं होना, सरकारी उदासीनता को दर्शा रहा है। सरकार चाहे तो हाथों हाथ स्वीकृति की जा सकती है।
मंत्री जानते है
जलदाय मंत्री बीडी कल्ला, ममता भूपेश बाड़ाबंदी के दौर में इस ग्राम पंचायत का दौरा कर चुके है। राजस्व मंत्री हरीश चौधरी अमरसागर की पीड़ा को सुन चुके है। ऐसे में अमरसागर की पीड़ा सरकार तक इन दिनों में पहुंची है।
अमर हो जाए सरकार
अमरसागर को अमर करना अब सरकार के हाथ में है। सरकार अमरसागर से 15 किमी दूर ही बैठी है। इन समस्याओं का समाधान हाथों हाथ कर दें तो सरकार भी अमर हो जाए और अमरसागर भी। दसवीं स्कूल और पेयजल की समस्या का समाधान तो बहुत ही जरूरी है। मुख्यमंत्री को भी पहले अवगत करवा चुके है।-पूनम मेघराज परिहार, सरपंच
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