जैसलमेर

5 दिनों में 25.50 लाख का व्यापार करेंगे कुंभकार

-दीपावली पर जमकर होगी मिट्टी के दीपक की बिक्री- लोकडाउन के बाद कुंभकारों में नजर आ रहा है उत्साह

जैसलमेरNov 11, 2020 / 08:42 pm

Deepak Vyas

5 दिनों में 25.50 लाख का व्यापार करेंगे कुंभकार


पोकरण.दीपावली के मौके पर चाइनीज दीपक, लाइटों व पटाखों का उपयोग नहीं करने के लिए देशभर में जनजागरण अभियान चल रहा है। इसी बीच पोकरण कस्बे में भी स्थानीय कुम्हार समाज के लोग मिट्टी के दीपक बनाने के बाद अब विक्रय की तैयारियों में जुट गए है। दीपावली के त्यौहार पर मिट्टी के दीपक का जमकर विक्रय होगा। गौरतलब है कि दीपावली के त्यौहार को देखते हुए कस्बे में स्थानीय लाल मिट्टी से बने दीपक तथा गणेश व लक्ष्मी की छोटी छोटी प्रतिमाओं को बनाने व उन्हें पकाने का कार्य नवरात्रा स्थापना के साथ शुरू कर दिया गया था। पोकरण की लाल मिट्टी के बने कलात्मक खिलौनों ने देश विदेश में अपनी पहचान बनाई है तथा विभिन्न खिलौने व आईटम देश के बड़े शहरों में लगने वाले हाट बाजारों में विक्रय किए जाते है।
पांच दिनों में होगा लाखों का व्यापार
स्थानीय कुंभकार समाज की ओर से बनाए जाने वाले दीपक विशेष रूप से दीपावली के पांच दिवसीय त्यौहार के अवसर पर घरों व अपने व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर लगाए जाते है। इसलिए कुंभकार इसे श्राद्ध पक्ष में नहीं बनाकर दीपक बनाने का कार्य नवरात्र से ही शुरू करते है। नवरात्र के दौरान स्थानीय कुम्हार परिवार दीपक बनाने के कार्य में जुट गए थे। ये दीपक कस्बे के अलावा जैसलमेर, बाड़मेर व जोधपुर जिले के फलोदी, बालेसर, शेरगढ़ आदि गांवों में भी बिकते है। जिससे उन परिवारों को दीपावली के मौके पर अच्छा रोजगार मिल जाता है। कस्बे के विभिन्न बाजारों व मु य सड़कों पर लोग हाथ ठेले पर तरह तरह के कलात्मक व छोटे बड़े दीपक व विभिन्न कलात्मक वस्तुएं मिट्टी के गुल्लक आदि विक्रय करते अभी से देखे जा सकते है। कस्बे के ावानीपोल क्षेत्र में निवास करने वाले करीब 85 कु हार परिवार दीपावली के दिनों में मिट्टी के दीपक बनाने का कार्य करते है। दीपक के विक्रय से एक परिवार को करीब 30 हजार रुपए की आय होती है। ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि आगामी पांच दिनों में पोकरण के कुंभकार 25.50 लाख रुपए के मिट् टी के दीपक विक्रय करेंगे।
पोकरण की लाल मिट्टी से ही बनते है दीपक
यहां निवास कर रहे कुम्हार समाज के 85 परिवार दीपावली के दौरान लाल मिट्टी के दीपक बनाने का कार्य करते है। यह मिट्टी पोकरण कस्बे से पांच किमी दूर जोधपुर रोड स्थित रिण क्षेत्र में ही निकलती है। यहां निकलने वाली मिट्टी लाल व चिकनी होती है। जिससे दीपक आसानी से बन जाते है। उद्योग एवं खनन विभाग की ओर से स्थानीय कुंभकार समाज के लिए रिण क्षेत्र में कुछ खसरे आरक्षित कर इन्हें आवंटित किए गए है। यहां से खुदाई कर लाल मिट्टी लाने के बाद उसकी कुटाई कर उसका बुरादा किया जाता है तथा उसको बड़ी छलनी से छानकर व कई दिनों तक पानी में भिगोया जाता है। भिगोने से चिकनी होने के बाद उससे दीपक व अन्य मिट्टी के आईटम बनाए जाते है।
लॉकडाउन के बाद जगी उम्मीद
कोरोना संक्रमण की महामारी के कारण गत मार्च माह में लॉकडाउन हो गया। ऐसे में मार्च माह से सित बर माह तक कुंभकार पूरी तरह से बेरोजगार रहे। ऐसे में दीपावली के त्यौहार से उन्हें खासी उ मीदें है। कुंभकार अधिकाधिक सं या में मिट्टी के दीपक विक्रय कर रोजगार प्राप्त करेंगे।
फैक्ट फाइल:-
– 85 परिवार करते है मिट्टी के दीपक बनाने का कार्य
– 30 दिनों तक चलता है दीपक बनाने का कार्य
– 1000 से अधिक दीपक बनाता है एक परिवार प्रतिदिन
– 30000 रुपए होती है एक परिवार को आमदनी
अनुदान की दरकार
जितनी लागत व मेहनत मिट्टी के दीपक बनाने में लगती है, उसका पर्याप्त मूल्य नहीं मिल पाता है। जिस तरह से पूर्व में रेलों पर मिट्टी के सिकोरे बेचने पर अनुदान दिया जाता था, उसी तरह यदि सरकार की ओर से अनुदान दिया जाता है, तो दीपक बनाने वालों को अच्छी आमदनी हो सकती है।
-सत्यनारायण प्रजापत, जिला प्रभारी कुंभकार हस्तकला विकास समिति, पोकरण।

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