इस अवसर पर जोधपुर, नोखा, बीकानेर, गंगानगर, पाली, बाड़मेर, बालोतरा, फलोदी सहित कई स्थानों से पदयात्रियों के जत्थे रामदेवरा पहुंचे। हजारों श्रद्धालुओं ने कतारबद्ध होकर बाबा रामदेव की समाधि के दर्शन किए। दर्शनों के बाद श्रद्धालुओं ने रामसरोवर, परचा बावड़ी, झूला पालना आदि का भ्रमण किया तथा बाजार से जमकर खरीदारी की। जिससे यहां चहल पहल देखने को मिली। इस दौरान पुलिस प्रशासन का भी भारी जाब्ता तैनात रहा।
मंदिर परिसर के चारों तरफ गत एक पखवाड़े से श्रद्धालुओं की व्यापक रेलमपेल देखने को मिल रही है। बाबा के जयकारे लगाते श्रद्धालुओं के जत्थे लगातार रामदेवरा पहुंच रहे है। मंदिर परिसर, रामसरोवर, परचा बावड़ी, रेलवे स्टेशन, बस स्टैण्ड, मेला चौक, करणी द्वार, नाचना चौराहा, पोकरण रोड, लिंक रोड सहित जगह-जगह मेलार्थियों की चहल पहल बनी हुई है। छोटा सा गांव रामदेवरा इन दिनों पूर्ण रूप से धार्मिक रंग में रंगा नजर आ रहा है।
समाधि के अंतिम वक़्त में दिया था ये उपदेश श्रद्धालुओं में मान्यता है कि भाद्रपद शुक्ल दशमी को बाबा रामदेव ने जीवित समाधि ली थी। बताया जाता है कि रामदेव जी ने अपने हाथ से श्रीफल लेकर सब बड़े बुजुर्गों को प्रणाम किया और रामदेव जी श्रद्धा से अन्तिम पूजन किया था। साथ ही रामदेव जी ने समाधी में खड़े होकर अन्तिम उपदेश देते हुए कहा कि प्रति माह की शुक्ल पक्ष की दूज को पूजा पाठ, भजन कीर्तन करके पर्वोत्सव मनाना, रात्रि जागरण करना। मेरे जन्मोत्सव पर समाधि स्थल पर मेला लगेगा। मेरे समाधि पूजन में भ्रान्ति व भेद भाव मत रखना। मैं सदैव अपने भक्तों के साथ रहुंगा।