सुखोई में लगेगी ये मिसाइल
परीक्षण के दौरान सटीक हमला करने में माहिर इस मिसाइल ने तय टार्गेट पर पिन पॉइंट को निशाना लगाया। भारत सरकार इस मिसाइल को Sukhoi में लगाने के लिए काम शुरू कर चुकी है और अगले तीन सालों में कुल 40 सुखोई विमान ब्रह्मोस मिसाइल से लैस हो जाएंगे। इससे एयरफोर्स की ताकत काफी बढ़ जाएग। इससे पहले इस मिसाइल को पहली बार पिछले वर्ष नवंबर में फायटर जेट सुखोई-30 एमकेआई से दागा गया था।
चीन और पाकिस्तान की बढ़ी चिंता
ब्रह्मोस के सफल परीक्षण से भारत के पड़ोसी देश चीन और पाकिस्तान की चिंता बढ़ गई है। भारत इस मिसाइल के जरिये दक्षिणी चीन सागर और हिंद महासागर में चीन की बढ़ती आक्रामकता का जवाब देने में समक्ष होगा। यह 3700 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से 290 किलोमीटर तक के लक्ष्य को भेद सकती है। भारत अगले 10 साल में 2000 ब्रह्मोस मिसाइल बनाएगा।
ऐसे पड़ा ‘ब्रह्मोस‘ नाम
ब्रह्मोस का पहली सफल लॉन्चिंग 12 जून, 2001 को हुई थी। इसका नाम भारत की ब्रह्मपुत्र नदी और रूस की मस्कोवा नदी पर रखा गया है । ब्रह्मोस का हाल में बंगाल की खाड़ी में भारतीय वायुसेना के फ्रंटलाइन लड़ाकू विमान सुखोई -30 एमकेआई से भी उड़ान परीक्षण किया गया था। ब्रह्मोस मिसाइल आवाज की गति से करीब तीन गुना अधिक यानी 2.8 मैक की गति से मार करने में सक्षम है।
ब्रह्मोस की खूबियां
ब्रह्मोस मिसाइल को भारत और रूस के ज्वाइंट वेंचर के रूप में विकसित किया गया है। ब्रह्मोस एक कम दूरी की सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल है और इसका निशाना अचूक है। यह 3700 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से 290 किलोमीटर तक के लक्ष्य को भेद सकती है। इसे पनडुब्बी से, पानी के जहाज से, विमान से या जमीन से भी छोड़ा जा सकता है। यह 10 मीटर की ऊंचाई पर उड़ान भर सकती है। अपनी तेज गति के कारण यह राडार से भी बच जाती है। आम मिसाइलों के उलट यह मिसाइल हवा को खींचकर रेमजेट तकनीक से ऊर्जा प्राप्त करती है। हवा में मार्ग बदलने वाली यह मिसाइल चलते-फिरते लक्ष्य को भी भेद सकती है। इस मिसाइल को वर्टिकल या सपाट किसी भी प्रक्षेपक से दागा जा सकता है।