जैसलमेर

कोरोना से जंग की ठानी, छोटे से गांव की जानें जीत की कहानी

Highlights:- 5 हजार लोगों का गांव अब तक कोरोना मुुक्त-जैसलमेर,जोधपुर और बीकानेर से जुड़ा है नोख-बुलंद हौसलों पर हावी नहीं होने दिया कोरोना का डर

जैसलमेरJul 03, 2020 / 08:18 pm

Santosh Trivedi

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
नोख (जैसलमेर)। कहते हैं कि इच्छा शक्ति मजबूत हो तो हर परेशानी का हल निकाला जा सकता है। कुछ ऐसे ही जज्बे के साथ जी रहा है राजस्थान का यह गांव, जो देशभर में नजीर बन गया है। यहां पांच हजार की आबादी के बावजूद एक भी व्यक्ति कोरोना संक्रमित नहीं है। बड़ी बात यह है कि संसाधन और सुविधाओं से दूर होेने के बावजूद स्थानीय जिम्मेदारों की सूझ-बूझ व जागरूकता के चलते वैश्विक महामारी से अभी तक खुद को बचाए हुए है। हम बात कर रहे हैं नोख गांव की।

जैसलमेर जिले के अंतिम छोर पर स्थित नोख उप तहसील मुख्यालय में महामारी के दौर में अभी तक कोरोना का वायरस दस्तक नहीं दे पाया है। जैसलमेर, बीकानेर और जोधपुर की त्रिवेणी सीमा पर स्थित नोख गांव जिला मुख्यालय से 225 किलोमीटर दूर स्थित है। कोरोना काल में स्थानीय बाशिंदों ने सतर्कता और मुस्तैदी बरतते हुए सरकारी दिशा-निर्देशों का पालन किया और कोरोना पर नियंत्रण बनाए रखा। हालांकि इस दौरान लोगों को कई तरह की परेशानियां भी हुईं, लेकिन स्थानीय लोगों ने संयम और समझदारी का परिचय देते हुए खुद को भाग्यशाली मानते हुए अपना हर फर्ज निभा कर इस महामारी का सामूहिक रूप से मुकाबला किया। यही कारण रहा कि सबकी कोविड-19 से मुकाबले की जिद ने कामयाबी की नई इबारत लिखी।

प्रवासियों व बाहरी मजदूरों का बड़ा केंद्र है नोख
नोख उप तहसील मुख्यालय होने के साथ आस-पास के क्षेत्र का सबसे बड़ा गांव और एक जिले या राज्य से दूसरे की ओर जाने के लिए सुगम रास्तों में से एक है। ऐसे में लॉकडाउन के दौरान बड़ी संख्या में मजदूर जोधपुर, जैसलमेर, बीकानेर की ओर से गंगानगर, सूरतगढ़, पंजाब व हरियाणा जैसी जगहों की ओर जाने के लिए नोख होकर पैदल गुजरे।

इस दौरान नोख क्षेत्र में विभिन्न स्थानों पर मजदूरों को आइसोलेट भी किया गया । इसके अलावा नोख के करीब 500 लोग पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, गुजरात सहित देशभर में अपने कामकाज व मजदूरी के लिए गए हुए थे, वह भी लॉकडाउन के दौरान अपने अपने घरों को आ गए। प्रशासन के साथ उन्होंने और उनके परिजनों ने संयम का परिचय देते हुए खुद का और अन्य लोगों का बचाव करने में अहम भूमिका अदा की। इसका परिणाम अभी तक सुखद बना हुआ है ।

हर आहट पर रहे सचेत, बचे कोरोना से

कोरोना महामारी के दौरान लॉकडाउन के शुरुआती दौर में जब नोख का प्रवासी नागरिक महाराष्ट्र से यहां पहुंचा और उसे बुखार सहित अन्य कारणों से संदिग्ध मानते हुए कोरोना जांच के लिए जैसलमेर रेफर किया गया तो एक बार भी पूरे गांव सहित संपूर्ण क्षेत्र में सनसनी फैल गई। लेकिन इस दौरान भी लोगों ने अतिरिक्त सतर्कता बरतते हुए संयम रखा और रिपोर्ट नेगेटिव आने पर लोगों ने राहत की सांस ली। जब भी लोग गांव लौटते तो उनकी आहट की घंटी ने स्थानीय लोगों को और अधिक सतर्क और जागरूक कर दिया। इसके अलावा देश-दुनिया में उपजे नकारात्मक असर ने भी लोगों को अलर्ट करने का काम किया।

जागरूकता व संयम का परिचय
आपको बता दें कि अप्रेल के शुरुआती दिनों में कोरोना का नाम भी लोगों के जेहन में सनसनी फैला रहा था। इस दौरान जनता कर्फ्यू के पहले पायदान पर ही लोगों ने कोरोना के नाम के साथ जीने की कला को अपनाना शुरू कर दिया। पूरे दिन लोगों ने संयम रखा तो उसके बाद जिला प्रशासन के दिशा-निर्देशों व बचाव के उपायों का पालन करना शुरू किया गया। बुजुर्गों ने युवाओं को बीते संस्मरण सुना संयम के साथ जीने का हौसला दिया तो युवाओं ने सोशल मीडिया के माध्यम से एक-दूसरे को जागरूक कर इस लड़ाई में मजबूत किया।

लॉकडाउन में जहां लोग अधिक समय अपने-अपने घरों में रहे, वहीं दुकानदारों ने भी पूरा संयम दिखाया। कोरोना महामारी में नोख स्थित पीएचसी के कार्मिकों सहित संपूर्ण जिम्मेदारों ने चौकस रहते हुए अपना अपना फर्ज अदा किया। बाहर से आना या जाने वाले व्यक्ति की चिकित्सीय देख-रेख व अन्य सुविधाओं के लिए जिम्मेदार हर वक्त तत्पर दिखे। पुलिस प्रशासन ने भी हर वक्त कानून व्यवस्था बनाए रखते हुए लोगों का सहयोग भी किया ।

जानें कोरोना फ्री गांव को एक नजर में
– नोख क्षेत्र की आबादी करीब 5000
-लॉकडाउन के दौरान 500 से अधिक प्रवासी पहुंचे
– जिला मुख्यालय से नोख 225 किलोमीटर दूर है
– बीकानेर भी 150 किलोमीटर की दूरी पर है
– जोधपुर जिले की फलोदी तहसील से इसकी दूरी 53 किलोमीटर है
– चिकित्सा व अन्य सुविधाओं के लिहाज से नोख क्षेत्र फलोदी, बीकानेर व जोधपुर पर निर्भर है।

(डिस्क्लेमर : फेसबुक के साथ इस संयुक्त मुहिम में समाचार सामग्री, संपादन और प्रकाशन पर पत्रिका समूह का नियंत्रण है)

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