इंदिरा गांधी मुख्य नहर के किनारे रामगढ़, मोहनगढ़, नाचना के बीच लगभग एक दर्जन गांव आए हुए हैं। इसके अलावा माइनरों व वितरिकाओं के किनारे भी दर्जनों गांव बसे हैं। इन गांवों में हजारों परिवार निवास कर रहे हैं। नहरों में पानी नहीं होने के लिए इन परिवारों को पीने के पानी के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। अब नहर में बंदी के आने के चलते ग्रामीणों को पीने के लिए भी पानी नहीं मिल रहा है। नहर के मुहाने के होने के बावजूद इन गांवों के बाशिंदे प्यास बुझाने को तरस रहे हैं।
यहां है सर्वाधिक समस्या
-इंदिरा गांधी नहर भीषण गर्मी के मौसम में क्लोजर के चलते पशुधन के लिए कब्रगाह बन रही है।
-मुख्य नहर के सूखने के कारण नहरी क्षेत्र की मोहनगढ़ वितरिका, मोहनगढ़ माइनर, मण्डाउ वितरिका, काणोद माइनर, बाहला वितरिका, पीडी, जेजेडब्ल्यू, डीवीएम, एसबीएस, डीडी, टीडी, डीएमआर, आरएनडी, सहित अन्य मुख्य माइनर व वितरिकाएं पूरी तरह से सूखी पड़ी है।
-नहरी क्षेत्र में निवास कर रहे परिवारों को इन नहरों से पीने के लिए पानी नहीं मिल रहा है।
-किसान परिवार ट्यूबवैल का पानी पांच सौ से लेकर एक हजार रुपए के दाम चुकाकर एक टैंकर पानी डलवाया जा रहा है।
-पशुओं को पीने के लिए पानी भी नहीं उपलब्ध हो पा रहा है।
-पशुपालकों ने पानी के अभाव में पशुधन को खुले में छोड़ दिया है। पानी की इस विकट समस्या को लेकर प्रशासन एकदम निष्क्रिय नजर आ रहा है।
-इंदिरा गांधी नहर भीषण गर्मी के मौसम में क्लोजर के चलते पशुधन के लिए कब्रगाह बन रही है।
-मुख्य नहर के सूखने के कारण नहरी क्षेत्र की मोहनगढ़ वितरिका, मोहनगढ़ माइनर, मण्डाउ वितरिका, काणोद माइनर, बाहला वितरिका, पीडी, जेजेडब्ल्यू, डीवीएम, एसबीएस, डीडी, टीडी, डीएमआर, आरएनडी, सहित अन्य मुख्य माइनर व वितरिकाएं पूरी तरह से सूखी पड़ी है।
-नहरी क्षेत्र में निवास कर रहे परिवारों को इन नहरों से पीने के लिए पानी नहीं मिल रहा है।
-किसान परिवार ट्यूबवैल का पानी पांच सौ से लेकर एक हजार रुपए के दाम चुकाकर एक टैंकर पानी डलवाया जा रहा है।
-पशुओं को पीने के लिए पानी भी नहीं उपलब्ध हो पा रहा है।
-पशुपालकों ने पानी के अभाव में पशुधन को खुले में छोड़ दिया है। पानी की इस विकट समस्या को लेकर प्रशासन एकदम निष्क्रिय नजर आ रहा है।
पंजाब व हरियाणा में नहर की मरम्मत के लिए क्लोजर लिया गया था। जिसके चलते राजस्थान में इंदिरा गांधी नहर में पानी की आवक नहीं हो पाई। वहीं राजस्थान में भी राज्य सरकार द्वारा नहर की मरम्मत तथा उसमें जमा मिट्टी को निकालने के लिए नहर पानी की आवक को बंद करने का निर्णय लिया गया था। मगर मोहनगढ़ क्षेत्र में नहरों में सूखी होने के बावजूद नहर प्रशासन की ओर से न तो नहर की मरम्मत की गई और न ही मिट्टी निकाली गई। मुख्य नहर में इन दिनों क्षमता से अधिक रेत जमा है। नहर की जितनी चौड़ाई है उसके आधे क्षेत्र में तो सिर्फ मिट्टी जमी हुई है। नहर में पानी आने के बाद मिट्टी निकालना संभव नहीं हो रह जाएगा। किसान नेता साभान खां सांवरा ने कहा कि नहरी क्षेत्र में पशुधन को पीने के लिए पानी नहीं मिल रहा है। प्यासे पशु पानी पीने के लिए दूर से चल कर नहर तक आते हैं। मगर इनमें पानी नहीं होने से पशु प्यास के मारे नहरों में ही दम तोड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि नहर की सफाई के लिए राज्य सरकार की ओर से लाखों रुपए की राशि खर्च की जाती है, लेकिन नहरों से मिट्टी नहीं निकाली गई है। जिसके चलते नहर की गहराई व चौड़ाई आधी रह गई है।