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JAISALMER PATRIKA CAMPAIGN- हकीकत… चार दिन बाद है विश्व का सबसे बड़ा फेस्टिवल, फिर भी अब तक नहीं जागी ‘शहर की सरकार’

पत्रिका अभियान: कहीं इतिहास न बन जाए मरु महोत्सव- -तीन दिवसीय मेले में चंद दिन शेष, कई स्तर पर तैयारियां अभी शुरू नहीं

जैसलमेरJan 24, 2018 / 10:22 pm

jitendra changani

Jaisalmer patrika

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जिम्मेदारों की प्राथमिकताओं में ही नजर नहीं आता महोत्सव!

जैसलमेर. मरु महोत्सव जैसे अहम आयोजन को लेकर पर्यटन विभाग जहां लीक पीटने को तरजीह देता है, वहीं स्थानीय सरकार यानी जैसलमेर नगरपरिषद को तो जैसे इससे कोई सरोकार ही नहीं है। जिस महोत्सव में शामिल होने के लिए देश और दुनिया भर के सैलानी उत्साह के साथ जैसलमेर पहुंचते रहे हैं और कई राज्यों के कलाकार व प्रतियोगिताओं में भाग लेने के इच्छुक लोग आते हैं, उनके मन में शहर की उम्दा छवि को उभारने के प्रति नगरपरिषद हर बार की भांति इस बार भी अंतिम समय में ‘अलर्ट मोड’ में आने जैसे मूड में है।
अब नहीं तो कब ?
जैसलमेर शहर की मुख्य सडक़ों पर स्वच्छंद घूमते गोवंश के अलावा आवारा श्वानों और सूअरों की बढ़ती तादाद की ओर किसी का ध्यान नहीं है। हनुमान चौराहा से लेकर गड़ीसर चौराहा तक के प्रमुख इलाकों में पशुओं की भरमार अब भी नजर आ रही है। पिछली बार मरु महोत्सव की शोभायात्रा के मार्ग में आने वाली नालियों को लोहे के पत्तरों से ढंका गया था ताकि इसमें शामिल होने वालों का पांव नाली में नहीं जाए। नालियों के ऊपर की यह कवरिंग अब सभी जगह से हट चुकी है। उन्हें ढंकने के साथ ही शहर के प्रमुख स्थलों को विरूपित करने वाली विभिन्न प्रचार सामग्री यथा चिपकाए गए पोस्टर्स और लगाए गए बैनर्स को हटवाने की दिशा में भी नगरपरिषद कोई कार्रवाई करती नजर नहीं आती।

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IMAGE CREDIT: patrika
ओवरफ्लो की समस्या का हो पूर्ण समाधान
शहर में नाले-नालियों का गंदला पानी ओवरफ्लो होकर सडक़ों पर बहने की समस्या नई नहीं है। पिछले दिनों के दौरान स्वच्छ सर्वेक्षण के दौरान शहर को अच्छी रैंकिंग दिलाने के लिए परिषद ने बाहर से जेट मशीन मंगवाकर बाहरी इलाकों में नालों की सफाई का कार्य करवाया, लेकिन मुख्य बाजारों में आज भी गंदले पानी के सडक़ पर बहने की समस्या बदस्तूर कायम है। मरु महोत्सव की शोभायात्रा के समय भी कई बार ओवरफ्लो की समस्या खुद प्रशासन के लिए शर्मिंदगी का कारण बन चुका है।
परेशान होते हैं प्रतिभागी
मरु महोत्सव के पहले दिन पूनम स्टेडियम में आयोजित होने वाली विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाले लोगों के लिए बैठने की सुव्यवस्थित व्यवस्था करने की तरफ आयोजकोंं का ध्यान कम ही जाता है। ऐसे में मरुश्री, मिस मूमल, मूमल-महेंद्रा, मूंछ, साफा बांध आदि प्रतियोगिताओं के प्रतियोगी मंच के इधर-उधर घूमने पर मजबूर हो जाते हैं। पूर्ण वेशभूषा में सुसज्जित इन प्रतिभागियों को अगर प्रतियोगितावार कुर्सियों में बैठने के लिए अलग से ऐरेना बनाकर दिया जाए तो उन्हें बड़ी सुविधा होगी तथा उनकी फोटोग्राफी करने की चाहत रखने वाले सैलानियों व अन्य फोटोग्राफर्स के लिए भी यह राहत पहुंचाने वाला कदम होगा।

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