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बढ़े हुए तापमान में घट रहा ऐतिहासिक धरोहर का जल स्तर, खतरे में जलचर

स्वर्णनगरी का गड़ीसर सरोवर केवल इसीलिए मशहूर नहीं है, क्योंकि यह रेगिस्तान में अनपेक्षित जलराशि को खुद में समाहित किए हुए हैं बल्कि इसके बीचोबीच सैकड़ों वर्ष प्राचीन बंगलियों की बेजोड़ प्रस्तर कला ने इसे दुनिया भर में प्रसिद्धि दिलाई है। प्राकृतिक माहौल में स्वच्छंद विचरण करने वाले जलचर इन दिनों खतरे में हैं।

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स्वर्णनगरी का गड़ीसर सरोवर केवल इसीलिए मशहूर नहीं है, क्योंकि यह रेगिस्तान में अनपेक्षित जलराशि को खुद में समाहित किए हुए हैं बल्कि इसके बीचोबीच सैकड़ों वर्ष प्राचीन बंगलियों की बेजोड़ प्रस्तर कला ने इसे दुनिया भर में प्रसिद्धि दिलाई है। प्राकृतिक माहौल में स्वच्छंद विचरण करने वाले जलचर इन दिनों खतरे में हैं। जैसलमेर में लगातार 45 से 47 डिग्री वाले तापमान में सूख रहे ऐतिहासिक गड़ीसर सरोवर के जल स्तर के कारण यह निराशाजनक स्थिति बनी है। कुछ माह पहले लबालब भरे ऐतिहासिक तालाब में जलीय पक्षी आकर्षण का केन्द्र बने हुए थे। अब घटते जल स्तर के कारण गड़ीसर तालाब के तट दिखने लगे हैं, साथ ही सिमटते पानी में जलीय पक्षी बाहर स्वच्छंद विचरण कर रहे हैं। ऐसे में निगरानी व सुरक्षा के अभाव में उन पर खतरा मंडरा रहा है। इसी तरह ऐतिहासिक गड़ीसर तालाब में कैट फिश भी घटते पानी के कारण खतरे में हैं। यहां मछलियों को आटा से बनी गोलियां व ब्रेड खिलाने का प्रचलन है। घर में सुख-शांति और अन्य ज्योतिषीय उपायों के वशीभूत होकर बड़ी संख्या में प्रतिदिन स्थानीय लोग ब्रेड के पैकेट लेकर तालाब पर पहुंच जाते हैं और बेरोकटोक मछलियों को ब्रेड खिलाते हैं। यहां भी घटते पानी के कारण इनके जीवन पर मंडराते खतरे के साथ शिकार की आशंका भी बढ़ रही है।

…इसलिए खास है गड़ीसर

जैसलमेर भ्रमण पर आने वाले सैलानियों विशेषकर विदेशियों के लिए गड़ीसर सरोवर हमेशा से आनंद और शांति के पल बिताने का मनपसंद स्थल है। वे यहां के रमणिक वातावरण में खो-से जाते हैं। इसके अलावा स्थानीय लोगों के लिए गड़ीसर सरोवर के आसपास के स्थान पिकनिक के ठिकाने रहे हैं। इन दिनों गड़ीसर सरोवर के घटते जलस्तर के साथ जलीय पक्षियों व जलचरों पर मंडराते खतरे को लेकर पर्यटक भी चिंतित नजर आ रहे हैं। फिल्म शूटिंग के लिए भी बेहतर लोकेशन जैसलमेर के ऐतिहासिक गड़ीसर सरोवर का प्राकृतिक माहौल शांति व सुकून के पल बिताने के लिए बेहतर स्थान तो है ही, साथ ही यह फिल्मकारों के लिए चहेता स्थान है। गौरतलब है कि यहां हिन्दी फिल्म रेशमा शेरा, अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो, नन्हें जैसलमेर, कृष्णा, टशन, अलादीन, टेल मी ए खुदा, तेलुगू फिल्म केका जैसी चर्चित फिल्मों, भूतनाथ सहित दर्जनों फिल्मों और किस देश में होगा चांद सहित कई धारावाहिकों का फिल्मांकन भी हो चुका है। इसके अलावा विभिन्न एलबमों के गानों का फिल्मांकन भी यहां किया गया है।

अपशिष्ट का भी निवारण नहीं

ऐतिहासिक गड़ीसर तालाब में घटते जल-स्तर व अपशिष्ट में रासायनिक प्रभाव से सरोवर का जल अपवित्र हो रहा है। गड़ीसर में नहाने और कपड़े आदि धोने पर कागजों में लगी रोक कागजी साबित हो रही है। चंद दशक पहले यहां का पानी पीने के काम आता था और आज यहां पानी में दुर्गंध आती है।

फैक्ट फाइल

-1913 संवत् में गड़ीसर में बारिश के पानी की आवक को बढ़ाने के लिए जोड़ा गया था काक नदी से

-1373 संवत् में बनाया गया था ऐतिहासिक गड़ीसर तालाब
-2 वर्ष का पानी जमा होने की तालाब में है भराव क्षमता

-12 तरह की नौकाएं व बोट मौजूद है गड़ीसर भ्रमण के लिए

सुरक्षा प्रबंध जरूरी

ऐतिहासिक गड़ीसर तालाब का प्राकृतिक माहौल हर किसी को रिझाता है। इन दिनों बारिश के अभाव व घटते जलस्तर के कारण जलीय पक्षियों व जलचरों के जीवन पर संकट गहरा रहा है। इनकी सुरक्षा जरूरी है। खास तौर पर शिकार के खतरे को देखते हुए यहां सुरक्षाकर्मी लगाए जाने चाहिए।

-पुष्पेन्द्र व्यास, पर्यटन व्यवसायी

खतरा तो है…

घटते जल-स्तर के कारण गड़ीसर में रहने वाले जलीय पक्षियों के जीवन पर संकट मंडरा रहा है। स्थानीय बाशिंदों व जिम्मेदारों को प्रयास करने चाहिए कि प्रतिकूल मौसम में इनके जीवन की रक्षा के लिए सजग रहे।

  • मेघराजसिंह परिहार, सामाजिक कार्यकर्ता, जैसलमेर