कोरोना के दिए दर्द पर सरकारी मरहम
जैसलमेर. कोरोना महामारी से आहत सरहदी जिले के बाश्ंिादों को सरकार ने मरहम लगाने की कवायद की है। चाइल्ड लाइन- 1098 समन्वयक रामगोपाल बेनीवाल ने बताया कि कोरोना महामारी से अनाथ हुए बच्चे देखरेख एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों की श्रेणी में आते है। राज्य सरकार की ओर बच्चों को सहायता के लिए मुख्यमंत्री कोरोना बाल कल्याण योजना की व्यवस्था की गई है।
राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग अध्यक्ष संगीता बेनीवाल ने कोविड-19 के दौरान अनाथ हुए बच्चों की सूचना चाइल्ड लाइन 1098 पर देने की आमजन से अपील की है। वैश्विक महामारी कोरोना की वजह से माता- पिता को खो चुके बच्चें की जानकारी, जिला बाल संरक्षण इकाई, जिला बाल कल्याण समिति और चाइल्ड लाइन 1098 पर दे सकेंगे। कोरोना से अनाथ हुए बच्चों की सहायता के लिए, जिनके मुखिया को कोविड महामारी ने उनसे छीन लिया है, परिवार में बच्चे अनाथ हो गए है। इसके तहत तत्काल सहायता के रुप में 1 लाख रुपए का एक मुश्त अनुदान दिया जाएगा। 18 वर्ष पूरे होने तक 2500 रुपए की राशि प्रति माह दी जाएगी। अनाथ बालक-बालिका के 18 वर्ष की उम्र होने पर 5 लाख रुपए एक मुश्त सहायता दी जाएगी। बारहवीं कक्षा तक पढ़ाई की सुविधा आवासीय विद्यालय अथवा छात्रावास के माध्यम से नि:शुल्क उपलब्ध करवाई जाएगी। राज्य सरकार कोरोना से पति को खोने वाली विधवा महिलाओं को संबल प्रदान करेगी। विधवा महिलाओं को 1 लाख रुपए एक मुश्त राशि दी जाएगी, वहीं 1500 रुपए प्रति माह विधवा पेंशन मिलेगी। विधवा महिला के बच्चें को निर्वाह के लिए 1 हजार रुपए प्रति माह तथा स्कूल ड्रेस एवं किताबों के लिए 2 हजार रुपए सालाना प्रति बालक दिए जाएंगे।