जैसलमेर

99 बुर्ज वाले 860 वर्ष से अधिक पुराने किले में हुआ कंपन्न तो 5 हजार पर मंडराएगा संकट !

-भूकम्प के लिहाज से संवेदनशील है जैसलमेर, 40 किलोमीटर की दूरी पर है कनोई-एएसआइ ने बार-बार ठुकराया वैकल्पिक मार्ग का सुझाव

जैसलमेरJun 24, 2022 / 07:59 pm

Deepak Vyas

99 बुर्ज वाले 860 वर्ष से अधिक पुराने किले में हुआ कंपन्न तो 5 हजार पर मंडराएगा संकट !

जैसलमेर. जैसलमेर के ऐतिहासिक सोनार दुर्ग के अहाते में गत दिनों एनडीआरएफ की 6 बटालियन ने भूकम्प के काल्पनिक हालात में लोगों को राहत व बचाव का सफलतापूर्वक मॉकड्रिल किया था। जिस पर उपस्थित अधिकारियों व प्रत्यक्षदर्शियों ने तालियां भी बजा दी, लेकिन यह सब कल्पना का हिस्सा था। सोनार दुर्ग में रहने वाले तीन हजार से अधिक बाशिंदों के जेहन से यह डर निकल नहीं सकता कि यदि कभी सचमुच भूकम्प या अन्य प्राकृतिक आपदा की वजह से दुर्ग का एक भी द्वार अवरुद्ध हो गया तो बचाव कार्य कैसे किया जा सकेगाघ् वजह साफ हैए दुर्ग में आवाजाही के लिए केवल एक मार्ग है। जो चार प्रोलों से होकर बना है। इस मार्ग में चार बड़े दरवाजे हैं। एक भी प्रोल अगर ध्वस्त हो जाती है तो दूसरा कोई वैकल्पिक रास्ता दुर्ग में आवाजाही के लिए है ही नहीं। ऐसा नहीं है कि इस संबंध में कभी सोचा नहीं गया लेकिन हर बार भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण एएसआइ ने ऐसे किसी भी प्रस्ताव को स्वीकार करने से साफ इनकार कर दिया। जबकि यहां तीन हजार से अधिक की आबादी निवास करती है और करीब 40 से 50 होटलें और इतने ही रेस्टोरेंट्स हैं। सीजन में हजारों की संख्या में पर्यटक भी दुर्ग पर आते हैं।
दोनों प्रस्तावों को किया खारिज
दुर्ग से वैकल्पिक मार्ग को विकसित करने के लिए दो बार गंभीर प्रयास किए गए। कुछ साल पहले राष्ट्रीय आपदा प्राधिकरण की एक टीम ने सोनार दुर्ग का जायजा लिया और अपनी रिपोर्ट में इस टीम ने दुर्ग के लिए एक नहीं दो वैकल्पिक रास्ते तैयार करने के सुझाव दिए। इसके तहत दुर्ग के परकोटे से सटी रिंग रोड से दक्षिण-पूर्व दिशा में 99 सीढिय़ां बनाने का सुझाव दिया गया। प्रत्येक सीढ़ी की चौड़ाई 1.5 मीटर और ऊंचाई 6 इंच रखने की बात कही गई। यह सीढिय़ां सतह से दुर्ग तक 120 मीटर ऊंची रहने वाली थी। इसे अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका। बाद में साल 2018 में केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय में तत्कालीन संयुक्त सचिव और केंद्रीय योजनाओं की निगरानी के लिए जिले के प्रभारी सचिव सुधांश पंत की पहल पर जैसलमेर जिला प्रशासन ने रिंग रोड से सटा 99 सीढिय़ों वाला एक वैकल्पिक मार्ग बनाने का प्रस्ताव एएसआइ को भिजवाया। इस प्रस्ताव को भी एएसआइ ने हरी झंडी नहीं दी। जबकि जानकारों का मानना है कि संभवतरू एएसआइ दुर्ग के मौलिक स्वरूप में किसी तरह का छेड़छाड़ नहीं करने देना चाहता लेकिन संभावित आपदा के मद्देनजर उसे वैकल्पिक मार्ग के विषय में सहानुभूतिपूर्वक विचार करना चाहिए।
भूकम्प से कई बार दहला है दुर्ग
भूकम्प के लिहाज से जैसलमेर संवेदनशील माना जाता है। यहां से बमुश्किल 40 किलोमीटर की दूरी पर कनोई गांव में भूकम्प का स्रोत माना गया है। साल 2001 में 26 जनवरी को जब गुजरात के कच्छ में भयानक भूकम्प त्रासदी हुई थी, उसी दिन जैसलमेर में भी जोर का झटके महसूस किए गए। सोनार दुर्ग की प्राचीर को भी नुकसान पहुंचा। हालांकि सौभाग्यवश दीवारें हिल कर रह गईं और व्यापक क्षति से दुर्ग बच गया लेकिन तब से ही यह सोचा जाने लगा कि यदि कभी दुर्ग पर आपदा आई तो बचाव कार्य करने के लिए सरकारी मशीनरी के पास कौनसा रास्ता होगा, इसके बाद भी कई बार भूकम्प के झटकों ने शहर के साथ दुर्गवासियों को खासतौर पर दहलाया। अतिवृष्टि के कारण भी दुर्ग की प्राचीन दीवारों व घरों को नुकसान पहुंच चुका है।
सीजन में पेश आती हैं दिक्कतें
आपदा ही नहीं पर्यटन सीजन जिस समय चरम पर रहता है तब भी सोनार दुर्ग से आवाजाही के लिए एक ही मार्ग होने से यहां रहने वाले लोगों के साथ देश-विदेश से आने वाले सैलानियों को बेजा परेशानियां झेलनी पड़ती हैं। यह समय विशेषकर दिवाली के आसपास और क्रिसमस से नववर्ष तक का होता है। तब सुबह से दोपहर तक 10 से 15 हजार सैलानियों का सैलाब दुर्ग भ्रमण पर पहुंचता है। दुर्ग की सभी प्रोलों से लेकर दशहरा चौक तक में जाम के हालात बन जाते हैं। रास्ता सुचारू करवाने में पुलिस को सर्दियों में पसीने आ जाते हैं। ऐसे समय में वैकल्पिक मार्ग बहुत कारगर साबित हो सकता है।
फैक्ट फाइल
-860 साल से पुराना है जैसलमेर का सोनार दुर्ग
-04 प्रोलों से मिलकर बना है एकमात्र रास्ता
-99 सीढिय़ों वाले वैकल्पिक मार्ग की सिफारिश

किए जाएंगे सकारात्मक प्रयास
सोनार दुर्ग में आबादी की बसावट और सैलानियों की भारी आवक के मद्देनजर वैकल्पिक मार्ग की आवश्यकता निश्चित रूप से है। इस संबंध में पूर्व में प्रशासन की तरफ से किए गए प्रयासों का अध्ययन कर सकारात्मक प्रयास किए जाएंगे।
-डॉ. प्रतिभासिंह, जिला कलक्टर, जैसलमेर
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