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जैसलमेर

Jaisalmer- जैसलमेर के इस गांव में दिख रहे विदेशी परिंदे, राहगिरों को दे रहे सुकून

प्रवासी पक्षी कुरजां ने डाला डेरा- कई तालाब व जलभराव स्थल में सुनाई देने लगी कलरव

जैसलमेरOct 25, 2017 / 10:18 pm

jitendra changani

Jaisalmer patrika

kurja at jaisalmer

जैसलमेर(पोकरण/रामदेवरा). तापमान में गिरावट के साथ ही प्रवासी पक्षी मेहमान कुरजां (डेमोइसिलक्रेन) ने अपना रुख भारत की ओर कर दिया है। आसपास गांवों में स्थित कई तालाबों पर इन दिनों सैंकड़ों की सं या में कुरजां ने अपना अस्थाई डेरा डाल रखा है। मूलत: मध्य एशिया के कजाकिस्तान, मंगोलिया, साइबेरिया, रसिया में पाए जाने वाले ये पक्षी वहां बर्फ पडऩे के साथ ही अपना रुख भारत की ओर कर देते हैं, जो अक्टूबर से लेकर मार्च-अप्रेल तक यहां रहकर अपने अनुकूल वातावरण व भोजन की आवश्यकता को पूरी करतेहैं। अक्टूबर व नव बर माह में ठण्डे प्रदेशों में अचानक तापमान में गिरावट के साथ ही बर्फबारी शुरू हो जाती है। इससे इन पक्षियों के लिए वातावरण अनुकूल नहीं रहता। साथ ही बर्फ के कारण यहां घास व कीड़े मकोड़े भी बर्फ में दब जाते हैं। इसी के चलते भोजन की तलाश में यह पक्षी करीब 20 से 25 हजार किलोमीटर का सफर तय कर अफगानिस्तान व पाकिस्तान के रास्ते भारत की सीमा में प्रवेश करते हैं।
भोजन-पानी देख डालते हैं डेरा
प्रवासी पक्षी एक कुरजां वजन में करीब दो से ढाई किलों की होती है तथा यह पानी के आस-पास खुले मैदानों व समतल जमीन पर ही अपना अस्थाई डेरा डालकर रहती है। इन पक्षियों का मु य भोजन वैसे तो मोतिया घास होता है तथा पानी के किनारे पैदा होने वाले कीड़े मकोड़ों को खाकर भी अपना पेट भरतीं है एवं क्षेत्र में मानसून की अच्छी बारिश होने पर यहां खेतों में होने वाली मतीरे की फसल भी इनका पसंदीदा भोजन है। ये पक्षी अधिकतर तालाबों के किनारे व खुले मैदान में रहते हैं। यह करीब पांच से छह माह तक भारत में रहने के पश्चात् यहां गर्मी के साथ ही पुन: अपने घरों की ओर लौट जाते हैं।
अकाल के बाद नहीं दिखतीं कुरजां
कुरजां पक्षी अक्सर अच्छी बारिश होने पर यहां देखे जाते हैं। क्षेत्र में अकाल की स्थिति में यहां रण क्षेत्र, तालाबों व खड़ीनों में पानी की आवक नहीं होने के कारण ये विदेशी पक्षी यहां कम ही दिखते हैं। अच्छी बरसात के बाद तालाबों व जलभराव स्थल पर जलक्रिड़ाएं करते व सुबह के समय तालाब के किनारे खुले मैदान में झुण्ड के रूप में देखे जा सकते हैं। इस वर्ष क्षेत्र में हुई बारिश के कारण कई तालाबों, खड़ीनों व जलभराव क्षेत्रों में गत एक माह से इन विदेशी पक्षियों के झुण्ड रामदेवरा गांव के जैन मंदिर, सोहनसिंह की ढाणी स्थित नाडी व मावा गांव स्थित तालाब में देखे जा सकते है।ं

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