तकनीकी शिक्षा और शोध गुणवत्ता में गिरावट जारी है। विद्यार्थियों को अच्छी कम्पनियों में प्लेसमेंट नहीं मिल रहा। कॉलेजों में शैक्षिक व्यवस्थाएं प्रभावित है। विद्यार्थियों के लिए गुणवत्तापूर्ण संसाधन नहीं हैं। सह शैक्षिक गतिविधियां भी लगातार घट रही हैं। इसको देखते हुए राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय ने पिछले साल इंजीनियरिंग कॉलेजों को रैंकिंग देने की योजना बनाई। पिछले वर्षों की तरह इस बार भी इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों में 25 से 30 प्रतिशत सीटें खाली हैं।
यह होगा रैङ्क्षकग का आधार -आरटीयू की टीम करेगी कॉलेजों का दौरा -कॉलेजों का मूल्यांकन कर दिए जाएंगे अंक -प्राप्तांकों और परफॉरमेंस के आधार पर रैंकिंग -कॉलेज होंगे टॉप 10, 20 और 50 की सूची में शामिल
-विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर रैंकिंग की सूची कॉलेजों में कमियों की भरमार -अजमेर, बीकानेर, बांसवाड़ा, भरतपुर और अन्य कॉलेज में नहीं प्रोफेसर -कॉलेजों में इंजीनियरिंग ब्रांचों में सिर्फ रीडर और लेक्चरर
-आउटडोर और इन्डोर खेलकूद सुविधाओं का अभाव -कई कॉलेजों के नहीं बन पाए हॉस्टल -इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों में 25 से 30 प्रतिशत सीटें खाली यहां रैकिंग योजना चौपट उच्च शिक्षा विभाग ने वर्ष 2006-07 में कॉलेजों को रैकिंग देने की योजना बनाई थी। प्रायोगिक तौर पर कुछ कॉलेजों को रैंकिंग दी गई। राष्ट्रीय प्रत्यायन एवं मूल्यांकन परिषद (नैक) की ग्रेडिंग की अनिवार्यता के बाद निदेशालय अपनी योजना को भूल गया। कॉलेजों में कम्प्यूटर, प्रोजेक्टर युक्त स्मार्ट क्लास बनाने की योजना भी अधर में है।
टेक्निकल यूनिवर्सिटी द्वारा फिलहाल कोई रैंकिंग नहीं दी गई है। योजना के बारे में जानकारी जरूर है। इससे कॉलेजों को ही फायदा होगा। डॉ. जे. पी. भामू, प्राचार्य इंजीनियरिंग कॉलेज