गौरतलब है कि पीएम मोदी की यह लगातार सातवीं दिवाली थी, जो वे सरहद पर जवानों के साथ मना रहे थे। वे हर बार दिवाली सरहद पर तैनात सुरक्षा प्रहरियों के साथ ही मनाते हैं। उन्होंने जवानों को जीवन में तीन बातों का आग्रह किया जिनमें जीवन में कुुछ नया करने, योग को दिनचर्या का हिस्सा बनाने और अपनी मातृभाषा के साथ एक और भाषा सीखना शामिल है। उन्होंने कहा इन्हें जीवन में अपनाने से वे नई ऊर्जा का संचार महसूस करेंगे।
उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी में भी देश नागरिकों के जीवन रक्षा में जुटा हुआ है, उसकी भी प्रेरणा जवानों से ही मिलती है। इस भरोसे के बूते अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटेगी। उन्होंने कहा कि सेना के परिवाजनों की देशभाल राष्ट्र का दायित्व है। शहीदों के बच्चों की शिक्षा के लिए भी कई फैसले लिए गए हैं। उन्होंने कहा कि भारत समझता है और समझाता है। यदि आजमाने की कोशिश की तो इसका जवाब प्रचंड मिलेगा। यह देश किसी भी कीमत पर रत्ती भर समझौता नहीं करता, यह बात दुनिया जान चुकी है।
लोकल के लिए वोकल बनने की जरूरत
पीएम मोदी ने आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना को बल देते हुए कहा कि देश की सेनानों ने यह फैसला किया है कि 100 से अधिक हथियार व साजो सामान अब विदेश से नहीं मंगवाए जाएंगे। चीन पर कटाक्ष करते हुए कहा कि विस्तारवाद मानसिक विकृति है, जिसके खिलाफ भारत आवाज बुलंद कर रहा है।