scriptमहफूज तो सोनार दुर्ग भी नहीं ! | - No restriction on movement in Sonar fort | Patrika News

महफूज तो सोनार दुर्ग भी नहीं !

locationजैसलमेरPublished: Dec 09, 2019 11:13:20 pm

Submitted by:

Deepak Vyas

– अनजान चेहरों ने बढ़ाई चिंता
– सोनार दुर्ग में आवाजाही पर कोई रोक टोक नहीं

महफूज तो सोनार दुर्ग भी नहीं !

महफूज तो सोनार दुर्ग भी नहीं !

जैसलमेर. करीब 863 वर्ष पुराने जैसलमेर के पुराने सोनार दुर्ग में बेरोकटोक आ रहे अनजान चेहरों ने चिंता बढ़ा दी है। वहां सीसी टीवी कैमरे लगे न ही आवाजाही पर किसी तरह की रोक टोक करने के लिए पुलिस अथवा अन्य कोई गार्ड। दुर्ग में दसियों होटलों तथा अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठान होने के कारण अब देर रात्रि में भी अनजान लोगों की आवाजाही बनी रहती है। इनमें कौन पर्यटक अथवा कामगार की शक्ल में अवांछनीय तत्व हो, कहा नहीं जा सकता। गौरतलब है कि कुछ साल पहले आइएसआइ के लिए जासूसी करने के आरोप में जिस पाकिस्तानी नागरिक नंदू महाराज को एजेंसियों ने पकड़ा था, उसके सोनार दुर्ग में खिंचवाए फोटो सोशल साइट्स पर पाए गए थे। उसने यहां के स्थानीय युवाओं के साथ फेसबुक पर दोस्ती भी गांठ रखी थी। ऐसा फिर कभी न हो, इसके लिए पुलिस से लेकर तमाम एजेंसियों ने कोई प्रयास नहीं किए।
स्थानीय बाशिंदे भी चिंता में
सोनार दुर्ग में करीब तीन हजार लोगों की आबादी निवास करती है और पांच सौ रिहायशी मकान स्थापित हैं। इन्हीं में करीब तीन दर्जन छोटी-बड़ी होटलें तथा रेस्टोरेंट्स व अन्य व्यापारिक प्रतिष्ठान भी आए हुए हैं। दुर्ग की होटलों में ठहरने की ललक अनेक देशी-विदेशी सैलानियों में रहती है। इन होटलों व व्यापारिक प्रतिष्ठानों में बड़ी तादाद में जिले के ग्रामीण क्षेत्रों से लेकर बाहरी राज्यों के युवा काम कर रहे हैं। वे स्थानीय बाशिंदों के लिए प्राय: अनजान चेहरे ही होते हैं। पर्यटन के कारण दिन और शाम के अलावा देर रात्रि के समय भी बाहरी लोगों की दुर्ग के गली-मोहल्लों में आवाजाही दुर्गवासियों के माथे पर भी चिंता की सिलवटें डाल रही है।
नहीं लगे कैमरें
दुर्ग की घाटियों और भीतरी भागों में सीसी टीवी कैमरों की निगरानी व्यवस्था की जरूरत पिछले कई वर्षों से महसूस की जा रही है। इसके बावजूद सरकारी तंत्र की नींद खुलने का नाम नहीं ले रही। बताया जाता है कि कुछ साल पहले दुर्ग के प्रतिनिधियों ने बीएसएनएल के अधिकारी के सामने यह मसला उठाया था। उन्होंने दुर्ग की घाटियों व प्रमुख स्थानों पर कैमरे लगवाने का भरोसा भी दिलाया, लेकिन बात वहीं की वहीं रह गई। मौजूदा समय में दुर्ग के जैन मंदिरों, लक्ष्मीनाथ मंदिर, हवा प्रोल पर पैलेस की दीवार आदि के अलावा चंद होटलों के बाहरी भाग में ही कैमरे संबंधित लोगों ने लगवाए हुए हैं। बाकी ऐतिहासिक दुर्ग का सारा हिस्सा तीसरी आंख की निगरानी से बाहर है। दुर्ग के प्रवेश द्वार अखे प्रोल से लेकर दशहरा चौक तक में रात में चौकसी का कोई इंतजाम नहीं किया गया है और न ही यहां कभी पुलिस अथवा होमगार्ड के जवान गश्त लगाते हैं।
कार्मिकों की पहचान नहीं
सोनार दुर्ग में स्थित होटलों, रेस्टोरेंट्स, हैंडीक्राफ्ट आदि प्रतिष्ठानों में काम करने वाले कार्मिकों की पहचान जाहिर करने के लिए उन्हें परिचय पत्र जारी करने की योजना भी सिरे नहीं चढ़ पाई। इन प्रतिष्ठानों में आए दिन स्टाफ बदल जाता है। पुलिस और सीआइडी आदि की टीमें भी समय-समय पर होटलों-धर्मशालाओं में जांच पड़ताल के अभियान में दुर्ग का रुख कम ही करते हैं। कई बार दुर्ग में रात्रिकालीन गश्त अथवा चौकसी के संबंध में सरकारी और गैरसरकारी स्तर पर विचार विमर्श भी हुआ, लेकिन यह सारी कवायद जमीन पर नहीं उतर सका।
फैक्ट फाइल-
-863 वर्ष पुराना है जैसलमेर का ऐतिहासिक सोनार दुर्ग
– 3 हजार लोगों की आबादी निवास करती है यहां किले में
-500 रहवासी मकान है सोनार दुर्ग के विभिन्न मोहल्लों में
-5 लाख के करीब सैलानी वर्ष भर भ्रमण करते है किले का
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