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जैसलमेर

थर्रा उठी थी जमीन! जब भारत ने किए थे सिलसिलेवार परमाणु परीक्षण

22 साल पहले पोकरण ( Nuclear Test in Pokhran ) की धरा पर किए गए परमाणु परीक्षणों से भारत की ताकत की धाक पूरी दुनिया में साबित हो गई। 11 व 13 मई 1998 को तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी ( Atal Bihari Vajpayee ) सरकार ने पोकरण की शक्ति व भक्ति की धरा पर सिलसिलेवार परमाणु परीक्षण ( Nuclear Test 1998 ) किए थे…

जैसलमेरMay 11, 2020 / 12:45 pm

dinesh

जैसलमेर/पोकरण। 22 साल पहले पोकरण ( Nuclear Test in Pokhran ) की धरा पर किए गए परमाणु परीक्षणों से भारत की ताकत की धाक पूरी दुनिया में साबित हो गई। क्षेत्र के बाशिंदों के सीने आज भी उस उपलब्धि पर फूल जाते हैं। 11 व 13 मई 1998 को तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी ( Atal Bihari Vajpayee ) सरकार ने पोकरण की शक्ति व भक्ति की धरा पर सिलसिलेवार परमाणु परीक्षण ( Nuclear Test 1998 ) किए थे। पोकरण फिल्ड फायरिंग रेंज में खेतोलाई गांव के निकट किए गए परमाणु धमाकों के बाद विश्वस्तर पर पहचान बना चुके पोकरण उपखण्ड के खेतोलाई गांव के लोग आज भी उस शौर्य व शक्ति दिवस की याद कर अपने आप को गौरवान्वित महसूस करते हैं। गौरतलब है कि प्रथम परमाणु परीक्षण जिसे इन्दिरा गांधी सरकार के कार्यकाल में अंजाम दिया गया था, वह 18 मई 1974 को पोकरण क्षेत्र में ही किए गए थे। इस तरह से भारत को परमाणु शक्ति संपन्न देशों की श्रेणी में खड़ा करने का गौरव हमेशा के लिए पोकरण के साथ जुड़ गया है।
थर्रा उठी थी जमीन ( pokhran nuclear test story )
पत्रिका की टीम 22 वर्ष पूर्व हुए परमाणु परीक्षण के हालात की जानकारी लेने खेतोलाई गांव पहुंची, तो ग्रामीणों ने जो बताया उससे स्पष्ट पता चला कि पोकरण फिल्ड फायरिंग रेंज के सबसे नजदीकी गांव खेतोलाई को कितना गुप्त रखा गया तथा उन्हें भी इस बात की भनक नहीं लगने दी गई कि भारत सरकार परमाणु परीक्षण करने जा रही है। गांव के बुजुर्ग 22 वर्ष पुराने अनुभवों को साझा करते हुए बताते हैं कि रेंज नजदीक होने के कारण यहां फायरिंग के दौरान आए दिन सामान्य तौर पर धमाके होते रहते है, लेकिन 11 मई 1998 को सुबह नौ बजे गांव में सेना के अधिकारी व जवान आए तथा ग्रामीणों को घर-घर सूचना दी कि दोपहर 12 बजे से अपराह्न तीन बजे तक वे पक्के मकानों व पत्थर की पट्टियों के छत से बने मकानों के अंदर नहीं बैठे और वे घरों से बाहर पेड़ों की छांव में ही बैठे क्योंकि आज रेंज में बड़ा धमाका होने वाला है। जिससे किसी को नुकसान नहीं हो। गांव के अंदर चप्पे चप्पे पर आर्मी के जवान खड़े थे। गांव के प्रत्येक गली मोहल्ले में सेना की गाडिय़ां घूम रही थी तथा ग्रामीणों को घरों के अंदर नहीं बैठने के लिए समझाया जा रहा था। ग्रामीणों ने भी सेना के अधिकारियों की बात को मानते हुए अपने दैनिक कार्य जल्दी निपटाकर 12 बजे बाद अपने बाल बच्चों सहित घरों के बाहर पेड़ों की छांव में डेरा डाल दिया। करीब पौने तीन बजे तेज धमाका हुआ तथा गांव से उत्तर दिशा की तरफ करीब दो किमी दूर पोकरण फिल्ड फायरिंग रेंज की तरफ आसमान में धुंए का गुबार उड़ता दिखाई दिया। तेज बम के धमाके से गांव सहित आसपास क्षेत्र की जमीन थर्रा उठी। भूमि में हुए कंपन्न के साथ मकानों में रखा सामान नीचे गिर गया तथा कई मकानों व भूमिगत टांकों में दरारें भी आ गई। धमाके के 15 मिनट बाद ही सभी सेना के अधिकारी व जवान गाडिय़ों में सवार होकर गांव में बिना कुछ बताए ही फिल्ड फायरिंग रेंज की तरफ चले गए। कुछ ही देर बाद जब टीवी चैनलों व रेडियों पर प्रधानमंत्री ने पोकरण फिल्ड फायरिंग रेंज में किए गए परमाणु परीक्षण करने की जानकारी दी, उसी दिन खेतोलाई गांव सुर्खियों में आ गया।
आशाएं, जो आज भी हैं अधूरी
परमाणु परीक्षण के बाद पोकरण के साथ-साथ खेतोलाई को भी एक नई पहचान मिली, लेकिन 22 वर्ष पूर्ण हो जाने के बाद गांव में हालात आज भी जस के तस है। ग्रामीणों को इस बात का दर्द है कि जिस तेजी से गांव ने विश्वस्तर पर अपनी पहचान स्थापित की, गांव में देखते ही देखते बड़े से बड़े सैन्य अधिकारियों, नेताओं, वैज्ञानिकों, प्रशासनिक अधिकारियों व मीडिया के लोगों का जमावड़ा लग गया, लेकिन विश्वस्तर पर चर्चित रहे इस गांव में सुविधाओं का आज भी टोटा है। ग्रामीणों का कहना है कि परमाणु परीक्षण स्थल से सबसे नजदीक गांव खेतोलाई को देश के प्रधानमंत्री की ओर से गोद लेने की कई बार मांग की गई, लेकिन न तो ऐसा कभी केन्द्र सरकार ने सोचा है, न ही यहां सुविधाओं का विस्तार व विकास कार्य हुए है, जो खेतोलाई को परमाणु शक्ति स्थल की पहचान दिला सके। ग्रामीणों का मानना हैै कि क्षेत्र में व्यक्तियों व पशुओं में चर्म रोग, कैंसर, पशुओं में गांठे, गर्भपात जैसी बीमारियां देखने को मिल रही है।
शक्तिस्थल योजना भी नहीं हुई फलीभूत
परमाणु परीक्षण की पहचान को चिरस्थायी बनाए रखने और पोकरण को पर्यटनस्थल के रूप में विकसित करने के लिए स्थानीय जैसलमेर रोड स्थित खादी ग्रामोद्योग भवन में जिला प्रशासन की ओर से शक्तिस्थल के नाम से कुछ मॉडल विकसित कर यहां विशेष रूप से परमाणु संयंत्र के मॉडल को तैयार किया गया, लेकिन यह स्थल विकास के अभाव में अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतर पाया है।

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