scriptडोडा पोस्त पर सरकारी प्रतिबंध बेअसर | Doda ineffective government ban on poppy | Patrika News
जैसलमेर

डोडा पोस्त पर सरकारी प्रतिबंध बेअसर

-शहर और गांवों में फैला है तंत्र- 3200 से 4500 रुपए प्रति किलो के भाव से बिक रही डोडा पोस्त

जैसलमेरAug 10, 2016 / 12:30 pm

shantiprakash gour

Nasamukti camp

Nasamukti camp

जैसलमेर. डोडा पोस्त पर राजस्थान में गत 1 अप्रेल से पूर्णतया प्रतिबंध लगाए जाने के बावजूद यह नशीले पदार्थ जैसलमेर शहर और जिले के ग्रामीण इलाकों में धड़ल्ले से बिक रहे हैं। राजस्थान पत्रिका की ओर से की गई पड़ताल में यह पाया गया है कि आसपास के जिलों और राज्यों से तस्करी के माध्यम से डोडा पोस्त न केवल आसानी से जैसलमेर पहुंच रहा है, बल्कि तयशुदा ठिकानों पर बिक भी रहा है। इस संबंध में अभी तक पुलिस और आबकारी विभाग के हाथ अवैध रूप से डोडा पोस्त की बिक्री करने वाले लोगों तक नहीं पहुंच पाए हैं। रोक से पहले डोडा पोस्त के सरकारी भाव 1250 रुपए प्रति किलो थे जबकि अब तस्करी के जरिए यहां आकर डोडा पोस्त 3200 से 4500 रुपए प्रति किलो के भाव से बिक रहा है। हाल में हनुमानगढ़ पुलिस की दबिश में पकड़े गए पंजाब के डोडा पोस्त का नशा करने वाले लोगों के पास 145 किलो माल बरामद किया गया था, जो उन्होंने बाप गांव के एक तस्कर से खरीदा था। ऐसे ही नागौर पुलिस की ओर से भी 30 किलो डोडा पोस्त के साथ तस्करों को पकड़े जाने की जानकारी मिली थी। डोडा पोस्त के एक पुराने तलबगार ने पहचान उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया कि सरकार की रोक के बाद उन्हें ज्यादा दाम चुकाकर नशा करना पड़ रहा है। एक तलबगार ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उसने एक दिन पहले ही नशा किया है और अब भी ज्यादा दाम चुकाकर डोडा पोस्त मिल रहा है।
नशे की जगह दवाइयों का इस्तेमाल

डोडा पोस्त पर प्रतिबंध के बाद जहां इसकी तस्करी और चोरी-छिपे बिक्री की वारदातों में बढ़ोतरी का दौर है वहीं कई ऐसे तलबगार हैं जो नशा नहीं मिलने से दवाइयों का सेवन कर रहे हैं। जानकारी के अनुसार तलबगार नशे की अन्य दवाइयों को मेडिकल स्टोर से खरीद कर उनका सेवन कर रहे हैं। बताया जाता है कि टेबलेट और कैप्सूल के आकार में मिलने वाली ये नशीली दवाइयां तलबगारों को प्रतिमाह 1000 से 2000 रुपए खर्च करने के बाद मिलती है। इस प्रकार की दवाइयां कुछ केमिस्ट अवैध रूप से बेच रहे हैं।
उद्देश्य में सफल नहीं हो पा रहे शिविर

डोडा पोस्त का नशा छुड़ाने के लिए ‘नया सवेरा’ अभियान के अंतर्गत गांव-कस्बों में चलाए जा रहे नशामुक्ति शिविर भी अब तक अपने उद्देश्य में कामयाब होते नजर नहीं आ रहे। इन शिविरों में बहुत कम संख्या में तलबगार भर्ती होने पहुंच रहे हैं और जो पहुंच भी रहे हैं, उन्हें आसानी से डोडा पोस्त मिल जाने के कारण वे शिविर में उपचार के दौरान अथवा उसके तुरंत बाद पुन:नशे की गिरफ्त में चले जाते हैं। जिले में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में इस वर्ष 25 शिविर आयोजित किए जाने हैं। डॉ. यश तिवारी ने बताते हैं कि 60-65 वर्ष से अधिक आयु वाले तलबगारों को नशा मुक्ति शिविरों में भर्ती नहीं किया जाता, क्योंकि उनका शरीर अब तक पूरी तरह से नशे पर निर्भर हो चुका है।
फैक्ट फाइल –

– 1029 जने जिले में डोडा-पोस्त के परमिटधारी थे

– 1 अप्रेल से डोडा-पोस्त की बिक्री पर लगी है रोक

-7 हजार किलो प्रतिमाह खपत होती थी

– 25 नशामुक्ति शिविर लगाए जाने हैं जिले में 
– 15 दिन तक चलता है शिविर

रोकथाम का प्रयास

अवैध रूप से डोडा पोस्त बिक्री की जानकारी मिलने पर हमारी टीम कार्रवाई करती है।आबकारी विभाग डोडा पोस्त की अवैध बिक्री पर रोकथाम के लिए प्रयास कर रहा है।
-बुद्धिप्रकाश मीना, जिला आबकारी अधिकारी, जैसलमेर

Home / Jaisalmer / डोडा पोस्त पर सरकारी प्रतिबंध बेअसर

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो