नशे की जगह दवाइयों का इस्तेमाल डोडा पोस्त पर प्रतिबंध के बाद जहां इसकी तस्करी और चोरी-छिपे बिक्री की वारदातों में बढ़ोतरी का दौर है वहीं कई ऐसे तलबगार हैं जो नशा नहीं मिलने से दवाइयों का सेवन कर रहे हैं। जानकारी के अनुसार तलबगार नशे की अन्य दवाइयों को मेडिकल स्टोर से खरीद कर उनका सेवन कर रहे हैं। बताया जाता है कि टेबलेट और कैप्सूल के आकार में मिलने वाली ये नशीली दवाइयां तलबगारों को प्रतिमाह 1000 से 2000 रुपए खर्च करने के बाद मिलती है। इस प्रकार की दवाइयां कुछ केमिस्ट अवैध रूप से बेच रहे हैं।
उद्देश्य में सफल नहीं हो पा रहे शिविर डोडा पोस्त का नशा छुड़ाने के लिए ‘नया सवेरा’ अभियान के अंतर्गत गांव-कस्बों में चलाए जा रहे नशामुक्ति शिविर भी अब तक अपने उद्देश्य में कामयाब होते नजर नहीं आ रहे। इन शिविरों में बहुत कम संख्या में तलबगार भर्ती होने पहुंच रहे हैं और जो पहुंच भी रहे हैं, उन्हें आसानी से डोडा पोस्त मिल जाने के कारण वे शिविर में उपचार के दौरान अथवा उसके तुरंत बाद पुन:नशे की गिरफ्त में चले जाते हैं। जिले में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में इस वर्ष 25 शिविर आयोजित किए जाने हैं। डॉ. यश तिवारी ने बताते हैं कि 60-65 वर्ष से अधिक आयु वाले तलबगारों को नशा मुक्ति शिविरों में भर्ती नहीं किया जाता, क्योंकि उनका शरीर अब तक पूरी तरह से नशे पर निर्भर हो चुका है।
फैक्ट फाइल – – 1029 जने जिले में डोडा-पोस्त के परमिटधारी थे – 1 अप्रेल से डोडा-पोस्त की बिक्री पर लगी है रोक -7 हजार किलो प्रतिमाह खपत होती थी – 25 नशामुक्ति शिविर लगाए जाने हैं जिले में
– 15 दिन तक चलता है शिविर रोकथाम का प्रयास अवैध रूप से डोडा पोस्त बिक्री की जानकारी मिलने पर हमारी टीम कार्रवाई करती है।आबकारी विभाग डोडा पोस्त की अवैध बिक्री पर रोकथाम के लिए प्रयास कर रहा है।
-बुद्धिप्रकाश मीना, जिला आबकारी अधिकारी, जैसलमेर