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इस हाल में ग्राम विकास के दावे कितने सच्चे?

-जिले में 44 फीसद पंचायतों में ही ग्रामसेवक कार्यरत, पंचायतों का कामकाज हो रहा प्रभावित

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जैसलमेर. ग्राम विकास को लेकर केन्द्र और राज्य सरकारें कितने ही बढ़-चढक़र दावे करें, लेकिन जमीनी स्तर पर हकीकत दूसरी ही नजर आ रही है। विशाल भूभाग में फैले मरुस्थलीय जैसलमेर जिले में ग्राम विकास की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी ग्राम पंचायतों के कामकाज को संभालने के लिए महज ४४ फीसदी ग्रामसेवक ही कार्यरत हैं, वहीं ५६ फीसदी ग्राम पंचायतें स्थानापन्न आधार पर संचालित की जा रही हैं। जिले में ग्रामसेवकों की कमी विगत कईवर्षों से बदस्तूर कायम है, जबकि सरकार ने आबादी और क्षेत्र के आधार पर एक दर्जन नई ग्राम पंचायतों का सृजन और कर दिया।

यह है मौजूदा स्थितियां

जिले की तीन पंचायत समितियों में कुल १४० ग्राम पंचायतें अस्तित्व में हैं। इनमें जैसलमेर और सांकड़ा समिति में 44-44 तथा सम समिति में ५२ पंचायतें समाहित हैं। जैसलमेर समिति में १६, सम में २७ और सांकड़ा में १८ ग्राम सेवक यानि कुल ६१ ग्रामसेवक ही कार्यरत हैं। ग्रामसेवकों की यह कमी कोई नई बात नहीं है बल्कि विगत कई वर्षों से निरंतर संकट की हालत में है। ऐसे हालात में विकास अधिकारी ग्रामसेवक विहीन पंचायत में किसी तरह कार्य संचालन के लिए कहीं कनिष्ठ लिपिक तो कहीं पंचायत प्रसार अधिकारी को ग्रामसेवक का कार्यभार देकर काम चला रहे हैं, जबकि कईग्रामसेवकों को एक से अधिक पंचायतों का अतिरिक्त प्रभार सौंप कर व्यवस्थाओं के संचालन का प्रयास किया जा रहा है। यही कारण है कि ग्राम पंचायतों के प्रशासनिक कामकाज से लेकर आम ग्रामीणों के बुनियादी कार्यों के निष्पादन तक में समस्याएं पेश आ रही हैं, वहीं जिस ग्रामसेवक को एक से अधिक पंचायतों का कार्यभार दिया गया है उससे उनकी कार्यक्षमता भी प्रभावित हुए बिना नहीं रहती।

2011 के बाद से नहीं हुई नई भर्ती

जानकारी के अनुसार जैसलमेर जिला स्तर पर वर्ष २०११ में अंतिम बार ग्राम सेवकों की भर्ती परीक्षा के आधार पर की गई थी। उससे पहले 2008 में ग्रामसेवक लिए गए थे। गत 5 वर्ष में ग्रामसेवकों की नई भर्ती नहीं की गई है। बताया जाता है कि जिला परिषद की ओर से जिले में ७७ नए ग्रामसेवकों की भर्ती के लिए राज्य सरकार को प्रस्ताव भिजवाया हुआ है। सरकार की ओर से स्वीकृति का इंतजार किया जा रहा है। लंबे समय से ग्रामसेवकों के रिक्त पदों की समस्या बनी हुई है, बावजूद इसके जिम्मेदारों का ध्यान अभी तक इस ओर नहीं गया है।

वैकल्पिक व्यवस्था से चला रहे काम

जिले में ग्रामसेवकों की पद रिक्तता की समस्या से पंचायतों के कामकाज में परेशानियां पेश आती हैं। हालांकि पंचायतीराज अधिकारियों की ओर से वैकल्पिक व्यवस्था से काम चलाया जा रहा है। जहां तक नई भर्ती का सवाल है, यह राज्य सरकार के स्तर पर प्रक्रिया में है। इसमें अभी समय लगेगा। नईभर्ती होने से ही जैसलमेर को मांग के अनुरूप ग्रामसेवक मिलने की उम्मीद है।

-नारायणसिंह तंवर, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जिला परिषद जैसलमेर