गत कुछ वर्षों से जिले में कम बारिश के कारण अकाल की स्थिति है। सरोवरों में पानी की कमी तथा कड़ाके की ठण्ड नहीं होने के कारण कुरजाओं का जैसलमेर जिले में प्रवास कम नजर आया, लेकिन वर्ष 2019 में जिलेभर में अच्छी बारिश होने के कारण क्षेत्र के सरोवरों में पानी भरा हुआ है। इसी के कारण इस वर्ष कुरजाओं की अधिक आवक नजर आई। जिले में दर्जनों स्थानों पर कुरजा अपना पड़ाव डालती है। इस वर्ष क्षेत्र के लाठी के पास डेलासर, सोढ़ाकोर, खेतोलाई तालाब, भणियाणा के भीम तालाब, रामदेवरा के मावा सहित कई तालाबों पर सैंकड़ों की तादाद में कुरजाओं ने अपना पड़ाव डाला। जिससे ये तालाब कुरजाओं की कलरव से गूंजते नजर आए।
प्रवासी पक्षी कुरजां वजन में करीब दो से ढाई किलो की होती है तथा यह पानी के आसपास खुले मैदानों व समतल जमीन पर ही अपना अस्थायी डेरा डालकर रहती है। इन पक्षियों का मुख्य भोजन वैसे तो मोतिया घास होता है तथा पानी के किनारे पैदा होने वाले कीड़े मकोड़ों को खाकर भी अपना पेट भरती है एवं खेतों में होने वाला मतीरा भी इनका पसंदीदा भोजन माना जाता है। इन पक्षियों की पसंदीदा जगह खुले मैदान होते है। यह करीब छह-सात माह तक भारत में रहने के पश्चात् यहां गर्मी के साथ ही पुन: अपने घरों की ओर लौट जाती है।
गत सितम्बर से अक्टूबर माह तक क्षेत्र में सैंकड़ों कुरजाओं ने अपना पड़ाव डाला था। फरवरी माह के दूसरे पखवाड़े में इनकी वतन वापसी का दौर शुरू हो गया है। इस बार विशेषज्ञों की ओर से इन पर शोध भी किया गया तथा कई नई कुरजाएं भी नजर आई।
राधेश्याम पेमाणी, वन्यजीवप्रेमी व संयोजक अखिल भारतीय जीवरक्षा विश्रोई सभा, पोकरण।