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अनदेखी से सिरे नहीं चढ़ पाई सिद्धि कलश वाटिका योजना, डेढ़ दशक से इंतजार

locationजैसलमेरPublished: Jun 04, 2021 12:03:33 am

Submitted by:

Deepak Vyas

– जिम्मेदारों की तरफ से ध्यान नहीं देने से बनी निराशाजनक स्थिति- तत्कालीन जिला कलेक्टर केके पाठक की पहल पर हुई थी शुरुआत

अनदेखी से सिरे नहीं चढ़ पाई सिद्धि कलश वाटिका योजना, डेढ़ दशक से इंतजार

अनदेखी से सिरे नहीं चढ़ पाई सिद्धि कलश वाटिका योजना, डेढ़ दशक से इंतजार

रामदेवरा. धार्मिक स्थली रामदेवरा में स्थित पवित्र रामसरोवर तालाब की पाल पर वर्षों पूर्व बाबा रामदेव की समाधि के दर्शनों के लिए आने वाले श्रद्धालुओं के आकर्षण के लिए बनाई जा रही सिद्धि कलश वाटिका की योजना डेढ़ दशक से सिरे नहीं चढ़ पाई है। जिम्मेदारों की अनदेखी के कारण यहां पूर्व में करवाए गए निर्माण कार्य भी दुर्दशा का शिकार हो रहे है। तत्कालीन जिला कलक्टर केके पाठक की ओर से सिद्धि कलश वाटिका योजना बनाई गई थी। जिस पर उस समय हजारों रुपए की धनराशि भी खर्च की गई और यहां कुछ निर्माण कार्य करवाए गए। जिला कलक्टर का तबादला होने के साथ योजना भी ठंडे बस्ते में चली गई। उनके बाद आए अधिकारियों ने इस योजना को लेकर कोई ध्यान नहीं दिया। दिसंबर 2020 में जब तत्कालीन जिला कलक्टर व वर्तमान में महिला एवं बाल विकास शासन सचिव, जैसलमेर जिले के प्रभारी सचिव केके पाठक रामदेवरा दौरे पर आए, तो उन्होंने कहा कि रामसरोवर की पाल पर निर्मित सिद्धि कलश वाटिका का नए सिरे से सौंदर्यीकरण कार्य करवाया जाए, ताकि यहां आने वाले श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधा मिल सके। केके पाठक जैसलमेर जैसलमेर जिले के जिला कलेक्टर थे। तब उन्होंने रामदेवरा कस्बे का विकास करने के उद्देश्य से रामसरोवर तालाब की पाल पर सिद्धि कलश वाटिका का निर्माण कार्य शुरू करवाया था ताकि बाबा रामदेव की समाधि के दर्शन करने के पश्चात लोग राम सरोवर तालाब पर नहाने के बाद अपने परिवार जनों के साथ यहां बैठकर शांति के साथ कुछ पल बिता सकें। इसके लिए यहां पर एक वाटिका तैयार की गई थी। वह सिद्धि कलश स्थापित किया गया था। जिसमें कोई भी श्रद्धालु अपनी श्रद्धा व आस्था के अनुसार इसमें दान दे सकता था, लेकिन उनके स्थानांतरण होने के पश्चात सिद्धि कलश वाटिका योजना अभी भी अधूरी पड़ी है। प्रदेश के बड़े धार्मिक स्थल के रूप में रामदेवरा धार्मिक स्थल के रूप में शुमार है। देशभर से लाखों लोग यहां पर समाधि के दर्शन करने आते हैं। रामदेवरा दर्शनों के बाद श्रद्धालुओं के लिए किसी प्रकार का पार्क आदि की सुविधा उपलब्ध नहीं हैं। जिसके चलते श्रद्धालु समाधि दर्शन के बाद अपने गतव्य स्थलों की तरफ लोंट जाते हैं।
जैसलमेर के पत्थरों से हुआ था निर्माण
रामदेवरा कस्बे के रामसरोवर के उत्तर दिशा में घाट पर सन 2006-07 में ग्राम पंचायत के सहयोग से जैसलमेर की पीले पत्थरों से सिद्धि कलश योजना का निर्माण कार्य शुरू किया गया। निर्माण कार्य के दौरान पीले पत्थरों के गुबंद लगाकर और पीले पत्थरों से बने कलश को गुबंद के बीच में स्थापित किया गया । पीली पत्थरों का उपयोग करने से सिद्धि कलश का निर्माण कार्य आकर्षक दिखाई देने लगा। जैसलमेर जिला के तत्कालीन जिला कलेक्टर केके पाठक की परिकल्पना थी कि सिद्धि कलश का पूरा निर्माण कार्य जैसलमेर के पीले पत्थरों से हो। जिससे कि यहां आए हुए श्रद्धालु सिद्धि कलश की ओर शीघ्र ही आकर्षित हो, लेकिन जैसलमेर जिला कलेक्टर का जैसलमेर से स्थानांतरण होने के बाद सिद्धि कलश की योजना धीरे धीरे कागजों में ही सिमट गई। ग्राम पंचायत के अलावा अन्य किसी प्रकार का बजट नहीं मिलने से सिद्धि कलश योजना का निर्माण कार्य भी जहां रुक गया। वही सिद्धि कलश को
दुर्दशा का शिकार
रामदेवरा के रामसरोवर के उत्तरी दिशा में तत्कालीन जिला कलेक्टर व वर्तमान में महिला व बाल विकास के प्रमुख शासन सचिव के.के. पाठक ने रामदेवरा में सन 2006-07 के दौरान रामसरोवर के उतर दिशा में बने पाल पर सिद्धि कलश वाटिका योजना शुरू कराई थी।इस योजना के तहत यात्रियों को बाबा रामदेव के जीवन चरित से जुड़ी जानकारियां उपलब्ध कराने, पार्क बनवाने की योजना थी। सिद्धि कलश योजना में बनने वाली निर्माण के तहत चार गुबंद के बीच वाले हिस्से में एक आकर्षक कलश की स्थापना भी की गई। जिसमें श्रद्धालु अपनी इच्छा से कोई भी राशि दान के रूप में डाल सकते थे।लेकिन तत्कालीन जिला कलेक्टर के तबादला होने के कुछ समय बाद असमाजिक तत्वों के द्वारा कलश को कई बार तोड़ कर बिखेर दिया। वर्तमान में सिद्धि कलश वाटिका के कलश का मलबा तक मौजूद नहीं है। वहीं सिद्धि कलश के निर्माण में लगाए पीले पत्थरो के पोल में कई पोल टूटे पड़े हैं। जिसकी कोई सुध नहीं लेने वाला है। इतना ही नहीं सिद्धि कलश वाटिका योजना स्थल पर लंबे समय तक शाम होते ही शरारती तत्वों का जमावड़ा हो जाता था। असामाजिक तत्वों ने एक नहीं कई बार कलश को तोड़ा। इसके बावजूद प्रशासन आज तक सिद्धि कलश वाटिका योजना की कभी सुध नहीं ले पाया।
….लेकिन सिद्धि कलश वाटिका योजना के दिन नहीं फिरे
जैसलमेर मे जिला कलेक्टर केके पाठक के बाद भी कई जिला कलेक्टर जैसलमेर जिले में आए और गए लेकिन किसी भी जिला कलेक्टर ने सिद्धि कलश वाटिका योजना को पूर्ण करवाने को लेकर कोई प्रयास किए होते तो आज सिद्धि कलश वाटिका योजना पूर्ण हो जाती।वर्तमान में अनदेखी के चलते सिद्धि कलश वाटिका योजना दुर्दशा का शिकार हो रखी है। निर्माण कार्य के कई गुबंद जमीन पर गिरकर टूट चुके हैं। निर्माण सामग्री दिन प्रतिदिन टूट कर गिर रही हैं।
मुख्यमंत्री के बजट से सिद्धि कलश योजना को लग सकते हैं पंख
इस साल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के द्वारा रामदेवरा के विकास के तहत दो करोड़ का जो बजट देने की घोषणा की है। उस बजट से रामदेवरा की सिद्धि कलश वाटिका की इस योजना को नए सिरे से शुरू करने का कार्य प्रारंभ हो सकता है।जरूरत है तो इस और जिला प्रशासन और स्थानीय प्रशासन के द्वारा संयुक्त रूप से प्रयास करने की।
फैक्ट फाइल-
– 50 लाख श्रद्धालुओं का होता है आगमन
– 5 लाख रुपए का योजना में ग्राम पंचायत ने दिया था सहयोग
– 120 किमी दूर है रामदेवरा जिला मुख्यालय से
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