जैसलमेर

सफाई व्यवस्था में जैसलमेर के हालात ख़राब, रैंकिंग में मिला यह स्थान

ये क्या 896 वें स्थान पर हमारी स्वर्णनगरी !- स्वच्छ सर्वेक्षण 2018 :स्वच्छता एप के आधार पर रैंकिंग- स्वच्छता अभियान में खर्च किए गए करोड़ों नहीं आए काम

जैसलमेरJun 25, 2018 / 01:40 pm

Deepak Vyas

swacchta survey 2018 Jaisalmer at 896th place

जैसलमेर. पर्यटकों के पसंदीदा स्थल और देश के अहम ऐतिहासिक शहरों में शुमार जैसलमेर स्वच्छ शहरों की दौड़ में पिछड़ गया है। स्वच्छ भारत अभियान के तहत स्वच्छता एप के आधार पर स्वच्छ सर्वेक्षण – 2018 के तहत करवाई गई रैंकिंग में जैसलमेर को 8 96 वां स्थान प्राप्त हुआ है। यह रैंक एक लाख से कम जनसंख्या वाले देश के करीब 26 00 शहरों में मिली है। जैसलमेर इस मामले में करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद पिछड़ गया है। इस श्रेणी में जैसलमेर राजस्थान स्तर पर भी खासा पीछे रह गया है। एक लाख से कम जनसंख्या वाले राजस्थान के 16 4 शहरों में जैसलमेर 93वें स्थान पर है। स्वच्छता सर्वेक्षण में जैसलमेर को प्राप्त अंकों का योग 28 .8 5 रहा है। जिले की एक अन्य नगरपालिका पोकरण का प्रदर्षन जैसलमेर मुख्यालय से भी कमजोर है। पोकरण देश में 1101वें स्थान पर आया है। उसे प्राप्त अंकों का योग 22.93 प्रतिशत है। दूसरी ओर पड़ोसी बाड़मेर की रैंक 773 और बालोतरा की रैंक 6 04 रही।
प्रयास तो किए लेकिन…
जैसलमेर नगरपरिषद ने स्वच्छता अभियान में बढ़-चढक़र भागीदारी के लिए शहर में माहौल तो बनाया। कई कार्यक्रम भी किए। करीब 6 2 लाख रुपए खर्च कर सीवरजेट मशीनें किराए पर मंगवाकर नालों की सफज्ञई करवाई गई। शहर के मुख्य मार्गों तथा प्रमुख स्थलों पर रात्रिकालीन सफाई व्यवस्था भी की गई। शहर भर में विषालकाय हॉर्डिंग लगाकर प्रचार भी किया गया। इसके अलावा घर-घर कचरा संग्रहण के लिए 10 टैक्सी वाहन खरीदे गए तथा हजारों की संख्या में कचरा संग्रहण करवाने को घर-घर बाल्टियों व कपड़े थैलों का वितरण करवाया गया।
पत्रिका व्यू: नाकामी के ये रहे कारण
-जैसलमेर नगरपरिषद क्षेत्र में सफाई व्यवस्था की माकूल मोनेटरिंग नहीं हो पाई
-परिषद में सेनेट्री इंस्पेक्टर का पद रिक्त चल ही रहा है। एवजी कर्मचारी को यह काम दिया गया है।
-शहर के बहुत बड़े क्षेत्र में कचरा पात्र नहीं रखवाए जा सके।
-घर-घर कचरा संग्रहण करने वाली टैक्सियों के लिए चालकों की भी पूरी व्यवस्था नहीं है।
-स्वच्छता अभियान के तहत जन जुड़ाव करने में नगरपरिषद विफल साबित हुई। आमजन ने इसे सरकारी कार्यक्रम ही समझा।
फैक्ट फाइल –
-35 वार्ड हैं जैसलमेर नगरपरिषद में
-8 0 हजार है शहर की जनसंख्या
-2013-14 में नगरपालिका से परिषद का हुआ क्रमोन्नयन

प्रयासों में कमी रह गई
इस बात में कोई दो राय नहीं है कि, जैसलमेर को साफ-सुथरा बनाने के प्रयासों में कमी रह गई। परिषद के पास साधनों की कमी नहीं है, मोनेटरिंग की है।इसमें नगरपरिषद प्रषासन नाकाम साबित हुआ।
-रमेश जीनगर, अध्यक्ष, स्वच्छता समिति, नगरपरिषद, जैसलमेर
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