ग्रामीण परिवेश से ताल्लुक रखने वाले जैसलमेर शहर में साधारण परिवार के छात्र देशलदान ने दसवीं की बोर्ड परीक्षा स्थानीय राजकीय माध्यमिक विद्यालय से 91 प्रतिशत से अधिक अंकों से उत्तीर्ण की और स्कूल के टॉपर बने। उसके बाद वे आगे पढ़ाई के लिए कोटा चले गए, जहां से उन्होंने 11वीं व 12वीं की पढ़ाई की तथा बीटेक की प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण कर बाद में इंजीनियर बन गए, लेकिन आईएएस बनना ही उनका सपना था। जिसे उन्होंने साकार कर दिखाया। उनके माता-पिता गवरी देवी और कुशलदान हालांकि आईएएस होने का महत्व ज्यादा नहीं समझते, लेकिन देशलदान को इस लक्ष्य तक पहुंचाने के लिए अपना पूरा समर्थन व आशीर्वाद दिया।
जागरुक बने युवा
स्मार्ट फोन और सोशल प्लेटफार्म पर हमेशा सक्रिय रहने वाले युवाओं को जीवन में आगे बढऩे की प्रेरणा देने के लिए देशलदान का संदेश बेहद स्पष्ट है। उन्होंने कहा कि युवाओं को अपने आसपास के माहौल के प्रति जागरुक रहना चाहिए। सोशल मीडिया पर युवा सक्रिय भले ही रहें, उन्हें उसका सदुपयोग करने की तरफ ध्यान केंद्रित करना चाहिए। किताबें तो पढ़ाई में सहायक होती ही हैं, समाचार पत्र-पत्रिकाओं का नियमित अध्ययन बहुत काम आता है।उन्होंने बताया कि पढ़ाई का समय सभी प्रतियोगियों की अपनी-अपनी क्षमता पर निर्भर करता है लेकिन एकाग्रता के साथ पढ़ाई व जीवन में अनुशासन अत्यंत जरूरी है।
चाय पर होती है देशलदान की चर्चा
यूनियन चौराहा स्थित कुशलदान की चाय की दुकान अब उनके सबसे बड़े बेटे शिवदान चलाते हैं।वहां दिनभर आने वाले ग्राहक अब चाय की चुस्की के साथ देशलदान की सफलता पर चर्चा करते हैं तो शिवदान का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है।शिवदान के अनुसार देशलदान सादा जीवन में विश्वास करते हैं और उनके पास अभी हाल तक एंड्रॉयड फोन तक नहीं था।