जैसलमेर

ऐतिहासिक सोनार दुर्ग पर यातायात व्यववस्था चौपट,यहां न कोई नियम और न ही कोई कायदे

-दशहरा चौक को बना दिया अघोषित वाहन स्टैण्ड

जैसलमेरSep 16, 2018 / 05:51 pm

Deepak Vyas

ऐतिहासिक सोनार दुर्ग पर यातायात व्यववस्था चौपट,यहां न कोई नियम और न ही कोई कायदे

जैसलमेर. यहां हर दिन पहियों तले नियम कुचले जाते हैं और कायदों की किसी को परवाह नहीं। स्वर्णनगरी के ऐतिहासिक सोनार किले पर एक बार फिर अव्यवस्थाएं हावी हो गई है। यहां जिम्मेदारों की लापरवाही के कारण हर दिन नियमों की कमर टूटती है और परेशानी झेलनी को मजबूर है दुर्ग के निवासी। यही नहीं सोनार दुर्ग की घाटियों के पास नियम विरुद्ध आवाजाही करने वाले वाहनों को रोकने नियुक्त यातायात कर्मी भी इन दिनों दिखाई नहीं दे रहे हैं। हकीकत यह है कि दिन में रोक के बावजूद बेधडक़ तिपहिया व चार पहिया वाहन दुर्ग की घाटियों में दौड़ते हैं और कई बार हादसे की स्थिति बन जाती है। दुर्ग की घुमावदार घाटियों में भी कई बार वाहनों का जाम लगने से हादसे की स्थिति बन जाती है। उस पर यातायात कर्मियों की लापरवाही से स्थिति कोढ़ में खाज जैसी हो रही है। इन दिनों दुर्ग की संकड़ी घाटियों पर एक साथ आधा दर्जन टैक्सियांं या फिर लोडिंग गाडियां, बिना किसी रोकटोक के चल रही है। कई बार इनके एक साथ आने से अफरा-तफरा मच जाती है। यूं तो सोनार किले में सुबह 9 बजे से दोपहर 1 बजे तक तिपहिया वाहनों व चार पहिया वाहनों की आवाजाही पर रोक है। यहां दो तिपहिया वाहन चालकों को जन सुविधा के लिहाज से भेजा जा सकता है, लेकिन तिपहिया वाहन व चार पहिया वाहन दुर्ग की घाटियों पर दौड़ते देखे जा सकते हैं।
सैलानियों की आफत, दर्शनार्थी परेशान
पर्यटन सीजन के आगाज के साथ ही सोनार दुर्ग में दिन भर सैलानियों की आवाजाही बनी रहती है। सुबह से दोपहर तक पर्यटकों आवाजाही बनी रहती है। चालू शिक्षण सत्र में भी विद्यार्थियों की दुर्ग से स्कूल पैदल आवाजाही करते हैै। सुबह छात्र-छात्राएं समूह में घाटियों से एक साथ स्कूल जाते हैं, वहीं दुर्ग स्थित लक्ष्मीनाथ मंदिर में आरती में शिरकत करने व बाबा रामदेव मंदिर में दर्शन के लिए सैकड़ों श्रद्धालुओं की आवाजाही दिन भर बनी रहती है।
हकीकत यह भी
– रोक के बावजूद सुबह 9 बजे से लेकर दोपहर 1 बजे तक तिपहिया व चार पहिया वाहनों की आवाजाही बनी रहती है।
-होटल में ग्राहकों को लाने के प्रयास में तिपहिया वाहन दशहरा चौक के आगे गलियों तक टैक्सियां ले आते हैं।
-घाटियों से नीचे उतरते समय वे वाहन को पैट्रोल बचाने के चक्कर में बंद कर ले जाते हैं, जिससे दुर्घटना की आशंका बन जाती है।

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