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कृषि विभाग के कार्मिकों को दिया प्रशिक्षण

locationजैसलमेरPublished: Nov 25, 2020 12:52:20 pm

Submitted by:

Deepak Vyas

पोकरण. कृषि विभाग राजस्थान सरकार के उपनिदेशक कृषि विस्तार, जैसलमेर ने स्थानीय पंचायत समिति सांकड़ा सभागार में फसल अवशेष प्रबंधन विषयक एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया, जिसमें पंचायतीराज विभाग के कार्मिकों ने भाग लिया।

कृषि विभाग के  कार्मिकों को दिया प्रशिक्षण

कृषि विभाग के कार्मिकों को दिया प्रशिक्षण

पोकरण. कृषि विभाग राजस्थान सरकार के उपनिदेशक कृषि विस्तार, जैसलमेर ने स्थानीय पंचायत समिति सांकड़ा सभागार में फसल अवशेष प्रबंधन विषयक एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया, जिसमें पंचायतीराज विभाग के कार्मिकों ने भाग लिया। इस प्रशिक्षण का मुख्य उदेश्य है कि किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के प्रति जागरुक करने के लिए जिले में मास्टर ट्रेनर तैयार करना, ताकि फसल अवशेष को किसानों के लिए सार्थक एवं उपयोगी बनाया जा सके। कृषि विज्ञान केन्द्र पोकरण के पशुपालन विशेषज्ञ डॉ.रामनिवास ढाका ने प्रतिभागियों को बताया की गत एक दशक से खेती में मशीनों का प्रयोग बढ़ा है। साथ ही खेतीहर मजदूरों की कमी की वजह से भी यह एक आवश्यकता बन गई है। जिसकी वजह से फसल अवशेष जैसे कटाई के बाद बचे हुए डंठल तथा गहराई के बाद बचे हुए पुआल, भूसा, तना तथा जमीन पर पड़ी हुई पत्तियों आदि खेत में पड़ा रह जाता है। जिसका समुचित प्रबंधन एक चुनौती है। उन्होंने इस चुनौती से निपटने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के विभिन्न संस्थाओं की ओर से विकसित फसल अवशेष प्रबंधन तकनीकों जैसे त्वरित कम्पोस्टिंग, पशु खाद्य ब्लॉक मशीन, पशुओं के लिए यूरिया उपचारित चारा तकनीक और सुरक्षित खाद्य उत्पादन के लिए पर्यावरण अनुकूल अपशिष्ट जल उपचार, जैव अवशिष्ट प्रबंधन की ओर से अपशिष्ट से संपदा सर्जन, पशु अपशिष्ट से जैव उर्जा उत्पादन तकनीक, वर्मीकल्चर तकनीक से खाद बनाना एवं डेरी अपशिष्ट का मूल्य संवर्धन और घर का कूड़ा खेत का सोना आदि विषयों पर विस्तारपूर्वक चर्चा की। कृषि विज्ञान केंद्र की विषय विशेषज्ञ डॉ.चारू शर्मा ने बताया कि फसल अवशेष को जिस स्थान पर जलाया जाता है वहां की मिट्टी में 100 प्रतिशत नाईट्रोजन, 25 प्रतिशत फोस्पोरस एवं 25 प्रतिशत पोटाश ख़त्म होने के साथ साथ कार्बनिक पदार्थ, सूक्ष्म जीवो इत्यादि के नष्ट होने से भूमि की उर्वराशक्ति में ह्रास होता है। उन्होंने कहा कि फसल अवशेषों का उचित प्रबंधन करके इनका प्रयोग मृदा स्वास्थ्य सुधार, प्रदुषण नियंत्रण, उत्पादकता वृद्धि और टिकाऊ व सहिष्णु खेती में किया जा सकता है। प्रशिक्षण में ताराराम पंवार, सहायक विकास अधिकारी गोकुलसिंह चौधरी, सहायक कृषि अधिकारी जितेन्द्र नागा, सत्यनाराण यादव, सुनीलकुमार और कृषि सुपरवाइजर संदीपसिंह, मंगलसिंह, भवानीशंकर, शहंशाह आदि उपस्थित थे।
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