Video: सेना के जांबाजों के जोश और जुनून से थर्राया मरुस्थल
– सीमा क्षेत्र में भारतीय सेनाओं का संयुक्त युद्धा यास- दक्षिण कमान का अब तक का सबसे बड़ा युद्धा यास
Video: सेना के जांबाजों के जोश और जुनून से थर्राया मरुस्थल
पश्चिमी सीमा से (जैसलमेर). पड़ोसी देश से बमुश्किल 80 किलोमीटर की दूरी पर सीमावर्ती जैसलमेर जिले के मरुस्थलीय इलाके में दक्षिण कमान के अब तक के सबसे बड़े युद्धाभ्यास में भारतीय सेना के जवानों ने जिस तरह का जोश और जुनून दिखा रहे है, उससे परमाणु परीक्षणों को अपने गर्भ में सहन करने वाली मरुधरा भी थर्रा रही है। भारतीय सेना प्रमुख मनोज मुकुंद नरवणे की मौजूदगी में गुजरात में कच्छ के रण से लेकर राजस्थान के मरुस्थल तक चल रहे सैन्य अभ्यास के समापन से ठीक पहले भारतीय सेना ने अपनी पारंपरिक और अत्याधुनिक तकनीकी का बेहतरीन ढंग से धरातल पर प्रदर्शन किया। पहली बार यह युद्धाभ्यास मानव रहित भी किया जा रहा है। दरअसल, बदलते समय के साथ भारतीय सेना कदमताल कर रही है और यह तथ्य उभरकर सेना के तीनों अंग के इस साझा युद्धा यास में सामने आ रहा है।
अचूक और विध्वंसकारी हमले का अभ्यास
दक्षिण शक्ति नाम के इस युद्धा यास का एक सिरा गुजरात के कच्छ में है तो दूसरा जैसलमेर के सीमावर्ती रेगिस्तानी इलाके में। इसमें दोनों मोर्चों पर दुश्मनों पर हमले का अभ्यास किया जा रहा है। बताया जाता है कि कुल 30 हजार जवान इसका हिस्सा बने हैं। पाकिस्तान सीमा के पास इस युद्धा यास में भारतीय सेना के दमखम की धमक संभवत: सीमापार तक सुनाई दे रही है। युद्धाभ्यास में भारतीय सेना ने परंपरागत शैली के साथ आधुनिक युद्ध प्रणाली का समावेश किया है और पहली बार स्पेस टेक्नोलॉजी व आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को इसमें जोड़ा गया है। टी- 72 और टी- 90 टैंक को उपयोग में लाए जाने से रेगिस्तान में धूल के गुबार नजर आने लगे। ऐसे ही वायुसेना के लड़ाकू विमान रुद्रा, ध्रुव तथा जगुआर भी युद्धा यास का हिस्सा बने। दक्षिणी कमान के इस संयुक्त युद्धाभ्यास में सदर्न कमांड जेओसी लेफ्टिनेंट जनरल जेएस नैन तथा ले. जनरल राकेश कपूर सदर्न कमांड उपस्थित थे। गौरतलब है कि सेना इस तरह का अभियान प्रति दो वर्ष में करती है। यह गत सितंबर माह में गुजरात और राजस्थान में शुरू हुआ।