scriptJAISALMER NEWS- वर्षों-महीनों की मेहनत से तैयार होते हैं ‘मरुश्री’° फिर मिलती है यह कड़वाहट जो रहती है हमेशा.. | Years-months of hard work get ready Marushree Then it gets bitter | Patrika News
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JAISALMER NEWS- वर्षों-महीनों की मेहनत से तैयार होते हैं ‘मरुश्री’° फिर मिलती है यह कड़वाहट जो रहती है हमेशा..

-जी-जान से तैयारियां कर रहे प्रतिभागी

जैसलमेरJan 22, 2018 / 09:26 pm

jitendra changani

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बरकरार है मरुश्री प्रतियोगिता का जलवा

जैसलमेर . दो पाटों में विभक्त दाढ़ी, रौबीली मूंछें, ऊंची कद-काठी, मरुभूमि की पहचान पचरंगी साफा और वस्त्राभूषण…यह सब मिलकर मरु महोत्सव की सबसे लोकप्रिय और प्रतिष्ठापूर्ण ‘मरुश्री’ प्रतियोगिता को करीब तीन दशकों से जीवंत बनाए हुए हैं। समय के साथ जहां मरु महोत्सव के कई कार्यक्रम व प्रतियोगिताएं दोहराव की वजह से अब निष्प्रभावी हो गए हैं वहीं मरुश्री प्रतियोगिता का जलवा अब तक न केवल बरकरार है, बल्कि प्रतिवर्ष इसके आकर्षण में और इजाफा हो रहा है। यही कारण है कि, आगामी 29 जनवरी को महोत्सव के पहले दिन पूनम स्टेडियम में होने वाली इस प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए जैसलमेर ही नहीं बल्कि राज्य के अन्य शहरों फलोदी, बीकानेर , जोधपुर , उदयपुर तक में प्रतिभागी तैयार हो रहे हैं।
मंच पड़ जाता है छोटा
मरुश्री प्रतियोगिता के आयोजन के वक्त हर बार मंच छोटा पड़ जाता है।लगभग 35-40 प्रतिभागी पारम्परिक वेशभूषा में सज-संवर कर जिस समय मंच पर रौबीले अंदाज में खड़े होते हैं, वह लम्हा तीन दिन के मरु महोत्सव का सबसे जानदार माना जाता है। उनकी फोटोग्राफी करने के लिए पेशेवर फोटोग्राफर्स के साथ देशी-विदेशी सैलानी मचल उठते हैं। लोगों का यही प्यार, प्रतियोगिता के प्रत्येक प्रतिभागी के लिए उसकी वर्षों-महीनों की तैयारी का वास्तविक प्रतिफल साबित होता है। परिणाम तो किसी एक के पक्ष में जाता है, लेकिन दर्शकों के लिए आकर्षण का केंद्र सारे प्रतिभागी बन जाते हैं।
करने पड़ते हैं कितने जतन
मरुश्री प्रतियोगिता में भाग लेने वाले प्रतिभागी को सबसे कठिन मेहनत व लगन से काम लेना होता है। इसके लिए करीब चार-छह माह या उससे भी अधिक समय तक दाढ़ी-मूंछ बढ़ानी होती है। दाढ़ी को चमकदार, घनी और मुलायम बनाए रखने के लिए उस पर मक्खन लगाया जाता है। तरह-तरह के शैम्पू से धोया जाता है। फिर सरसों अथवा नारियल का तेल तथा बाजार में उपलब्ध अन्य बियर्ड ऑयल की मालिश की जाती है। दाढ़ी छितरे नहीं, इसके लिए उसे दिन या रात के समय बांध कर भी रखा जाता है। परम्परागत वेशभूषा के साथ कीमती आभूषणों तथा तलवार आदि की व्यवस्था करनी होती है।

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