पंजाबी बिशप नियुक्त करने की मांग के पीछे भाषाई अंतर के कारण पंजाबी ईसाइयों पर पडने वाला प्रभाव है। पंजाब क्रिश्चियन मूवमेंट के अगुवा हामिद मसीह का कहना है कि केरल से आने वाले बिशप हमें समझ नहीं पाते। हम भी अंग्रेजी या मलयालम में कही जाने वाली उनकी बात नहीं समझ पाते हैं। यूनाइटेड क्रिश्चियन फ्रन्ट अध्यक्ष जाॅर्ज सोनी ने भी पंजाबी बिशप की मांग का समर्थन किया है।
रोमन कैथोलिक यूनियन के सदस्य और पंजाबी ईसाई नेता पीटर साहोता ने कहा कि पूर्व बिशप फ्रेंको मुलक्कल की राय थी कि पंजाबी बिशप पद के योग्य नहीं हैं और इसीलिए उन्हें दण्ड मिला है। जालंधर धर्मप्रदेश के प्रशासक नियुक्त किए गए सहायक बिशप एग्नेलो रूफिनो ग्रेसियस ने अभी कार्यभार नहीं संभाला है। पूर्व बिशप फ्रेंको मुलक्कल की गिफ्तारी के बाद एक भी संगठन उनके पक्ष में नहीं आया है। करीब 20 बाल्मीकि युवकों ने उनकी रिहाई की मांग की है।
फ्रेंको की गिरफ्तारी को कुछ लोग गुटबाजी का नतीजा भी बता रहे हैं। इसमें पंजाबी-मलयाली विभाजन का कारण भी बताया जा रहा है। जालंधर धर्मप्रदेश द्वारा पंजाब और हिमाचल में 50 शिक्षण संस्थान संचालित किए जाते है। एक अन्य कारण यह भी बताया जा रहा है कि पंजाब में ईसाई 1.1 फीसदी है। इनमें दलित 90 फीसदी हैं। बता दें कि जालंधर कैथेलिक धर्मप्रदेश के पूर्व बिशप फ्रेंको मुलक्कल के नन रेप केस में फंसने के बाद पोप फ्रांसिस ने फ्रेंको मुलक्कल को बिशप के पद से हटाकर मुबई के सहायक बिशप एमेरिटस एग्नेलो रूफिनो ग्रेसियस को बिशप पद का कार्यभार सौंपा था।