शिक्षक से 7 लाख की धोखाधड़ी करने वाला आरोपी भगौड़ा घोषित
– शिक्षक से 7 लाख रुपए लिए थे उधार, बाद में लौटाने से कर दिया था इनकार, आधी राशि लौटाने की एवज में मिली थी जमानत, लेकिन जमानतीय शर्तों का उल्लंघन करने पर अब जमानत रद्द
– शिक्षक से 7 लाख रुपए लिए थे उधार, बाद में लौटाने से कर दिया था इनकार, आधी राशि लौटाने की एवज में मिली थी जमानत, लेकिन जमानतीय शर्तों का उल्लंघन करने पर अब जमानत रद्द
जालोर. जालोर जिले के डांगरा क्षेत्र के एक शिक्षक से उधार ली गई राशि नहीं लौटाकर धोखाधड़ी करने के आरोपी द्वारा जमानत की शर्तों की पालना नहीं करनेे पर उच्च न्यायालय (मुख्य पीठ) द्वारा जमानत निरस्त की गई है।
मामले के अनुसार जालोर तहसील के डांगरा के रहने वाले शिक्षक बाबूलाल पुत्र नाराणलाल वैष्णव के घर पर 10 जून 2016 को विमल कुमार जैन पुत्र गणेशमल जैन एवं मांगीलाल पुत्र नवलदाास संत निवासी मांडवला तहसील जालोर पहुंचे। इस दौरान विमल कुमार ने बाबूलाल वैष्णव से सात लाख रुप की मांग करते हुए कहा कि उज्जैन में आयोजित होने वाले कुंभ मेले में उसे 7 लाख रुपए भरने हैं। उसने बताया कि उसका हेलीकॉप्टर का कारोबार है और एक माह के लिए उसे यह राशि की आवश्यकता है। विमल कुमार को यह राशि देने के लिए मांगीलाल ने सिफारिश की। साथ ही मांगीलाल ने यह भी कहा कि सात लाख रुपए की राशि विमल कुमार से स्वयं लाकर देगा। बातचीत के आधार पर विश्वास करने के बाद शिक्षक बाबूलाल वैष्णव ने यह राशि विमल कुमार जैन को एक माह के लिए बिना ब्याज पेठे उधार दे दिए। किंतु एक माह का समय बीतने के बाद भी आरोपी विमल कुमार जैन एवं उसके साथी मांगीलाल ने 7 लाख रुपए की राशि अदा नहीं की। जिस पर विमल कुमार से संपर्क करने पर उसने केवल आश्वासन दिया। इस तरह बाबूलाल ने मांगीलाल से भी संपर्क कर राशि लौटाने की मांग की तो उसने राशि विमल कुमार से लाकर देने का आश्वासन दिया। बातचीत और आश्वासन के बीच 9 माह का समय गुजर गया। जब दबाव देकर बाबूलाल ने आरोपी विमल कुमार से संपर्क किया तो उसने राशि लौटाने से इनकार कर दिया। मामले में जरिये इस्तगासे मामला दर्ज हुआ। परिवादी पक्ष के अधिवक्ता जितेंद्र कुमार परिहार ने बताया कि न्यायालय ने आरोपी विमल कुमार जैन एवं मांगीलाल संत के विरुद्ध धोखाधड़ी प्रकरण के तहत संज्ञान लेते हुए कानूनी कार्रवाई के आदेश दिए और आरोपियों को जेल भेजा गया। इसके बाद आरोपी विमल कुमार को हाईकोर्ट ने 24 जुलाई 2017 को सशर्त जमानत का आदेश दिया, जिसके तहत शर्ते यह थी कि जेल से रिहा होने के दो माह के भीतर धनराशि का पचास प्रतिशत राशि तीन लाख 50 हजार रुपए आरोपी विमल कुमार जैन बाबूलाल को अदा करेगा तथा शेष राशि भी जल्द से जल्द व्यवस्था कर लौटा देगा और प्रत्येक पेशी पर अधीनस्थ न्यायालय में उपस्थित देगा। यदि आरोपी विमल कुमार इन शर्तों की पालना नहीं करता है तो परिवादी बाबूलाल आरोपी की जमानत को निरस्त करने के लिए प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करने के लिए स्वतंत्र रहेगा।
जमानत रद्द
जमानतीय शर्तों की पालना नहीं करने पर परिवादी बाबूलाल की ओर से उच्च न्यायालय में आरोपी विमल कुमार जैन की जमानत निरस्त करने के लिए जमानत निरस्तीकरण प्रार्थना पत्र दायर किया गया, जिसे स्वीकार करते हुए 13 अगस्त २०१९ को राजस्थान उच्च न्यायालय के आदेश पीके लोहरा ने आरोपी विमल कुमार जैन की जमानत रद्द करने का आदेश दिया गया। गौरतलब है कि अधीनस्थ न्यायालय सीजेएम कोर्ट जालोर द्वारा भी पूर्व में 22 दिसंबर 2017 को आरोपी विमल कुमार जन की ओर से पेशियों पर न्यायालय में उपस्थिति नहीं देने के कारण उसके अधिवक्ता की ओर से पेश हाजिरी माफी की दरख्वास्त को खारिज करते हुए भगौड़ा घोषित करते हुए स्थायी वारंट जारी कर दिया था। आरोपी विमल कुमार जैन एक आदतन अपराधी है जिसके विरुद्ध बूंदी सहित कई जिलों में धोखाधड़ी के मामले विचाराधीन है। इधर, मामले में आरोपी विमल कुमार क खिलाफ हाईकोर्ट द्वारा चार वारंट जारी किए गए, लेकिन वारंट की पालना में आरोपी की धरपकड़ करने में जालोर पुलिस नाकाम रही।
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