आहोर. राज्य सरकार ने भले ही तीन साल पहले आहोर में राजकीय महाविद्यालय को शुरू कर वाहवाही लूटी हो। लेकिन सुविधा के नाम पर महाविद्यालय को कुछ नहीं दिया। यहां पर महाविद्यालय तीन साल से राजकीय छात्रावास में चल रहा है। छोटे-छोटे कमरे होने से जहां एक तरफ विद्यार्थियों को बैठने में भी दुविधा हो रही है।दूसरी तरफ विषय के व्याख्याता नहीं होने से विद्यार्थियों को विषय की जानकारी भी नहीं मिल पा रही है। यहां पर 454 विद्यार्थी अध्ययनरत है। ऐसे में राजकीय महाविद्यालय का स्थाई भवन अगर समय पर बनकर तैयार होता है तो विद्यार्थियों को बैठने में सुविधा होगी। लेकिन प्रशासन अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों की उदासीनता से तीन साल में भी राजकीय महाविद्यालय के स्थाई भवन का निर्माण नहीं हो पाया है। और ना ही व्याख्याताओं को लगाया गया है।
कई विषयों की नहीं खुली किताब महाविद्यालय में हिन्दी साहित्य व समाज शास्त्र के व्याख्याता लगे हुए है। इसके अलावा कई विषयों के व्याख्याता तीन साल में नहीं लग पाए है। संस्कृत, भूगोल, अंग्रेजी, राजनीति विज्ञान, इतिहास के व्याख्याता महाविद्यालय को नसीब नहीं हुए है। इसके अलावा कई कार्मिकों के पद भी रिक्त पड़े है।
स्थाई भवन की दरकार राज्य सरकार ने तीन साल पहले राजकीय महाविद्यालय तो शुरू किया गया। लेकिन कॉलेज का स्थाईभवन नहीं बन पाया है। कॉलेज स्वीकृत होने पर आनन-फानन में कॉलेज को आदर्श राउमावि के खेल मैदान में स्थित राजकीय छात्रावास भवन में शुरू किया गया। यहां विभिन्न सुविधाओं का अभाव है। यहां विद्यार्थियों के अध्ययन के लिए पर्याप्त कक्षा-कक्षों का अभाव है। यहां बने कक्षा-कक्ष छोटे है। पेयजल व शौचालय की भी व्यवस्था नहीं है।
प्राचार्य व दो व्याख्याताओं के भरोसे विद्यार्थी आहोर के राजकीय महाविद्यालसय शुरू हुए तीन साल हो गए है। यहां पर अब तीन साल में 454 विद्यार्थियों ने उच्च शिक्षा में प्रवेश लिया है। लेकिन प्रशासन के अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों ने सुविधा नहीं की। यहां तक की महाविद्यालय अब प्राचार्य व दो व्याख्याताओं के भरोसे चल रहा है।
चारदीवारी में घुट रहा प्रतिभाओं का दम बारहवीं में अच्छे अंक प्राप्त करने के बाद ही अमूमन राजकीय महाविद्यालयों में प्रवेश मिलता है। लेकिन सुविधाओं का अभाव व विषय के व्याख्याता नहीं होने पर प्रतिभाओं के दम चारदीवारी तक घुटता नजर आ रहा है।यहां पर विद्यार्थी कॉलेज आते है। लेकिन व्याख्याताओं के नहीं होने से निराश होकर लौटते है। सुविधाओं के अभाव में नाम मात्र का राजकीय महाविद्यालय हो गया ।
आश्वासन देकर करते है इतिश्रीकॉलेज की विभिन्न मांगों को लेकर विद्यार्थीसंगठनों की ओर से कई बार ज्ञापन देकर प्रदर्शन भी किए गए। लेकिन प्रशासनिक अधिकारी व जनप्रतिनिधि जल्द ही मांगों को पूरी करने का आश्वासन देकर इतिश्री कर देते है। ऐसे में तीन साल बाद भी महाविद्यालय को न तो भवन की सुविधा मिली है और ना ही विषय के व्याख्याता मिले है।
एबीवीपी करेगी भूख हड़ताल कॉलेज में व्याख्याताओं की नियुक्तिसमेत विभिन्न मांगों को लेकर एबीवीपी की ओर से जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों को अवगत करवाया गया है। लेकिन समस्याओं का समाधान नहीं हुआ है।अब जल्द ही मांगे पूरी नहीं हुई तो एबीवीपी की ओर से भूख हड़ताल कर धरना प्रदर्शन किया जाएगा।
-सुजाराम देवासी, प्रांत कार्यसमिति सदस्य, एबीवीपी
जोधपुर प्रांत
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