डार्क जोन घोषित जालोर में बोरिंग की इस छूट से छलनी हो जाएगी धरा, रीत जाएंगे भूजल भंडार!
डार्क जोन में शामिल जालोर जिले के किसानों के समेत विशेष श्रेणी में ट्यूबवैल खुदाई की छूट राहत भरी जरुर है, लेकिन ये हालात भविष्य के लिए संकट पैदा करने वाले है। भूजल विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो अच्छी बारिश के बाद भी पिछले 10 साल में भूजल भंडार 10 साल पुरानी स्थिति तक नहीं पहुंच पाए है।
Dry Jawai river in Bishangarh road Jalore
फैक्ट फाइल
– 195 प्रतिशत हो रहा भूजल भंडार का दोहन
– 10 मीटर से अधिक एक दशक में भूजल भंडार में गिरावट
– 1.50 मीटर तक औसत गिरावट आ रही भूजल भंडार में
– 2 दशक में रीत सकते हैं भूजल भंडार
खुशालसिंह भाटी.जालोर. डार्क जोन में शामिल जालोर जिले के किसानों के समेत विशेष श्रेणी में ट्यूबवैल खुदाई की छूट राहत भरी जरुर है, लेकिन ये हालात भविष्य के लिए संकट पैदा करने वाले है। भूजल विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो अच्छी बारिश के बाद भी पिछले 10 साल में भूजल भंडार 10 साल पुरानी स्थिति तक नहीं पहुंच पाए है। यही नहीं विभागीय सूत्र ये भी बताते हैं कि जिस गति से भूजल भंडार का दोहन हो रहा है, उसके अनुसार तो अगले दो दशक में ये भंडार भी समाप्त हो जाएंगे। इस बीच अब जारी निर्देशों की पालना में पानी निकासी के लिए धरती को छलनी करने का दौर ही शुरू हो जाएगी, जिससे जो हालात दो दशक बाद संभावित नजर आ रहे थे, वे उससे कई पहले नजर आ सकते हैं। जालोर जिले की बात करें तेा भूजल रिचार्ज की तुलना में वर्तमान में 195 प्रतिशत तक दोहन हो रहा है। यह आंकड़ा चौकाने वाला है और भविष्य के लिए बड़ा खतरा साबित होगा। इस बीच हाल ही में मुख्य सचिव ने बोरिंग के लिए छूट के निर्देश जारी किए हैं। वे विकट हालात पैदा करेंगे और पानी की मनमर्जी से निकासी के लिए अंधाधुध दोहन की प्रतिस्पद्र्धा हो जाएगी। (एसं)
खतरे की आहट दे रही यह गिरावट
हर साल बारिश के बाद भी 1 से डेढ़ मीटर तक भूजल भंडारों में कमी आ रही है। कम बारिश होने पर तो हालात और भी विकट हो जाते हैं। वर्ष 2004 से 2015 तक एक दशक की बात करें तो साफ नजर आता है कि एक दशक में 10.40 मीटर औसत भूजल भंडार में कमी आई है। जबकि वर्ष 2016 में अच्छी बारिश होने के बाद भूजल भंडार बेहतर स्थिति पहुंचे तो भी औसम गिरावट 8.56 मीटर दर्ज की गई।
ये आंकड़े चिंता का कारण
विभागीय आंकड़ों पर गौर करें तो वर्तमान में भूजल भंडार की तुलना में 195 प्रतिशत पानी का दोहन हो रहा है। इस छूट के बाद इसमें और भी इजाफे की आशंका है। पिछले डेढ़ दशक की बात करें तो कुछेक साल को छोड़ दें तो भूजल भंडारों में कमी ही आ रही है। वर्ष 2006 में भारी बारिश के बाद बाढ़ के हालातों में औसत भूजल भंडार में सर्वाधिक 5.07 मीटर की बढ़ोतरी हुई थी। लेकिन वर्तमान में हालात विकट है। वर्ष 2020 में भी औसत बारिश के बीच हालात ठीक है, लेकिन बारिश की अनियमितता के चलते लगातार पानी के स्तर में कमी ही आ रही है।
31 मीटर औसत गहराई तक पहुंचा पानी
वर्तमान में जिले का औसत भूजल भंडार 31 मीटर गहराई पर है। सबसे विकट हालात सायला क्षेत्र में है। यहां औसत भूजल भंडार 61 मीटर गहराई पर है। विभागीय जानकारी के अनुसार कुल उपलब्ध पानी का 95 प्रतिशत पानी का उपयोग कृषि क्षेत्र में होता हैं।
रिचार्ज नहीं हो रहे भूजल भंडार
जवाई नदी जालोर की जीवन रेखा मानी जाती है, लेकिन इस नदी में बहुत ज्यादा बारिश या बाढ़ के हालातों में ही पानी की आवक होती है। बिना नदी में बहाव भूजल भंडार रिचार्ज नहीं के बराबर ही हो रहे हैं। जिसके चलते जो पानी बारिश की सीजन में रिचार्ज भी होता है। अगले सीजन से पहले ही इस रिचार्ज पानी के साथ साथ भूजल भंडार में संग्रहित पानी का दोहन भी होता है। यह दोहन रिचार्ज की तुलना में दोगुना है।
यूं समझें गिरावट
वर्ष 2004 से 2010 तक 7.53 मीटर, 2004 से 2013 तक 8.83 मीटर, 2004 से 2014 तक 9.40 मीटर, 2004 से 2015 तक 10.40 मीटर, 2004 से 2016 तक 8.56 मीटर
ये निर्देश जारी किए गए हैं
पिछले साल दिसंबर माह में मुख्य सचिव की ओर से जारी निर्देश चौंकाने वाले हैं। इन निर्देशों के तहत सीधे तौर पर बोरिंग की छूट जारी की गई है। इसमें पेयजल समेत आपात व्यवस्थाओं के लिए बोरिंग की छूट दी गई है, जो पूर्व में भी थी, लेकिन सबसे बड़ा चिंता का विषय इस निर्देश में विभिन्न श्रेणी में बोरिंग में छूट का प्रावधान है।
इनका कहना
राज्य स्तरीय पॉलिसी के तहत बोरिंग के लिए निर्देश मिले हैं। जारी निर्देशों की पालना की जाएगी।
– हिमांशु गुप्ता, कलक्टर, जालोर
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