इसलिए दोबारा जालोर नगरपरिषद पहुंची डीडीआर जोधपुर की टीम
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दोबारा जालोर नगरपरिषद पहुंची डीडीआर जोधपुर की टीम
जालोर. नगरपरिषद की विभिन्न शाखाओं से जारी पट्टों और एनओसी में फर्जीवाड़े की शिकायत के बाद शासन सचिव के आदेश पर जालोर नगरपरिषद में गत 9 जुलाई से 12 जुलाई तक जांच के बाद लौटी डीडीआर जोधपुर की टीम मंगलवार को दोबारा जालोर पहुंची। यह टीम करीब चार से पांच दिन तक जालोर में पट्टों व एनओसी से संबंधित पत्रावलियों में फर्जीवाड़े की जांच करेगी। गौरतलब है कि गत जुलाई माह में पहुंची डीडीआर जोधपुर की जांच टीम के अधिकारियों ने कृषि, नियमन, भूमि व राजस्व शाखा के संबंधित लिपिकों से सूचीबद्ध पत्रावलियां कब्जे में ली थी। वहीं काफी पत्रावलियां टीम को नहीं मिल पाई थी। जिस पर संबंधित शाखा के लिपिकों से इसका जवाब मांगा गया। साथ ही जोधपुर में अधिकारियों व कर्मचारियों के बयान भी हुए। टीम को कई पत्रावलियां व दस्तावेज नहीं मिल पाने के कारण यह जांच उस समय पूरी नहीं हो पाई थी। ऐसे में अब दोबारा जांच टीम मंगलवार को जालोर पहुंची।
पहले ये पहुंचे थे जांच के लिए
जुलाई माह में जांच के लिए जालोर नगरपरिषद पहुंची टीम में उपनिदेशक क्षेत्रीय स्थानीय निकास विभाग जोधपुर के सहायक लेखाधिकारी द्वितीय नीरज माथुर, सहायक प्रशासनिक अधिकारी महेंद्र सोनी, सिरोही नगरपरिषद के सहायक अभियंता योगेश कुमावत व फालना नगरपालिका के कनिष्ट लेखाकार शामिल थे। वहीं अब जोधपुर कार्यालय से ही सहायक प्रशासनिक अधिकारी सोनी व जितेंद्र जोशी समेत लेखाकार व वरिष्ठ लिपिक जांच के लिए पहुंचे हैं।
शिकायत के बाद चल रही जांच
नगरपरिषद क्षेत्र में नहरी व डूब क्षेत्र, सरकारी व परिषद की जमीन सहित बेसहारा गोवंश के लिए संरक्षित जमीन को बचाने के लिए नगरपरिषद उपसभापति मंजू सोलंकी ने शासन सचिव सिद्धार्थ महाजन से 4 अप्रैल 2018 को शिकायत की थी। जिसमें बताया गया कि तत्कालीन आयुक्त शिकेश कांकरिया के कार्यकाल में जनवरी २०१८ से जून २०१९ तक स्टेट ग्रांट एक्ट, कृषि भूमि, खांचा भूमि व नियमन से संबंधित कई पट्टे जारी किए गए थे। इनमें से अधिकतर मामलों में पत्रावली की कमियां पूरी किए बिना ही नियमविरुद्ध पट्टे दे दिए गए। वहीं जिस आवासीय कॉलोनी का सो मोटो किया, उसकी फाइल भी गायब है। इसके अलावा परिषद में करीब चार दर्जन से अधिक फाइलों का अता-पता नहीं है।
इन्हें भी भेजी थी शिकायत
उपसभापति सोलंकी ने शासन सचिव के अलावा 18 जून को तत्कालीन डीएलबी डायरेक्टर पवन अरोड़ा, मंत्री शांति धारीवाल व गत जुलाई माह में सीएम को लिखित शिकायत भेज कर जांच की मांग की थी।
अभी भी कई फाइलें गायब
जांच टीम की ओर से जनवरी 2018 से जून 2019 तक की कृषि, भूमि, नियमन, स्टेट ग्रांट व राजस्व शाखा की फाइलें उपलब्ध कराई जानी थी, लेकिन अभी इनमें से ढेरों फाइलें परिषद में मौजूद ही नहीं हैं। अधिकतर शाखाओं में इस अवधि की काफी फाइलें गायब हैं। तत्कालीन आयुक्त को भी इसके लिए कई बार पत्र लिखे गए, लेकिन उन्होंने भी ये फाइलें उनके पास नहीं होना बताया है।
अधूरी रह गई थी जांच…
जालोर नगरपरिषद में जारी पट्टों व एनओसी में फर्जीवाड़े की शिकायत के बाद जांच टीम जुलाई माह में जालोर गई थी, लेकिन दस्तावेजों की कमी के कारण जांच पूरी नहीं हो पाई थी। इसलिए विभागीय टीम को मंगलवार को दोबारा जालोर जांच के लिए भेजा गया है। इसके अलावा भी कुछ जांच की जानी है।
– विशाल दवे, डीडीआर जोधपुर