scriptबारिश नहीं होने से सूखा बालसमंद बांध, पेयजल संकट से परेशान | Dry Balsamand dam, not affected by rain, trouble with drinking water | Patrika News
जालोर

बारिश नहीं होने से सूखा बालसमंद बांध, पेयजल संकट से परेशान

https://www.patrika.com/rajasthan-news/

जालोरJul 24, 2019 / 11:39 am

Nain Singh Rajpurohit

jalore

balsamand dam

तुलसाराम माली. भीनमाल(जालोर).कमजोर मानसून की दस्तक से धरतीपुत्रों के साथ शहरवासियों की चिंता भी बढ़ी हुई है। जून व जुलाई माह में अब तक 150 एमएम बारिश हुई है, जो काफी कम है। स्थिति यह है कि जुलाई माह के भी 22 दिन गुजरने के बाद भी क्षेत्र के नदी-नालों में एक बार ही पानी का बहाव नहीं हुआ है। ऐसे में मानसून में अच्छी बारिश नहीं हुई, तो आने वाले समय में शहर में पेयजल की समस्या ज्वलंत होगी। शहर का बालसमंद बांध सूख गया है। बांध के सूखने से आस-पास के कुएं भी जवाब दे रहे है।
ऐसे में आगामी दिनों में शहर में पेयजल की विकट समस्या खड़ी हो जाएंगी। जलदाय विभाग के पेयजल के स्रोत धनवाड़ा व राजपुरा में स्थित है। यह दोनों ही जलस्रोत स्थानीय नदी-नालों पर है। ऐसे में बारिश नहीं होने से जलस्रोत जवाब देने शुरू कर दिए है। वर्तमान में भी शहर में पानी की आपूर्ति पांच दिन के अंतराल से हो रही है। 22 जुलाई गुजरने के बाद भी नदी-नालों में पानी का एक बार भी बहाव नहीं हुआ है।
सुंधा क्षेत्र की बारिश पर निर्भर है जलस्रोत
जलदाय विभाग का धनवाड़ा जलस्रोत सांगी नदी पर है। राजपुरा जलस्रोत सुंधामाता पहाड़ी क्षेत्र से सटा हुआ है। सांगी नदी का उद्गम स्थल सुंधामाता व जाविया के पहाड़ी क्षेत्र है। यहां पर अच्छी बारिश होने पर दर्जनों गांवों में भूमिगत जलस्तर रिचार्ज होता है। इसके अलावा पानी की गुणवत्ता भी सुधरती है। पिछले साल सांगी नदी में महज एक बार ही पानी का बहाव हुआ था, लेकिन इस बार तो एक बार भी पानी का बहाव नहीं होने से आने वाले समय में पेयजल की समस्या विकट हो जाएंगी। धनवाड़ा जलस्रोत से रोजाना 14 लाख लीटर व राजपुरा जलस्रोत से 36 लाख लीटर शहर को पानी मिल रहा है।
बाध से मिलता है अमृृत के समान पानी
2015-17 तक अच्छी बारिश से शहर का बालसमंद बांध भी लबालब रहा। बालसंमद बांध के आस-पास दर्जनों कुओं से अमृत के समान मीठा पानी उपलब्ध होता था। बांध से रोजाना 100 टैंकर पानी शहर में परिवहन कर पहुंचता था। इसके अलावा यहां पर जलदाय विभाग का एक ट्यूबवैल भी है। यहां से करीब चार मौहल्लों में पानी पहुंचता है।
पिछले साल बारिश नहीं होने से अप्रेल-मई बांध के बाद बालसंमद बांध सूख गया है। इसके बाद आस-पास के कुएं भी जवाब दे रहे है। अब तो बांध एकदम सूखा पड़ा है। ऐेसे में आने वाले समय में शहर में पेयजल की त्राही-त्राही मचेगी। बांध से शहर के जलदाय विभाग के हैडपंप भी सूख गए है। जो हैण्डपंप चल रहे है वो खारा पानी उगल रहे है।
ईआर प्रोजेक्ट पर उम्मीद, मंथर चाल
305 गांवों के लिए ईआर प्रोजेक्ट के तहत नर्मदा का पानी पहुंचाने के लिए कार्य चल रहा है। कार्य इतना मंथर गति से चल रहा है कि अभी भी एक साल नर्मदा के पानी के लिए इंतजार करना पड़ेगा। ईआर प्रोजेक्ट अक्टूबर 2016 में पूर्ण होना था, लेकिन काम अधूरे पड़े है। अधिकारियों का दावा है कि करीब 6 5 फीसदी कार्य हो चुका है।
बारिश नहीं हुई तो समस्या है…
क्षेत्र में पिछले साल भी बारिश नहीं के बराबर थी, इस बार भी मानसून की कमजोर दस्तक है। जलदाय विभाग के धनवाड़ा व राजपुरा जलस्रोत सुंधामाता की पहाडिय़ों पर हुई बारिश पर निर्भर है। बालसमंद बांध के आस-पास कुओं से शहर को अमृत के समान मीठा पानी मिलता है। बांध के सुखने पेयजल की समस्या खड़ी होगी। ऐेसे में ईआर प्रोजेक्ट के तहत नर्मदा के पानी पर ही निर्भरता रहेगी।
आरएन यादव, अधिशाषी अभियंता, जलदाय विभाग, भीनमाल

Home / Jalore / बारिश नहीं होने से सूखा बालसमंद बांध, पेयजल संकट से परेशान

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो