किसानों ने जमीन दी, विभाग ने पीने का पानी भी नहीं दिया
23 काश्तकरों ने दी थी प्रोजेक्ट के लिए जमीन, अब उसी गांव के किसान पानी के लिए भटक रहे
Farmers gave land, the department did not provide drinking water
चितलवाना. मीठे पानी की आस के साथ ही रणोदर के किसानों ने नर्मदा नहर व जलदाय विभाग को अपनी जमीन देकर मीठा पानी भले ही लाया हो, लेकिन विभाग की ओर से उसी गांव के लोगों को पीने का मीठा पानी दिया जा रहा है। ऐसे में गांव के लोग आज भी मीठे पानी के लिए तरस रहे हैं। रणोदर की सरहद से नर्मदा नहर के आने के लिए जमीन अवाप्त करने के बाद ग्रामीणों को आस बंधी थी कि गांव में मीठा पानी पीने को मिलेगा।
लेकिन विभाग की ओर से नहर में पानी आए दस साल के बाद भी रणोदर गांव के आम चौहटे पर जीएलआर खाली पड़ा हैं। ऐसे में ग्रामीणों को पेयजल के लिए भटकना पड़ रहा हैं।
मटकी से पानी लाकर बुझा रहे प्यास
रणोदर गांव के ग्रामीणों को गांव के एक किमी दूर नर्मदा मुख्य नहर में पानी चल रहा हैं। वहीं एफआर प्रोजेक्ट से जिलेभर के गांवों को पीने का पानी मिल रहा हैं। वहीं गांव के महिलाएं दिनभर सिर पर मटकी लेकर तालाब व नहर के पास कच्ची बेरियों से पानी पीने को मजबूर हैं।
23 काश्तकरों ने दी प्रोजेक्ट को जमीन
रणोदर गांव के चतराराम विश्नोई, जोराराम विश्नोई, रिड़मलराम विश्नोई, आसुराम, सुभाषकुमार, मुंगाराम पुरोहित, सिरेमल पुरोहित, मगाराम पुरोहित, नरसाराम पुरोहित, भुराराम, भंवराराम पुरोहित, विरमाराम पुरोहित सहित रणोदर के 23 काश्तकारों ने एफआर प्रोजेक्ट को जमीन दी थी।
इनका कहना…
&हमारे गांव के 23 काश्तकारों ने प्रोजेक्ट के लिए जमीन दी थी।जिससे जिले भर के लोग मीठा पानी पी रहे हैं। लेकिन विभाग की ओर से हमारे गांव में ही नर्मदा का मीठा पानी नहीं दिया गया है। कई बार शिकायत करने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही हैं।
-देवीबाई, सरपंच, रणोदर
रणोदर में ट्यूबवैल खुदवाया गया हैं। बिजली का कनेक्शन होते ही सप्लाई शुरू करवा दी जाएगी।
-दीपक शर्मा, कनिष्ट अभियन्ता, पीएचईडी सांचौर
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