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Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana: बीमा कंपनी में डूब रहा किसानों का पैसा, बंैक को माना जिम्मेदार!

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जालोरSep 06, 2019 / 11:55 am

Jitesh kumar Rawal

Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana: बीमा कंपनी में डूब रहा किसानों का पैसा, बंैक को माना जिम्मेदार!

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कृषि आयुक्तालय के आदेश, बैंक करेगा बीमा क्लेम का भुगतान, बीमा विवरण में त्रुटियां होने से किसानों को नहीं मिल पाया क्लेम


जीतेश रावल

जालोर. बीमा कंपनी में डूब रहा क्लेम का पैसा अब किसानों को सेंट्रल को-ऑपरेटिव बंैक से मिलेगा। फसलों में खराबे के बाद बीमा क्लेम का इंतजार कर रहे किसानों को इससे राहत मिल सकती है। इसके लिए कृषि आयुक्तालय ने सहकारी बैंक को भुगतान के आदेश दिए हैं। करीब साढ़े चार सौ किसानों का बीमा क्लेम दो वर्षों से अटका पड़ा है। कृषि आयुक्तालय ने इसके लिए द जालोर सेंट्रल को-ऑपरेटिव बंैक को जिम्मेदार माना है। कृषि आयुक्त ने बंैक को त्रुटिपूर्ण कार्य करने का जिम्मेदार मानते हुए किसानों को भुगतान जारी करने के आदेश दिए हैं। इसमें बताया है कि किसानों के बीमा विवरण में अंकित त्रुटियां को-ऑपरेटिव बैंक के स्तर से की गई है। इस त्रुटि के लिए सम्बंधित वित्तीय संस्थान को जिम्मेदार माना है। आदेश में स्पष्ट बताया है कि बीमा विवरण में बैंक ने त्रुटिपूर्ण कार्य किया है, जिससे किसानों को बीमा क्लेम का भुगतान बैंक करेगा।

उम्मीद की किरण बन रहे आदेश
बताया जा रहा है कि बीमा विवरण में त्रुटियां होने से किसानों को क्लेम का भुगतान नहीं मिल पाया है। इसके बाद से किसान लड़ाई भी लड़ रहे हैं, लेकिन बैंक या बीमा कंपनी कोई उनका भुगतान करने को तैयार नहीं है। ऐसे में कृषि आयुक्तालय से जारी हुए ये आदेश किसानों के लिए उम्मीद की किरण बन रहे हंै।

अटका पड़ा है 444 किसानों का क्लेम
इस आदेश के तहत जालोर के आहोर तहसील क्षेत्रके करीब साढ़े चार सौ किसानों को भुगतान दिया जाएगा। अनुमानित तौर पर यह राशि करीब सवा करोड़ रुपए है। बताया जा रहा है कि इन गांवों का पटवार हल्का गलत इंद्राज होने से पूरा बीमा क्लेम नहीं मिल पाया। माना जा रहा है कि किसानों का करीब 75 प्रतिशत क्लेम भुगतान बकाया है।

भुगतान करने से बंैक ने जताई असमर्थता
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना खरीफ-2017 के तहत बीमा क्लेम से वंचित किसानों को राहत देने के लिए कृषि आयुक्तालय से लगभग दो माह पहलेइस तरह के आदेश जारी हो चुके हैं। उधर, भारी-भरकम क्लेम राशि का भुगतान करने से सेंट्रल को-ऑपरेटिव बंैक ने भी असमर्थता जताई है। ऐसे में बैंक ने न्यायालय की शरण ली है। अधिकारी बताते हंै कि कृषि आयुक्तालय की ओर से एक तरफा निर्णय लिया है। क्लेम का भुगतान बीमा कंपनी ही कर सकती है।

इसलिए वंचित रह गए क्लेम से
बताया जा रहा है कि किसानों के बीमा विवरण में पटवार सर्किल बदल गया था। इसमें भाद्राजून की जगह निम्बला व कोराणा की जगह सुगालिया जोधा हो गया था। इससे इन दो गांवों के किसानों को खरीफ-२०१७ का बीमा क्लेम की राशि नहीं मिल पाई। इसके बाद से ही किसान क्लेम के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं।

यह एकतरफा फैसला है…
कृषि आयुक्तालय की ओर से ऐसा आदेश आया है, लेकिन यह एकतरफा फैसला है। बीमा के लिए बैंक केवल मध्यस्थता ही करती है। लेन-देन की जिम्मेदार हमारी नहीं है। इस फैसले के लिए हमने न्यायालय की शरण ली है। क्लेम का भुगतान बीमा कंपनी ही कर सकती है।
-ओमपालसिंह भाटी, प्रबंध निदेशक, द जालोर सेंट्रल को-ऑपरेटिव बंैक, जालोर
किसानों को नहीं मिला क्लेम…
बीमा क्लेम की राशि अटकने के मामले में कृषि आयुक्तालय ने सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक को जिम्मेदार माना है। इसके लिए किसानों को भुगतान देने का आदेश भी जारी किया है, लेकिन अभी तक राशि नहीं मिली। किसान इसके लिए आंदोलन भी कर रहे हैं।
-प्रताप आंजणा, जिला संयोजक, किसान एकता संघ, जालोर

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