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जालोर

वन क्षेत्र से आ गया शुभ समाचार, इस बार बेहतर रही यह गणना, भालू इतने बढ़े

– दो साल बाद हुई गणना में वन क्षेत्र से मिले बेहतर संकेत, भालुओं की संख्या में बढ़ोतरी

जालोरMay 20, 2022 / 08:06 pm

Khushal Singh Bati

 - दो साल बाद हुई गणना में वन क्षेत्र से मिले बेहतर संकेत, भालुओं की संख्या में बढ़ोतरी

– दो साल बाद हुई गणना में वन क्षेत्र से मिले बेहतर संकेत, भालुओं की संख्या में बढ़ोतरी

जालोर. वन क्षेत्र में मौजूद वन्य जीवों की गणना के महत्वपूर्ण आंकड़े जारी हो चुके हैं। दो साल बाद हुई यह गणना विभाग के लिए कई मायनों में महत्वपूर्ण रही। वहीं जो आंकड़े मिले वे निश्चित तौर पर सकारात्मक कहे जा सकते हैं। 24 घंटे तक चली गणना में इस बार सुंधा माता कंजर्वेशन रिजर्व एरिया पर सबसे ज्यादा फोकस था, क्योंकि इस क्षेत्र में भालुओं की मौजूदगी रहती है। पिछले साल गणना नहीं होने से आंकड़े जारी नहीं हो पाए थे, लेकिन इस बार के आकड़े इस वन्य क्षेत्र में भालुओं को मिल रहे बेहतर माहौल के संकेत है। इस बार भालुओं की संख्या 74 है। इसमें 11 नर, 24 मादा भालू है। जबकि बच्चों की संख्या 14 है। यह आंकड़े दो साल पूर्व हुई गणना से 8 अधिक है।
ये आंकड़े जो बेहतर
वन विभाग की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार 223 सियार जिले में पाए गए हैं। जिसमें 31 नर, 51 मादा और 7 बच्चे हैं। इसी तरह जरख की संख्या 120 पाई गई है। इसी क्रम में जंगली बिल्ली 104, लोकड़ी 154, बिज्जू छोटा 76, बिज्जू बड़ा 1, कवर बिज्जू 1, पाए गए हें। इसी तरह से मांसाहारी जीवों की संख्या इस गणना में 761 आंकी गई है।
ये है शाकाहारी जीव
सांभर 2, रोजड़ा 1974, चिंकारा 226, जंगली सूअर 93, सेही 167 और लंगूर 1838 पाए गए हैं। इस तरह से मांसाहारी वन्य जीवों की संख्या 4552 है।

ये पक्षी मिले गणना में
वन्य जीव गणना के दौरान वन क्षेत्र में गिद्ध 7, जंगली मुर्गा 13, शिकारी पक्षी 32, मोर 2869 मिले हैं। इस तरह से पक्षियों की संख्या 8234 आंकी गई है। गणना के दौरान ही वन क्षेत्रों में 8 नेवल, 3 छोटे नेवले, 4 बाज, 59 खरगोश, 5 सांप, 29 झाउ चूहा, 35 तितर भी नजर आए।
और बेहतर हो सकते हैं हालात
वन क्षेत्र में वन्य जीवों के संरक्षण के लिए विभागीय स्तर पर प्रयास जारी है। लेकिन अक्सर भीषण गर्मी में पेयजल और भोजन के संकट के चलते इन क्षेत्रों में विकट हालात बनते हैं। यदि इस तरफ और ज्यादा ध्यान दिया जाए तो वन्य जीवों को बेहतर माहौल मिलने से इनकी संख्या में और इजाफा हो सकेगा। दूसरा पक्ष यह भी है कि चोरी छिपे कई मौके पर वन क्षेत्रों में वन्य जीवों का शिकार भी शिकारी लोग कर जाते हैं। इन गतिविधियों पर अंकुश के साथ कड़ी कार्रवाई की दरकार भी है।
तो नहीं आएंगे आबादी क्षेत्र में
जसवंतपुरा क्षेत्र में वन्य जीवों के आबादी क्षेत्र में पहुंचने के इतिहास पर गौर करें तो कम बारिश की स्थिति ही इसके लिए जिम्मेदार बनती है। पहाड़ी क्षेत्र में पानी की उपलब्धता नहीं होने पर ये भालू आबादी क्षेत्र में पानी और भोजन की तलाश में पहुंचते हैं और अक्सर इस स्थिति में ग्रामीणों से उनका सामना हो जाता है, जो बड़े हादसे का कारण बनता है। कई मौकों पर इस तरह की स्थिति बन चुकी है। ऐसे में वन क्षेत्र में पेयजल के स्रोत डवलप करने के साथ इन भालुओं को वन क्षेत्र में रोके रखना भी वन विभाग के लिए भविष्य की एक बड़ी चुनौती साबित होगी।

वर्ष संख्या
2011 32
2012 35
2013 39
2014 47
2015 48
2016 52
2017 56
2018 58
2019 59
2020 66
2022 74
इनका कहना
दो साल बाद हुई वन्य जीव गणना में बेहतर संकेत मिले हैं। गर्मी के मौसम में वन क्षेत्र में पानी की थोड़ी दिक्कत रहती है, लेकिन विभागीय स्तर पर पानी के प्रबंधन के प्रयास किए जा रहे हैं।
– यादवेंद्रसिंह चूंडावत, उप वन संरक्षक, जालोर
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