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जालोर

जेल में गूंज रहा ककहरा, नहीं मिलेंगे अंगूठा टेक बंदी

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जालोरDec 06, 2019 / 08:58 am

Jitesh kumar Rawal

जेल में गूंज रहा ककहरा, नहीं मिलेंगे अंगूठा टेक बंदी

जेल में गूंज रहा ककहरा, नहीं मिलेंगे अंगूठा टेक बंदी

मास्साब बने साक्षर बंदी, निरक्षरों को दे रहे आखर ज्ञान, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव की पहल


जालोर. कारागार में अब अंगूठा टेक बंदी नहीं मिलेंगे। इसके लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से सकारात्मक पहल शुरू की गई है। कारागृह में प्रतिदिन कक्षाएं लगाई जा रही हैं जिसमें निरक्षर बंदियों को आखर ज्ञान दिया जा रहा है।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव नरेन्द्रसिंह ने सबसे पहले जिला मुख्यालय पर स्थित जिला कारागृह में निरक्षर बंदियों को साक्षर करने का कार्य शुरू करवाया। जिसके लिए उन्होंने साक्षरता विभाग के अधिकारियों से वार्ता कर बंदियों को स्लेट, स्लेट पेन व नोटबुक उपलब्ध करवाई गई। कारागृह के उप कारापाल को निर्देशित किया गया कि कारागृह में ऐसे बंदी जो पढ़े लिखे हैं उनको प्रोत्साहित किया जाए। सहायक कारापाल सईद अब्दुल ने कारागृह में पढ़े लिखे बंदियों को प्रोत्साहित किया तो शुरू में दो बंदी इस कार्य के लिए स्वैच्छिक रूप से तैयार हो गए। जिला कारागृह में दो बंदियों की ओर से सबसे पहले प्रतिदिन कक्षाएं लगाई जाकर बंदियों को साक्षर करने का कार्य शुरू किया गया। प्रयोग सफल होने पर जिले के भीनमाल उप कारागृह में भी पाठ्य सामग्री उपलब्ध करवाकर यह कार्य शुरू किया गया। प्राधिकरण सचिव ने अब सांचौर उपकारागृह में भी ऐसी ही कक्षाएं लगाए जाने के निर्देश दिए हैं।

निरीक्षण के दौरान आया ख्याल
जिला मुख्यालय की जेल में साप्ताहिक निरीक्षण के दौरान बंदियों से वार्तालाप के दौरान यह तथ्य सामने आया कि यहां पर कई बंदी ऐसे है जो निरक्षर है। उन्हें अक्षर ज्ञान नहीं है और वे हस्ताक्षर करने के स्थान पर अंगूठा लगाते हैं। उन्होंने ऐसे बंदियों को साक्षर करने के लिए योजना बनाई। उन्होंने जेल में बंद साक्षर और पढ़े लिखे बंदियों को इस कार्य में सहयोग की बात कही और अनपढ़ बंदियों को पढाने के लिए आगे आने का आह्वान किया। साथ ही सहायक कारापाल को कक्षाएं लगाने के निर्देश दिए।

नाम लिखना तो सीख ही गए
जिला कारागृह में कई बंदी जो पहले हस्ताक्षर करने के स्थान पर अंगूठा लगाते थे, अब वे अपना खुद का नाम लिखने लगे है। इसके अलावा अक्षर ज्ञान भी सीख रहे हैं। कारागृहों में नोटबुक, स्लेट व किताबें उपलब्ध करवाने के बाद अब अन्य साक्षर बंदी भी अपने साथी निरक्षर बंदियों को साक्षर करने के लिए आगे आ रहे हैं और वे उनको अक्षर ज्ञान सीखा रहे हैं।

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