प्याऊ निर्माण पर फिर छिड़ी बहस बैठक के दौरान पंचायत समिति के पास नाले पर प्याऊ निर्माण के मामले में एक बार फिर वार्ड 29 के पार्षद जितेंद्र प्रजापत व वार्ड 30 के पार्षद हंसमुख नागर के बीच बहस छिड़ गई। इस दौरान प्रजापत का कहना था कि पार्षद ने माता को बुलाकर हंगामा किया। जबकि इस क्षेत्र में पहले से ही तीन प्याऊ बनी हुई है। ऐसे में यहां शौचालय बनना जरूरी है। इस पर पार्षद नागर ने प्याऊ के साथ शौचालय निर्माण भी करवाने की बात कही।
एसबीएम के तहत कार्यों की स्थिति बैठक में नेता प्रतिपक्ष मिश्रीमल गहलोत ने एसबीएम (स्वच्छ भारत मिशन) की स्थिति के बारे में पूछा। जिस पर आयुक्त जिंदल ने बताया कि परिषद के पास शौचालय निर्माण के लिए कुल 1695 आवेदन आए और वेरिफिकेशन के बाद 297 रिजेक्ट किए गए। वहीं 1388 अप्रूव्ड होने के बाद 1128 शौचालयों का निर्माण हुआ। अभी 130 शौचालय ठेकेदार बना रहा है और 41 निर्माणाधीन हैं। इसी तरह गहलोत ने तीन साल में एमपी-एमएलए फंड से मिली राशि की जानकारी मांगी। जिस पर आयुक्त ने बताया कि एमपी मद से 40 लाख, जबकि एमएलए मद से अब तक साढ़े तीन लाख का बजट मिला है।
देखें नगरपरिषद मीटिंग में हंगामे का वीडियो… …तो कैसे हो गया शहर ओडीएफ बैठक में पार्षद हंसमुख नागर ने अधूरे पड़े शौचालय निर्माण को लेकर कहा कि परिषद ने 200 शौचालय निर्माण के टेंडर किए थे और बने सिर्फ सत्तर। इसके बावजूद शहर को ओडीएफ घोषित कर दिया गया। वहीं शहर में 25-25 लाख के 5 सुलभ शौचालय भी बनने थे जो आज तक नहीं बने। इस पर आयुक्त ने कहा कि 130 शौचालय निर्माणाधीन है और सुलभ शौचालय का मुद्दा ओडीएफ में शामिल नहीं है। अधूरे शौचालय निर्माण को लेकर लोगों को नोटिस दिए और एफआईआर भी करवाई गई।
लगाए सभापति हाय-हाय के नारे बैठक के अंत में कांग्रेस पार्षद सीट से उठकर सभापति और आयुक्त के सामने आकर खड़े हो गए। साथ ही भ्रष्टाचार और विकास कार्यों में अनदेखी को लेकर पार्षदों ने सभापति हाय-हाय के नारे लगाए। इस बीच माइक को लेकर छीना झपटी भी हुई। जिसके बाद बैठक को बीच में ही पूरा कर सभापति, आयुक्त व अन्य भाजपा पार्षद रवाना हो गए।
75 करोड़ का बजट पारित बैठक में वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए कुल 75 करोड़ 42 लाख 68 हजार का बजट अनुमोदित किया गया। जिसमें प्रारम्भिक शेष 2147.08 लाख, राजस्व आय 2715.60 लाख व पूंजीगत आय 2680 लाख, राजस्व व्यय 3366.56 लाख व पूंजीगत व्यय 3094 लाख निर्धारित किया गया। इसी तरह सीसी सड़कों के निर्माण पर ढाई करोड़, डामर सड़कों पर 1 करोड़, नाले-नालियों के निर्माण पर ढाई करोड़, ग्रेवल-इंटरलॉकिंग सड़क आदि पर 50 लाख, रेलवे क्रॉसिंग से शिवाजीनगर सर्किल तक डिवाइडर व शिवाजी नगर सर्किल से रेलवे स्टेशन रोड तक डिवाइडर पर 1 करोड़, राज्य वित्त आयोग मद से विकास कार्यों पर 2 करोड़, चौदहवें वित्त आयोग मद से 3 करोड़, कार्मिकों के वेतन भत्तों व प्रशासनिक व्यय के लिए 1716.06 लाख का प्रावधान रखा गया।