डेढ़ हेक्टेयर जमीन वाले छोटे काश्तकारों को मुआवजे के लिए सरकार ने रिपोर्ट जरूर मंगवाई है, लेकिन दो हेक्टेयर से अधिक भूमि वाले किसानों को इसका कोई फायदा नहीं मिलेगा। इधर, किसान खरीफ की बुवाई में लाखों रुपए खर्च करने के बाद फसलें चौपट होने से आर्थिक मार झेल ही रहे हैं और अब नर्मदा के अधिकारियों व प्रशासनिक शिथिलता के चलते क्षेत्र में तीन माह गुजरने के बाद भी टूटी नहरों का मरम्मत कार्य शुरू नहीं होने से खरीफ फसल की बुवाई भी नहीं हो पाएगी। ऐसे में किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें साफ नजर आ रही हैं। किसानों ने बताया कि नर्मदा का पानी पड़ोसी गुजरात राज्य के गांवों में दिया जा रहा है, लेकिन बाढ़ प्रभावित जालोर में नर्मदा अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों की शिथिलता के चलते पानी नहीं मिलने से किसानों को कर्ज की मार झेलनी पड़ेगी।
नहीं कर रहे मॉनीटरिंग
नेहड़ सहित नर्मदा के कमाण्ड क्षेत्र में टूटी नहरों व पुलियों सहित कई जगह कार्य शुरू किया गया है, लेकिन नर्मदा के अधिकारियों की मॉनीटरिंग के अभाव में नर्मदा माइनर के सड़क क्रॉस पर बनाए जा रहे पुलियों के दौरान घटिया निर्माण सामग्री का उपयोग किया जा रहा है। ग्रामीणों की ओर से इसकी शिकायत करने के बावजूद कोई सुनवाई तक नहीं हो रही है।
नहीं होगी बुवाई
सांचौर व चितलवाना उपखण्ड के नर्मदा कमाण्ड क्षेत्र में नर्मदा अधिकारियों की ओर से टेंडर प्रक्रिया पूर्ण नहीं करवाने से किसान करीब दो लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में फसल बुआई नहीं कर सकेंगे। ऐसे में किसानों को खरीफ की फसलें चौपट होने के बाद अब रबी की बुवाई नहीं होने से आर्थिक नुकसान झेलना पड़ेगा।
बाढ़ से चौपट हुई खरीफ की फसलों को लेकर मुआवजे के लिए किसानों से आवेदन लिए जा रहे हैं। दो हेक्टेयर तक भूमि वाले किसानों को फसल खराबे का मुआवजा दिया जा रहा है। वहीं सांचौर व चितलवाना में करीब डेढ़ लाख हेक्टेयर में फसल खराबे का अनुमान है।
-पीताम्बरदास राठी, तहसीलदार सांचौर-चितलवाना
गुजरात में नर्मदा की टूटी हुई नहरें ठीक होने से पानी की आवक शुरू हो गई है। वहीं राजस्थान के जालोर में टूटी नर्मदा की वितरिकाएं, मुख्य कैनाल व माइनरों की मरम्मत अब तक नहीं हो पाई है। जिससे इस साल रबी की सीजन में पानी नहीं दिया जा सकेगा।
-महेशकुमार मीणा, एसई, नर्मदा परियोजना, सांचौर