इसलिए बिगड़ा मामला
मामला जालोर ज़िले के ओडवाड़ा गांव का है, जहां आज सुबह स्थानीय प्रशासन मई पुलिस जाप्ते के मौके पर पहुंच गया। पुलिस और प्रशासन यहां हाईकोर्ट के आदेश पर अतिक्रमण हटाने पहुंचा था। इधर अपने आशियाने बचाने और कार्रवाई का विरोध जताने के लिए ग्रामीण भी एकजुट होकर लामबंद हो गए। फिर वही हुआ जिसका अंदेशा था। जैसे ही पुलिस-प्रशासन ने कार्रवाई को अंजाम देना शुरू किया, पुलिस और ग्रामीण आमने-सामने हो गए। ग्रामीणों के विरोध को नियंत्रित करने और उन्हें मौके से खदेड़ने के लिए पुलिस ने बल प्रयोग किया। इस दौरान पूरे गांव का माहौल बिगड़ गया और स्थित अनियंत्रित हो गई।
मच गया कोहराम
पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई जैसे ही शुरू हुई मौके पर कोहराम मच गया। ग्रामीण महिलाओं ने एकजुट होकर कार्रवाई का पुरज़ोर विरोध किया। इस बीच महिलाओं और बच्चों का रो-रोकर बुरा हाल था।
विरोध के बीच कार्रवाई
ग्रामीणों के विरोध के बावजूद प्रशासन ने अतिक्रमणों को हटाने की कार्रवाई की। मकानों की बाउंड्री गिराकर कई बाड़े हटाए गए। टीन के शेड और टीन वाले मकानों की दीवारों को भी गिराया गया। इस दौरान भारी संख्या में पुलिस जाब्ता तैनात रहा। मौके पर आहोर, जालोर और सायला एसडीएम, एएसपी और आहोर, जालोर, भीनमाल के डीवाईएसपी समेत बड़ी संख्या में पुलिस जाब्ता, तहसीलदार, आर आई और पटवारी मौजूद है।
ये है मामला
ये पूरा मामला दरअसल, जालौर जिले के आहोर उपखंड गांव के ओडवाड़ा गांव का है। यहां ओरण क्षेत्र में बसे करीब 400 घरों को अतिक्रमण माना गया है। इस भूमि का विवाद हाईकोर्ट में भी चला, जिसके बाद कोर्ट ने यहां से अतिक्रमणों को हटाने के पुलिस-प्रशासन को आदेश दे डाले। इन्हीं कोर्ट के आदेशों की पालना की दलील देते हुए गुरुवार को कार्रवाई को अंजाम दिया गया है।
ग्रामीणों को किया गया था ताकीद
स्थानीय प्रशासन के अधिकारियों की माने तो लगभग सभी घरों को चिन्हित कर उसपर क्रॉस के निशान लगाए गए थे। साथ ही परिवारों को नोटिस थमाकर इस भूमि को खाली करने के आदेश तक दिए गए थे। ग्रामीणों को ताकीद करते हुए बताया गया था कि कोर्ट के आदेश के अनुसार सभी मकान मालिकों को 14 मई तक अपने मकान खाली करने हैं। यदि ऐसा नहीं होता है तो 16 को प्रशासन की ओर से इन्हें खाली करवाकर परिवारों को बेदखल किया जाएगा।
तीन पीढ़ियों से रह रहे हैं
जिस भूमि को अतिक्रमण मानकर कार्रवाई की गई है वहां के लोगों का कहना है कि वे यहां पिछली तीन पीढ़ियों से रह रहे हैं। तत्कालीन सरपंचों और तहसीलदार के दिए हुए पट्टे भी उनके पास हैं। साथ ही पानी और बिजली के कनेक्शन तक उनके पास हैं।
घटना पर गरमाई सियासत
जालोर की घटना पर सियासी पारा गरमा गया। विपक्षी दलों के नेताओं ने कुछ इस तरह से अपनी-अपनी प्रतिक्रिया जारी की।