नोटबंदी के बाद आतिशबाजी पर सख्ती, घटी पटखों की बिक्री
रात 8 से 10 बजे तक आतिशबाजी के निर्देश से फीकी रही पटाखों व्यवसायियों की दिवाली
नोटबंदी के बाद आतिशबाजी पर सख्ती, घटी पटखों की बिक्री
जालोर. शहर समेत जिले भर में इस बार पटाखा व्यवसायियों के लिए दीपावली फीकी साबित हो रही है। शहर में भी एक्का-दुक्का दुकानों को छोड़कर कहीं भी तेजी जैसा माहौल तक नजर नहीं आ रहा है। खुद व्यवसायियों का भी कहना है कि पहले नोटबंदी ने व्यवसायियों की कमर तोड़ दी और इसके बाद दीपावली के त्योहार से पहले न्यायालय के आदेशों की सख्ती का असर पटाखों की बिक्री पर भी पड़ा है। तिलक द्वार स्थित पटाखा व्यवसायी सुरेश लखारा ने बताया कि पर्यावरण प्रदूषण की समस्या को देखते हुए दीपावली पर रात 8 से 10 बजे तक आतिशबाजी करने के न्यायालय के आदेश सही हैं, लेकिन इससे बच्चे मायूस नजर आ रहे हैं। वहीं इससे पटाखों की बिक्री पर भी काफी असर पड़ा है। पिछले साल की तुलना में करीब पचास फीसदी बिक्री में कमी आई है। इसी तरह हनुमानशाला स्कूल के सामने स्थित पटखा व्यवसायी संजय वैष्णव ने बताया कि रात दस बजे बाद आतिशबाजी पर रोक के आदेशों के चलते बिक्री प्रभावित हुई है। वहीं पटाखे खरीदने आए भागवा निवासी मूलाराम मेघवाल ने बताया कि न्यायालय के आदेशों की पालना होनी चाहिए। यह पर्यावरा संतुलन के लिए अच्छा है, लेकिन इसकी समयावधि एक घंटे और बढ़ाई जाती तो इससे बच्चे मायूस नहीं होते। वैसे ज्यादा धुआं छोडऩे वाले और बड़े पटाखे बड़े और युवा ही जलाते हैं। बच्चों को इस समय सीमा से छूट देनी चाहिए थी।
अकाल का भी असर
इधर, पटाखा व्यवसायियों ने बताया नोटबंदी और न्यायालय के आदेशों के साथ साथ इस बार कम बारिश के कारण जिले में बनी अकाल की स्थिति भी पटाखों की बिक्री प्रभावित कर रही है। व्यवसायियों ने बताया कि अकाल के चलते पटाखों के अलावा अन्य व्यवसाय भी प्रभावित हुए हैं।
आदेश अच्छे हैं, पर बच्चे मायूस
आतिशबाजी की समय सीमा निर्धारण को लेकर न्यायालय के आदेश एक तरह से अच्छे हैं। इससे वायु प्रदूषण भी कम होगा, लेकिन इससे बच्चे मायूस हो गए हैं। वहीं पटाखों की बिक्री भी प्रभावित हुई है। नोटबंदी के बाद ये आदेश पटाखा व्यवसायियों के लिए निराशाजनक हैं।
इस बार रोनक कम
नोटबंदी के बाद न्यायालय की ओर से पटाखे जलाने की समय सीमा रात दस बजे तक करने से बिक्री पर काफी असर पड़ा है। वहीं पिछले साल के मुकाबले इस बार लोगों का रुझान पटाखों के प्रति घटा है। उम्मीद के हिसाब से बिक्री काफी कम है।
– संजय वैष्णव, पटाखा व्यवसायी, जालोर
बच्चों के लिए छूट देनी थी…
ज्यादा धुआं छोडऩे वाले पटाखे बड़े और युवा ही जलाते हैं। जिनसे प्रदूषण अधिक होता है। बच्चों को इस समय सीमा से अलग रखकर इसका समय आधा-एक घंटा बढ़ाया जा सकता था। वैसे हमारी ओर से न्यायालय के आदेशों की पालना की जा रही है।
– मूलाराम मेघवाल, खरीदार, निवासी-भागवा
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