रणखार क्षेत्र के आरवा, कलजी की बेरी, खेजडिय़ाली, आकोडिय़ा, भवातड़ा, डूंगरी, कागोडा, सेसावा सहित कई गांवों में वन्यजीवों के कंकाल नजर आने लगे है। ग्रामीणों की माने तो इन वन्यजीवों की मौत भीषण गर्मी के पानी की कमी से हुई है।
– जगदीश कुराड़ा, कार्यकर्ता, श्रीजम्भेश्वर पर्यावरण एवं जीवरक्षा नोरवा तालाब में सैकड़ों की तादाद में दिख रही मृत मछलियां
भाद्राजून। इस बार भीषण गर्मी के कारण लोगों के साथ वन्यजीवों व जलचरों की जान पर भी आफत बन आई है। पानी में रहने वाले जलीय जीवों में भी इस भीषण गर्मी का असर देखा जा सकता है। गर्मी सहन नहीं कर पाने की वजह से नोरवा गांव के तालाब में सैकड़ों की तादाद में मछलियां मर रही हैं।
जानकारों के मुताबिक, चिलचिलाती धूप के कारण तालाबों का पानी तेजी से वाष्पीकृत हो रहा है। इसकी वजह से तालाब में पानी भी कम होता जा रहा है। पानी में ऑक्सीजन की कमी के चलते भी मछलियों की जान जा रही है। भाद्राजून के निकटवर्ती नोरवा गांव में बने रियासतकालीन तालाब में बचे थोड़े बहुत पानी में गुरुवार सुबह सैकड़ों की तादाद में मृत मछलियां तैरती नजर आई।
पिछले साल मानसून की बारिश औसत से कम हुई थी। नतीजतन क्षेत्र का कोई भी तालाब, बावड़ी लबालब नहीं भर पाए। वैसे नोरवा के तालाब का पानी पिछले कई सालों में नहीं सूखा। मगर, इस बार भीषण गर्मी के दौर में यह तालाब भी सूखने के कगार पर पहुंच चुका है। गुरुवार सुबह नोरवा तालाब में सैकड़ों की तादाद में मृत मछलियां पानी पर तैरती तो कई तड़प-तड़पकर दम तोड़ती नजर आईं।
तालाब काफी प्राचीन है। गत वर्ष बारिश नहीं होने से तालाब सूखने की दशा में है। ऐसे में बड़ी संख्या में मछलियां मर रही है। तालाब की साफ-सफाई के लिए ग्रामीण अपने स्तर पर सहयोग राशि एकत्र कर रहे है।
– सुरेन्द्रपालङ्क्षसह राजपुरोहित, युवा ग्रामीण नोरवा
नोरवा गांव का तालाब आज बदहाली का शिकार हैं। सरकार की उदासीनता से आज बड़ी संख्या में मछलिया मर रही हैं। जिसकी बदबू से आमजन परेशान हैं। प्रशासन को इस पर कार्ययोजना बनानी चाहिए।
– नरपतङ्क्षसह सुरभि, ग्रामीण नोरवा