किसानों ने बताया कि खेतों में अकेला जाना भी खतरे से खाली नहीं है। किसानों ने बताया कि बच्चों वाली मादा काफी खतरनाक होती है। जब किसान इन सूअरों को खेत से बाहर निकालने का प्रयास करते है तो वो उन पर हमला कर देती है। डर के चलते किसान मजबूरी में खेती से दूर होते जा रहे है। किसान फका राम मेघवाल, मोहनलाल सरगरा व गणपत सिंह ने बताया कि सूअरों का आतंक इतना है कि वे जिस खेत मे जाते है वहा खड़ी फसल को पूरी तरह से खराब कर देते है। वही खेतों को अपने पंजों से खोदने के कारण खड्डेकर देते है। सूअरों के दो सौ से भी अधिक संख्या में एक साथ खेत में आ जाने से किसान उनको बाहर भी नहीं निकाल सकते।झुंड किसान पर हमला करने से भी गुरेज नहीं करते है।किसानों ने बताया कि दिन के समय झुंड जंगल में चले जाते हैं एवं रात को वापस खतों का रूख करते हैं।
पाइप भी तोड़ देते है
किसान फव्वारे के लिए पाइप का उपयोग करते है, लेकिन पानी के लिए इन पाइप को भी तोड़ देते हैं। पानी की तलाश में भटकते हुए पाइप को जगह-जगह से तोड़ कर काफी नुकसान करते हैं।खेतों में नुकसान को रोकने के लिए जाली वाली तारबंदी ही समाधान है, लेकिन यह काफी महंगी होने से किसान नहीं लगा पाते।किसानों ने बताया कि अकाल के चलते जंगल में खाना नहीं मिलने पर आबादी का रूख करते हैं।