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जालोर

सलाखों से निकलते ही आयुक्त ने पहनाई माला

पिछले दिनों एसीबी की
कार्रवाई में पकड़े गए नगरपरिषद सभापति भंवरलाल ने सलाखों से निकलते ही बुधवार को
फिर से कुर्सी संभाल ली

जालोरSep 02, 2015 / 11:08 pm

शंकर शर्मा

Jalore photo

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जालोर। पिछले दिनों एसीबी की कार्रवाई में पकड़े गए नगरपरिषद सभापति भंवरलाल ने सलाखों से निकलते ही बुधवार को फिर से कुर्सी संभाल ली। न्यायालय से जमानत पर छूटने के बाद अपने समर्थकों के साथ नगरपरिषद पहुंचा। समर्थकों ने भी स्वागत में कोई कसर नहीं छोड़ी और फूलमालाओं से लाद दिया।

यह था मामला
एसीबी के अनुसार नगर परिषद के ठेकेदार जालोर निवासी जितेन्द्र कुमार पुत्र हंजाराम माली ने 12 अगस्त को एसीबी (द्वितीय) पाली चौकी में प्रभारी उपाधीक्षक अन्नराज राजपुरोहित को शिकायत पेश की। जिसमें बताया कि वह नगर परिषद में ठेके का कार्य करता है तथा सड़क निर्माण कार्य के 7 लाख 91 हजार रूपए के बिल बकाया है। जिसके बिल पास करने के एवज में नगर परिषद सभापति भंवरलाल माली की ओर से 40 हजार रूपए की रिश्वत मांग की जा रही है। एसीबी की ओर से शिकायत का सत्यापन कराया।

इसके बाद बिचोलिया जालोर निवासी देवेन्द्र आचार्य के जरिए 35 हजार रूपए में सौदा तय हुआ। जिस पर बुधवार को एसीबी (द्वितीय) पाली की टीम ने एसीबी जोधपुर (ग्रामीण) टीम के निर्देशन में कार्रवाई कर कॉलेज तिराहा पर कार्रवाई कर बिचोलिया देवेन्द्र आचार्य को गिरफ्तार किया था। उसके बाद नगर परिषद कार्यालय पहुंचकर सभापति भंवरलाल को गिरफ्तार किया था। इस प्रकरण में एसीबी ने कुछ पत्रावलियां भी जब्त की थी।

पूर्व विधायक की मौजूदगी बनी चर्चा
सभापति भंवरलाल माली के जमानत पर छूटकर आने के बाद कार्य संभालने के दौरान पूर्व विधायक रामलाल मेघवाल की मौजूदगी चर्चा का विषय रही। लोगो की भीड़ देखकर पूर्व विधायक मेघवाल भी सभापति के कक्ष में पहुंच गए। जहां सभापति ने उनसे आशीर्वाद लिया। इसके बाद पूर्व विधायक परिषद आयुक्त के कक्ष में आ गए व उनसे कुछ चर्चा करने के बाद निकल गए।

पार्टी वाले कर रहे खिलाफत
सभापति माली ने अपनी पार्टी के पार्षदों पर भी विरोध करने व विकास कार्यो में अडंगा करने का आरोप लगा है। सभापति ने कहा कि पार्टी के कुछ पार्षद शहर का विकास नहीं होने देना चाहते हंै। उन्होंने इस पूरे प्रकरण में उप सभापति मंजू सोलंकी पर संदेह जताया है।

यह थी चौथी कार्रवाई
नगर परिषद के दफ्तर में भ्रष्टाचार को लेकर करीब दो साल में तीन बड़ी कार्रवाई की जा चुकी है। ऎसे में सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद सरकारी दफ्तरों में रिश्वतखोरी बंद होने का नाम नहीं ले रही है। नगर परिषद में कार्मिकों के रिश्वतखोरी को लेकर समय-समय पर शिकायतें मिलती रहती है।

नगर परिषद में निर्माण कार्यो का बिल पास करने के एवज में कमिशन मांगने पर ठेकेदार जितेन्द्र कुमार माली ने 6 फरवरी 2014 को परिषद अधिशासी अभियंता दीपक गुप्ता को भी एसीबी से ट्रेप करवाया था। एक्सईएन ने ठेकेदार से कमिशन के रूप में 20 हजार रूपए की रिश्वत ली थी। अब 19 अगस्त को सभापति भंवरलाल माली को भी इसी ठेकेदार ने गिरफ्तार करवाया था। वहीं भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की टीम ने 28 जनवरी 2014 को नगरपरिषद कार्यालय के लिपिक रतनसिंह को तीन हजार रूपए की रिश्वत लेते रंग हाथ गिरफ्तार किया था। इससे पूर्व भी एक पाष्ाüद को रिश्वत के मामले में ट्रेप किया गया था।

माली के लिए बुध शुभ या अशुभ
वैसे तो कहा जाता है कि बुध को किया गया हर कार्य सिद्ध होता है। लेकिन जालोर नगर परिषद के सभापति के लिए बुधवार शुभ है या अशुभ। इसको खुद सभापति भी नहीं समझ पाए है। 26 नवम्बर 2014 को बुधवार के दिन ही निर्वाचित पार्षदों ने भंवरलाल माली को सभापति चुना था।बुधवार के दिन ही माली शहर के प्रथम नागरिक बन थे। वहीं एसीबी की टीम ने गत 19 अगस्त को बुधवार के दिन ही माली को बिचोलिए के जरिए रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया था।अब उच्च न्यायालय से जमानत मिलने के बाद 2 सितम्बर को बुधवार के दिन ही माली ने फिर से कुर्सी संभाली है।

पार्षदों ने भी जताया था सभापति का विरोध
नगर परिषद में विकास कार्य नहीं होने व लोगों की समस्याओं का निराकरण नहीं होने लेकर कुछ दिन पूर्व पार्षदों ने भी ज्ञापन सौंपा था। नगर परिषद में भाजपा का बोर्ड होने के बावजूद भाजपा के पार्षद भी सभापति के खिलाफ लामबंद हो गए थे। उन्होंने सभापति पर विकास कार्य नहीं करने का आरोप लगाया था।

सभापति बोले- मैं निर्दोष हूं
कुर्सी संभालने के बाद रिश्वत लेने के आरोपित सभापति भंवरलाल माली ने मीडिया के सामने खुद को निर्दोष बताया।माली ने पत्रकारों के साथ बातचीत में बताया कि वह निर्दोष है। उसे किसी साजिश के तहत फंसाया गया था। सभापति ने बताया कि जिस ठेकेदार ने रिश्वत की शिकायत की थी, उसकी फाइल पर उन्होंने खुद ही पीडब्ल्यूडी से जांच करवाने की बात लिखी है। ऎसे में चेक पर हस्ताक्षर करने की बात का सवाल ही पैदा नहीं होता है। उसने रिश्वत लेने के आरोप उसके साथ पकड़े गए बिचोलिए के साथ कुछ भी संबंध होने से इंकार कर दिया।
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